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'मौका मिला तो मैं विराट कोहली की बायोपिक करना चाहूंगा', पंचायत फेम जितेंद्र कुमार ने अपने सफर पर की खास बातचीत
सार
Jitendra Kumar Exclusive Interview: पंचायत फेम अभिनेता जितेंद्र कुमार इन दिनों फिल्म ‘भागवत: चैप्टर वन : राक्षस’ में नजर आ रहे हैं। अमर उजाला से उन्होंने खास बातचीत करते हुए अपने अनुभव और अब तक के करियर पर बात की है।
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जितेंद्र कुमार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
'टीवीएफ पिचर्स', 'कोटा फैक्ट्री' और 'पंचायत' जैसे हिट शो से पहचाने जाने वाले अभिनेता जितेंद्र कुमार अब अपनी नई फिल्म ‘भागवत: चैप्टर वन : राक्षस’ में एक बिल्कुल अलग अवतार में नजर आ रहे हैं। इस फिल्म में वह एक अपराधी का किरदार निभा रहे हैं, जबकि अरशद वारसी पुलिस अफसर के रोल में हैं।
'अरशद का नाम सुनते ही एक्साइटेड हो गया था'
अमर उजाला से बातचीत के दौरान जितेंद्र बताते हैं, 'जब मेकर्स ने पहली बार कहानी सुनाई, तो उन्होंने कहा था कि हम अरशद वारसी सर को अप्रोच करने वाले हैं। उस वक्त मैं बहुत एक्साइटेड हो गया था। मुझे लगा कि अगर वो ये फिल्म करेंगे तो अनुभव शानदार रहेगा। लेकिन साथ ही डर भी था कि पता नहीं वो हां कहेंगे या नहीं। जैसे ही उन्होंने हामी भरी, मैं सच में बहुत खुश हो गया। उस पल लगा कि यह फिल्म मेरे लिए कुछ अलग साबित होने वाली है।'
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जितेंद्र कुमार
- फोटो : इंस्टाग्राम@jitendrak1
'अरशद सर की कहानी मुझे हमेशा याद रही'
अरशद वारसी के साथ काम करने को लेकर जितेंद्र के मन में खास जुड़ाव पहले से था। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा, 'शुरुआती दिनों में मैं बहुत सीरियस रहता था। मेरा एक दोस्त मुझे समझाता था कि अगर तू हर चीज में इतना सीरियस रहेगा तो मुश्किल होगी। उसने मुझे अरशद सर की एक कहानी सुनाई थी कि वो सेट पर बहुत मजाकिया रहते हैं, लेकिन जैसे ही इमोशनल सीन आता है, वो तुरंत स्विच कर जाते हैं। ये किस्सा उनकी फिल्म ‘इश्किया’ के वक्त का था। यह कहानी मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक थी। मैंने इसे हमेशा याद रखा और अब उन्हीं के साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।'
यह खबर भी पढ़ें: भारत छोड़ डेनमार्क में शिफ्ट हुईं तापसी पन्नू? अभिनेत्री ने खबरों पर तोड़ी चुप्पी, बोलीं- डोसा खा रही हूं
'डिस्टर्बिंग सीन के बाद खुद को हल्का रखता हूं'
फिल्म के इमोशनल हिस्सों को लेकर जितेंद्र बताते हैं, ‘घर जाकर मैं सिर्फ स्क्रिप्ट पढ़ता था और कोशिश करता था कि जो डिस्टर्बिंग सीन किए हैं, उनके बारे में ज्यादा न सोचूं। वरना वो दिमाग पर भारी पड़ते हैं। मैं खुद को हल्का रखने की कोशिश करता हूं ताकि अगले दिन फिर फ्रेश होकर सेट पर जा सकूं। अभिनय करते हुए खुद को संभालना भी उतना ही जरूरी होता है जितना किरदार में उतरना।'
अरशद वारसी के साथ काम करने को लेकर जितेंद्र के मन में खास जुड़ाव पहले से था। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा, 'शुरुआती दिनों में मैं बहुत सीरियस रहता था। मेरा एक दोस्त मुझे समझाता था कि अगर तू हर चीज में इतना सीरियस रहेगा तो मुश्किल होगी। उसने मुझे अरशद सर की एक कहानी सुनाई थी कि वो सेट पर बहुत मजाकिया रहते हैं, लेकिन जैसे ही इमोशनल सीन आता है, वो तुरंत स्विच कर जाते हैं। ये किस्सा उनकी फिल्म ‘इश्किया’ के वक्त का था। यह कहानी मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक थी। मैंने इसे हमेशा याद रखा और अब उन्हीं के साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।'
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'डिस्टर्बिंग सीन के बाद खुद को हल्का रखता हूं'
फिल्म के इमोशनल हिस्सों को लेकर जितेंद्र बताते हैं, ‘घर जाकर मैं सिर्फ स्क्रिप्ट पढ़ता था और कोशिश करता था कि जो डिस्टर्बिंग सीन किए हैं, उनके बारे में ज्यादा न सोचूं। वरना वो दिमाग पर भारी पड़ते हैं। मैं खुद को हल्का रखने की कोशिश करता हूं ताकि अगले दिन फिर फ्रेश होकर सेट पर जा सकूं। अभिनय करते हुए खुद को संभालना भी उतना ही जरूरी होता है जितना किरदार में उतरना।'
जितेंद्र कुमार
- फोटो : इंस्टाग्राम@jitendrak1
‘कन्फेशन सीन मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था’
वह आगे कहते हैं, ‘एक सीन था, कन्फेशन सीन, जिसमें मेरा किरदार अपनी सारी बातें सामने रखता है। वह सीन मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। उस वक्त वो भावना लाना मुश्किल था, लेकिन जब शॉट खत्म हुआ और सबने ताली बजाई, तो लगा कि मेहनत रंग लाई। वह पल हमेशा याद रहेगा क्योंकि उस सीन में मैंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया था।’
'खुशकिस्मत हूं कि मुझे एक ही टाइप के रोल्स बार-बार नहीं मिले'
'पंचायत' और 'कोटा फैक्ट्री' के बाद कई लोगों को लगा था कि जितेंद्र शायद सिर्फ हल्के-फुल्के किरदारों में ही दिखेंगे, लेकिन उन्होंने खुद को दोहराने से बचाया। वह कहते हैं, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे एक ही टाइप के रोल्स बार-बार नहीं मिले। मेकर्स ने मुझ पर भरोसा किया। हां, ज्यादातर ऑफर फन या कॉमेडी स्पेस में आते थे, लेकिन मैं हमेशा कहानी पर फोकस करता हूं। अगर नया किरदार पहले वाले से थोड़ा मिलता-जुलता भी हो, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती, बस कहानी नई और ईमानदार होनी चाहिए। एक कलाकार के लिए कहानी सबसे महत्वपूर्ण होती है।’
वह आगे कहते हैं, ‘एक सीन था, कन्फेशन सीन, जिसमें मेरा किरदार अपनी सारी बातें सामने रखता है। वह सीन मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। उस वक्त वो भावना लाना मुश्किल था, लेकिन जब शॉट खत्म हुआ और सबने ताली बजाई, तो लगा कि मेहनत रंग लाई। वह पल हमेशा याद रहेगा क्योंकि उस सीन में मैंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया था।’
'खुशकिस्मत हूं कि मुझे एक ही टाइप के रोल्स बार-बार नहीं मिले'
'पंचायत' और 'कोटा फैक्ट्री' के बाद कई लोगों को लगा था कि जितेंद्र शायद सिर्फ हल्के-फुल्के किरदारों में ही दिखेंगे, लेकिन उन्होंने खुद को दोहराने से बचाया। वह कहते हैं, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे एक ही टाइप के रोल्स बार-बार नहीं मिले। मेकर्स ने मुझ पर भरोसा किया। हां, ज्यादातर ऑफर फन या कॉमेडी स्पेस में आते थे, लेकिन मैं हमेशा कहानी पर फोकस करता हूं। अगर नया किरदार पहले वाले से थोड़ा मिलता-जुलता भी हो, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती, बस कहानी नई और ईमानदार होनी चाहिए। एक कलाकार के लिए कहानी सबसे महत्वपूर्ण होती है।’
जितेंद्र कुमार
- फोटो : एक्स (ट्विटर)
'मैं विराट कोहली की बायोपिक करना चाहूंगा'
बायोपिक के सवाल पर जितेंद्र मुस्कराते हुए कहते हैं, ‘मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है। विराट कोहली की कहानी मुझे बेहद प्रेरणादायक लगती है। अगर कभी मौका मिला तो मैं जरूर उनका बायोपिक करना चाहूंगा। उनके जैसे खिलाड़ी का जीवन हर कलाकार के लिए प्रेरणा है।’
यह खबर भी पढ़ें: गायक-संगीतकार सचिन सांघवी गिरफ्तार, महिला को शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न का आरोप
'हर कहानी कुछ नया सिखाती है'
फिल्म ‘भागवत: चैप्टर वन : राक्षस’ उनके लिए एक नया अनुभव रही। जितेंद्र बताते हैं, ‘जब मुझे कहानी सुनाई गई, तो लगा कि इसमें कुछ अलग करने का मौका है। मैंने पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी ताकि समझ सकूं कि मेरा किरदार दूसरों के साथ कैसे जुड़ता है। इस फिल्म ने मुझे बतौर कलाकार एक नई समझ दी है। हर कहानी कुछ नया सिखाती है और यही इस पेशे की खूबसूरती है।’
ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म
बता दें साइकोलॉजिकल क्राइम-थ्रिलर फिल्म 17 अक्तूबर को जी 5 पर रिलीज हुई है। इसकी कहानी कुछ इस तरह से है- छोटे कस्बे में लापता लड़कियों की गुत्थी सुलझाने आए इंस्पेक्टर विश्वास भागवत को तनातनी रेखा पर दोनों-परिस्तितियों का सामना करना पड़ता है; एक शांत दिखने वाला प्रोफेसर सामने आता है, लेकिन सब कुछ वैसा नहीं होता जैसा दिखता है।
बायोपिक के सवाल पर जितेंद्र मुस्कराते हुए कहते हैं, ‘मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है। विराट कोहली की कहानी मुझे बेहद प्रेरणादायक लगती है। अगर कभी मौका मिला तो मैं जरूर उनका बायोपिक करना चाहूंगा। उनके जैसे खिलाड़ी का जीवन हर कलाकार के लिए प्रेरणा है।’
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'हर कहानी कुछ नया सिखाती है'
फिल्म ‘भागवत: चैप्टर वन : राक्षस’ उनके लिए एक नया अनुभव रही। जितेंद्र बताते हैं, ‘जब मुझे कहानी सुनाई गई, तो लगा कि इसमें कुछ अलग करने का मौका है। मैंने पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी ताकि समझ सकूं कि मेरा किरदार दूसरों के साथ कैसे जुड़ता है। इस फिल्म ने मुझे बतौर कलाकार एक नई समझ दी है। हर कहानी कुछ नया सिखाती है और यही इस पेशे की खूबसूरती है।’
ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म
बता दें साइकोलॉजिकल क्राइम-थ्रिलर फिल्म 17 अक्तूबर को जी 5 पर रिलीज हुई है। इसकी कहानी कुछ इस तरह से है- छोटे कस्बे में लापता लड़कियों की गुत्थी सुलझाने आए इंस्पेक्टर विश्वास भागवत को तनातनी रेखा पर दोनों-परिस्तितियों का सामना करना पड़ता है; एक शांत दिखने वाला प्रोफेसर सामने आता है, लेकिन सब कुछ वैसा नहीं होता जैसा दिखता है।