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रविंद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि: GPM के सेनेटोरियम में गुरुदेव की प्रतिमा का अनावरण; टैगोर वाटिका का शिलान्यास

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही Published by: मोहनीश श्रीवास्तव Updated Sun, 07 May 2023 08:06 PM IST
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सार

डॉ. महंत ने कहा कि, रविंद्रनाथ टैगोर महान व्यक्ति थे। उनकी स्मृति इस क्षेत्र से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि, गुरुदेव टैगोर अपनी पत्नी मृणानिली देवी (बीनू) के टीबी रोग का इलाज कराने सेनोटोरियम में सितंबर 1902 में आए थे। 

Tagore Death Anniversary; Chhattisgarh Assembly Speaker Dr. Mahant unveiled Gurudev statue In gpm
गौरेला में विधानसभा अध्यक्ष ने रविंद्र नाथ टैगोर की प्रतिमा का अनावरण किया। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 162 वी जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया है। इसके साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने टैगोर वाटिका और संग्रहालय का भी शिलान्यास किया। महंत ने कहा कि टैगोर जी की आत्मा क्षेत्र वासियों को सदैव आशीर्वाद देती रहेगी। रविंद्र नाथ टैगोर की प्रतिमा की स्थापना गौरेला के सेनेटोरियम परिसर में की गई है। इसी परिसर में उपचार के दौरान गुरुदेव टैगोर की पत्नी बीनू का निधन हो गया था।  

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कार्यक्रम में डॉ. चितरंजन कर ने रविन्द्र संगीत की दी गई शानदार प्रस्तुति दी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. मंहत ने इस अवसर पर हमर लैब का भी शुभारंभ किया। डॉ. महंत ने कहा कि, रविंद्रनाथ टैगोर महान व्यक्ति थे। उनकी स्मृति इस क्षेत्र से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि, गुरुदेव टैगोर अपनी पत्नी मृणानिली देवी (बीनू) के टीबी रोग का इलाज कराने सेनोटोरियम में सितंबर 1902 में आए थे। पत्नी को स्वस्थ्य कराने में काफी समय बिताया, लेकिन फिर भी वह ठीक नहीं हुईं और यहीं उनका निधन हो गया। 
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डॉ. महंत ने कहा कि रविंद्रनाथ टैगोर जी ने की गांधी जी को ’महात्मा’ की उपाधि दी थी। टैगोर जी विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूंकने वाले युगदृष्टा वे ही थे। इस अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक निधि के सौजन्य से बिसाहू दास महंत जी की जन्म शताब्दी वर्ष समारोह की श्रृंखला में कविवर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की जयंती पर भाषाविद एवं संगीतज्ञ डॉ. चितरंजन कर द्वारा ’’रवींद्र संगीत’’ की शानदार प्रस्तुती दी गई। 

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