भीमा कोरेगांव : पहले चीफ जस्टिस, अब जस्टिस गवई ने सुनवाई से किया किनारा

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद एक और जज ने खुद को अलग कर लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने संबंधी याचिका सुनवाई के लिए मंगलवार को जस्टिस एन.वी. रमन, जस्टिस बी.आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी.आर.गवई की पीठ के समक्ष आई थी। मगर जस्टिस गवई ने खुद को सुनवाई से अलग करने की घोषणा कर दी।

इसके बाद नई पीठ के गठन के लिए याचिका को फिर से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पास भेजा गया है। चीफ जस्टिस गोगोई सोमवार को इस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके थे। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर रद्द करने से मना कर दिया था। चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस मामले को उस पीठ के पास भेजा जाए, जिसमें वह पार्टी न हों।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने रद्द की थी याचिका
13 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा की एफआईआर रद्द करने की अपील खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि पहली नजर में इस मामले में सच्चाई दिखाई देती है। इसमें गहनता से और पूरी जांच की जरूरत है। 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव में एल्गर परिषद आयोजित की गई थी। इसके अगले ही दिन हिंसा शुरू हो गई थी। इसके बाद नवलखा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर नक्सलियों से संपर्क रखने का आरोप भी लगा था।