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अजीत जोगी: प्रदेश के पहले CM की प्रतिमा का आनावरण, अमित जोगी समेत हजारों समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया

अमर उजाला नेटवर्क, गौरेला पेंड्रा मरवाही Published by: Digvijay Singh Updated Wed, 25 Jun 2025 05:37 PM IST
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सार

छत्तीसगढ़ के पहले  मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा चोरी के बाद उपजा विवाद अब सड़कों पर खुलकर दिखाई देने लगा है।

Ajit Jogi Unveiling of the statue of the first CM of the state thousands of supporters including Amit Jogi det
अमित जोगी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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छत्तीसगढ़ के पहले  मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा चोरी के बाद उपजा विवाद अब सड़कों पर खुलकर दिखाई देने लगा है। मूर्ति चोरी के एक महीने बाद भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने से नाराज़ अमित जोगी और उनके हजारों समर्थकों ने आज ज्योतिपुर चौराहे पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। प्रतिमा का जबरन अनावरण करने पर अमित जोगी समेत 1172 समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अमित जोगी शासन प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आरएसएस के इशारे पर काम कर रही है, न्याय के लिए हम न्यायालय की शरण में जाएंगे। 

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गौरेला के ज्योतिपुर चौराहे पर आज सुबह से ही गहमा गहमी का माहौल था, ज्योतिपुर चौराहे पर 25 मई की दरमियानी रात छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा को कुछ लोगों द्वारा, अनाधिकृत रूप से चोरी कर नगर पालिका गौरेला के कूड़ेदान में डाल दिया था, इसके बाद जोगी परिवार सहित समर्थकों ने शासन प्रशासन को एक महीना का अल्टीमेटम देते हुए सम्मानित तरीके से जोगी प्रतिमा को अनावरण स्थल पर पुनर्स्थापित करने की मांग की थी, जिसके लिए बाकायदा जोगी परिवार ने स्थापना स्थल की भूमि निजी होने का प्रमाण पत्र भी दिया था, बावजूद एक माह बीतने के बाद भी प्रशासन मूर्ति स्थापित नहीं कर सकी और ना ही मूर्ति चोरी करने वाले खंडित करने वालों पर कोई कार्यवाही ही कर सकी, ऐसे में एक माह का अल्टीमेटम खत्म होने के बाद आज 25 जून को अनावरण स्थल पर धरना आंदोलन किया गया जिसके लिए आज सुबह से ही आज सुबह से ही पेंड्रारोड के ज्योतिपुर तिराहा पर भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। 
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मूर्ति चोरी के बाद जोगी कांग्रेस ने प्रशासन को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया था लेकिन जब आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, तो धरना-प्रदर्शन और मूर्ति पुनः स्थापना का फैसला लिया गया। प्रशासन को सारे दस्तावेज हमने सौंपे हैं। अगर अजीत जोगी की मूर्ति उनके ही गांव में नहीं लगेगी तो कहां लगेगी? आज हम संकल्प लेते हैं, मूर्ति यहीं स्थापित होगी। अमित जोगी ने खुद मूर्ति से पर्दा हटाया और माल्यार्पण किया। लेकिन इससे पहले कि वे प्रतिमा की स्थापना पूरी कर पाते, पुलिस ने उन्हें रोक लिया। अमित जोगी इस पूरे मामले पर प्रशासन की कार्यवाही को ये पूरी कार्रवाई आरएसएस के दबाव में हो रही है। अजीत जोगी की मूर्ति चोरी आरएसएस नेता के इशारे पर अपने बेटे और उसके साथियों ने करवाई थी, इसलिए उसे बचाया जा रहा है। अगर अजीत जोगी की प्रतिमा वहां स्थापित नहीं हुई तो वह संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थल नागपुर जाएंगे और उनसे आशीर्वाद देने के बाद न्यायालय की शरण में जाकर प्रतिमा स्थापित करने न्याय की गुहार लगाएंगे।

प्रतिमा अनावरण और प्रतिबंधात्मक स्थल पर अमित जोगी की इस कृत्य को पुलिस ने गलत बताते हुए पुलिस ने प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करते हुए अमित जोगी समेत 1172 लोगों को हिरासत में लिया है और उन्हें अस्थाई जेल में जो धरना स्थल के समीप ही लाल बंगला मैदान में बनाया गया था, हिरासत में लिया और जमानत पर रिहा कर दिया है। 25 मई 2025 को अज्ञात तत्वों ने अजीत जोगी की प्रतिमा को चोरी कर खंडित कर दिया था। प्रशासन को भूमि स्वामित्व के दस्तावेज अमित जोगी द्वारा सौंपे गए थे, जिसमें भूमि को मूर्ति स्थापना के लिए मिशन द्वारा सौंपा गया बताया गया।

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