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अनोखी परंपरा: बालोद के नाथ संप्रदाय में योगी की समाधि पर बनाए जाते हैं शिवलिंग, वंशज करते हैं पूजा-अर्चना

अमर उजाला नेटवर्क, बालोद Published by: विजय पुंडीर Updated Sun, 22 Jun 2025 09:56 AM IST
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सार

बालोद जिले के योगी परिवार की यह परंपरा बेहद ही अनोखी है। जब समाधि के ऊपर शिवलिंग की स्थापना की जाती है तो इसी शिवलिंग की उनके वंशज पूजा-अर्चना भी करते हैं।ये लोग खुद को भगवान शिव के वंशज मानते हैं और अपने इष्ट देव के रूप में गोरखनाथ की पूजा करते हैं।

In Balod district, Shivlingas are made on the tombs of every Yogi belonging to the Nath Sampraday
Balod News - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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छत्तीसगढ़ी के बादोल जिले में लगभग 200 परिवारों का एक समुदाय है जिसे नाथ योगी परिवार के नाम से जाना जाता है। इस परिवार के लोग स्वयं को गोरखनाथ बाबा का वंशज मानते हैं और यह शिव के भक्त होते हैं। यह जन्म शिव आराधना के साथ लेते हैं और उनकी मृत्यु के बाद उनकी विदाई योगी के रूप में की जाती है। बालोद जिले में एक समाधि स्थल नाथ योगी परिवार का है। जहां आपको हर एक समाधि के ऊपर भगवान शिव का पवित्र शिवलिंग बना हुआ नजर आएगा। आदि काल से यह परंपरा चली आ रही है और ये परंपरा इसी नाथ परिवार में देखने को मिलेगी।

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बालोद जिले के योगी परिवार की यह परंपरा बेहद ही अनोखी है। जब समाधि के ऊपर शिवलिंग की स्थापना की जाती है तो इसी शिवलिंग की उनके वंशज पूजा-अर्चना भी करते हैं। प्रत्येक समाधि स्थल में भगवान शिव के शिवलिंग अपने-अपने हिसाब से बने हुए हैं। यहां कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां और भी शिवलिंग बनाए गए हैं जोकि काफी पुरानी समाधि में से एक हैं।
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योगी लेते हैं समाधि
ये लोग खुद को भगवान शिव के वंशज मानते हैं और अपने इष्ट देव के रूप में गोरखनाथ की पूजा करते हैं। इनका कहना है कि हम जीवन भर तपस्या करते रहते हैं और तपस्या में शरीर जीवन भर जलता है इसलिए हमारे नाथ समुदाय में अग्नि दाह संस्कार की प्रथा नहीं है बल्कि समाधि लेने की प्रथा है। यहां पुरुषों को नहलाकर योगी की वेशभूषा धारण कर उन्हें योगी की भांति ही समाधि दी जाती है।

भगवान के चरणों में मिलता है स्थान
हिंदू संप्रदाय में यह परंपरा नाथ योगी समाज में ही देखने को मिलती है। योगी समाज के तरुण नाथ योगी ने कहा कि हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि हमारा जीवन शिव आराधना में गुजरता है और समाधि के ऊपर शिवलिंग बनाने से हमें भगवान शिव के चरणों में स्थान मिलता है और मृत्यु के बाद भी हमारी समाधि, हमारी आत्मा, हमारा पूरा जीवन भगवान शिव से जुड़ा हुआ रहता है।

हर नाम में जुड़ा है नाथ
योगी परिवार के सदस्य एवं वरिष्ठ नागरिक अनिल नाथ योगी ने बताया कि योगी समाज में अगर सदस्य को जोड़ा जाता है तो उसके नाम के साथ नाथ शब्द भी जोड़ दिया जाता है। समाज का ऐसा मानना है कि वे अपने आप को भगवान शिव के वंशज मानते हैं और अपने इष्ट देव के रूप में गोरखनाथ की पूजा करते हैं। जिसके चलते अपने नाम के साथ नाथ शब्द भी जोड़ते हैं। यही वजह है कि किसी भी सामाजिक व्यक्ति के निधन होने के बाद समाधि स्थल के ऊपर शिवलिंग बनाते हैं और खासकर सावन और सभी त्योहारों में उस शिवलिंग की पूजा समाज के लोग करते हैं।

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