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AQI: पंजाब-दिल्ली से मध्य प्रदेश तक खराब हुई हवा; इथियोपियाई ज्वालामुखी की राख से कितने बिगड़ेंगे हालात? जानें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Tue, 25 Nov 2025 01:36 PM IST
सार
अलग-अलग राज्यों में औसत एक्यूआई क्या रहा है? लगातार खराब होती हवा का असर अब तक किन किन राज्यों और जिलों में दिखा है? हाल ही में इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख के भारत पहुंचने से हवा की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ेगा। आइये जानते हैं...
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भारत में वायु गुणवत्ता से स्थितियां खराब।
- फोटो : अमर उजाला/NAQM
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विस्तार
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि अधिकतर राज्यों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का औसत 400 के करीब पहुंच चुका है। यह हाल सिर्फ दिल्ली-एनसीआर या इसके आसपास के क्षेत्र के नहीं हैं, बल्कि पंजाब से लेकर मध्य प्रदेश तक लगभग इन सभी राज्यों में स्थिति खराब है। वायु प्रदूषण का असर बीते दिनों में मध्य प्रदेश में भी दिखा है, जहां एक्यूआई 350 का आंकड़ा छू गई।
ऐसे में यह जानना अहम है कि अलग-अलग राज्यों में औसत एक्यूआई क्या रहा है? लगातार खराब होती हवा का असर अब तक किन किन राज्यों और जिलों में दिखा है? हाल ही में इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख के भारत पहुंचने से हवा की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ेगा। आइये जानते हैं...
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ऐसे में यह जानना अहम है कि अलग-अलग राज्यों में औसत एक्यूआई क्या रहा है? लगातार खराब होती हवा का असर अब तक किन किन राज्यों और जिलों में दिखा है? हाल ही में इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख के भारत पहुंचने से हवा की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ेगा। आइये जानते हैं...
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पहले जानें- क्या है राज्यों में वायु गुणवत्ता का कुल जमा विश्लेषण
स्वतंत्र शोध संगठन ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की तरफ से एक नई सैटेलाइट-आधारित विश्लेषण रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली ने 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र के तौर में स्थान पाया है। यहां वायु गुणवत्ता की हालत इतनी खराब है कि पीएम 2.5 स्तर का वार्षिक औसत 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो भारतीय मानक से ढाई गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से 20 गुना ज्यादा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2024 से फरवरी 2025 के बीच की गई स्टडी में चंडीगढ़ 70 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के औसत पीएम 2.5 स्तर के साथ प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद हरियाणा (63) और त्रिपुरा (62) रहे। इसी तरह असम (60), बिहार (59), पश्चिम बंगाल (57), पंजाब (56), मेघालय (53) और नगालैंड (52) ने भी राष्ट्रीय मानक को पार किया।
स्वतंत्र शोध संगठन ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की तरफ से एक नई सैटेलाइट-आधारित विश्लेषण रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली ने 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र के तौर में स्थान पाया है। यहां वायु गुणवत्ता की हालत इतनी खराब है कि पीएम 2.5 स्तर का वार्षिक औसत 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो भारतीय मानक से ढाई गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से 20 गुना ज्यादा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2024 से फरवरी 2025 के बीच की गई स्टडी में चंडीगढ़ 70 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के औसत पीएम 2.5 स्तर के साथ प्रदूषित क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद हरियाणा (63) और त्रिपुरा (62) रहे। इसी तरह असम (60), बिहार (59), पश्चिम बंगाल (57), पंजाब (56), मेघालय (53) और नगालैंड (52) ने भी राष्ट्रीय मानक को पार किया।
देशभर के 60 फीसदी जिलों में हवा की स्थिति खराब
कुल मिलाकर, अध्ययन किए गए 749 जिलों में से 447 जिले, यानी करीब 60 प्रतिशत जिलों में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) के 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा को पार करते पाए गए।
विश्लेषण के मुताबिक, सबसे प्रदूषित जिले कुछ विशेष राज्यों में केंद्रित हैं। इनमें अधिकतर उत्तर भारत के राज्य हैं। जहां दिल्ली (11 जिले) और असम (11 जिले) लगभग शीर्ष 50 में आधे प्रदूषित जिलों के लिए हैं। वहीं, इसके बाद बिहार (7 जिले) और हरियाणा (7 जिले) का स्थान रहा। अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश (4), त्रिपुरा (3), राजस्थान (2) और पश्चिम बंगाल (2) शामिल हैं।
कुल मिलाकर, अध्ययन किए गए 749 जिलों में से 447 जिले, यानी करीब 60 प्रतिशत जिलों में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) के 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा को पार करते पाए गए।
विश्लेषण के मुताबिक, सबसे प्रदूषित जिले कुछ विशेष राज्यों में केंद्रित हैं। इनमें अधिकतर उत्तर भारत के राज्य हैं। जहां दिल्ली (11 जिले) और असम (11 जिले) लगभग शीर्ष 50 में आधे प्रदूषित जिलों के लिए हैं। वहीं, इसके बाद बिहार (7 जिले) और हरियाणा (7 जिले) का स्थान रहा। अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश (4), त्रिपुरा (3), राजस्थान (2) और पश्चिम बंगाल (2) शामिल हैं।
इनके अलावा बाकी कुछ राज्यों में भी बड़ी संख्या में जिले मानक से ऊपर पाए गए। बिहार (38 में से 37), पश्चिम बंगाल (23 में से 22), गुजरात (33 में से 32), नगालैंड (12 में से 11), राजस्थान (33 में से 30) और झारखंड (24 में से 21) के जिलों में वायु गुणवत्ता तय मानकों के मुकाबले खराब मिली। कई राज्यों में तो स्थिति यह रही कि निगरानी में रखे गए सभी जिलों ने एनएएक्यूएस मानक को पार किया। इनमें दिल्ली, असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप को निगरानी डेटा की कमी के कारण विश्लेषण में शामिल नहीं किया गया।
अब जानें- दिल्ली-एनसीआर में आज स्थिति कैसी?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली और आसपास के कई हिस्सों में एक्यूआई 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया है, जिससे यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सीपीसीबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार सुबह इंडिया गेट पर एक्यूआई 328, एम्स-सफदरजंग अस्पताल पर 323, आनंद विहार में 402, आईटीओ में 380 दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की बात करें तो नोएडा सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआई 397 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में है। गाजियाबाद में यह 396, ग्रेटर नोएडा में 382 और गुरुग्राम में 286 रहा। वहीं, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ पाई गई, जहां सूचकांक 396 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली और आसपास के कई हिस्सों में एक्यूआई 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया है, जिससे यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सीपीसीबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार सुबह इंडिया गेट पर एक्यूआई 328, एम्स-सफदरजंग अस्पताल पर 323, आनंद विहार में 402, आईटीओ में 380 दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की बात करें तो नोएडा सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआई 397 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में है। गाजियाबाद में यह 396, ग्रेटर नोएडा में 382 और गुरुग्राम में 286 रहा। वहीं, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ पाई गई, जहां सूचकांक 396 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है।
आगामी दिनों में भी 'बेहद खराब' श्रेणी में हवा रहने का अनुमान
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्वानुमान के अनुसार, बुधवार तक हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में बनी रहने की संभावना है। इसका मतलब है कि सांस के मरीजों को आने वाले दिनों में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। CPCB के अनुसार, राजधानी के कई निगरानी स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' और कई अन्य पर 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश में कितनी और कैसे खराब हुई हवा?
मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ी है। हालात इतने गंभीर हैं कि राज्य के कई शहर अब दिल्ली जैसी प्रदूषण श्रेणी में पहुंच गए हैं। सिंगरौली सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जहां एक्यूआई 350 के करीब तक पहुंच चुका है। वहीं, भोपाल की हवा भी खतरनाक स्थिति में है, जहां एक्यूआई सिंगरौली की रेंज में ही है। ग्वालियर में एक्यूआई 300 के ऊपर है। उधर इंदौर में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। अधिकतर इलाकों में एक्यूआई 300 है। प्रदेश के कई औद्योगिक शहर-पीथमपुर, मंडीदीप और सागर में भी एक्यूआई 300 से ऊपर रहा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्वानुमान के अनुसार, बुधवार तक हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में बनी रहने की संभावना है। इसका मतलब है कि सांस के मरीजों को आने वाले दिनों में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। CPCB के अनुसार, राजधानी के कई निगरानी स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' और कई अन्य पर 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश में कितनी और कैसे खराब हुई हवा?
मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ी है। हालात इतने गंभीर हैं कि राज्य के कई शहर अब दिल्ली जैसी प्रदूषण श्रेणी में पहुंच गए हैं। सिंगरौली सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जहां एक्यूआई 350 के करीब तक पहुंच चुका है। वहीं, भोपाल की हवा भी खतरनाक स्थिति में है, जहां एक्यूआई सिंगरौली की रेंज में ही है। ग्वालियर में एक्यूआई 300 के ऊपर है। उधर इंदौर में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। अधिकतर इलाकों में एक्यूआई 300 है। प्रदेश के कई औद्योगिक शहर-पीथमपुर, मंडीदीप और सागर में भी एक्यूआई 300 से ऊपर रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के पीछे निर्माण स्थलों की धूल और आसपास के क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस महीने शहर के आसपास पराली जलाने के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही उखड़ी सड़कें, खुले में जमा मलबा और निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली बारीक धूल भी हवा की गुणवत्ता को खराब कर रही है।
इथियोपिया के ज्वालामुखी से निकली राख और कितना बिगाड़ेगी स्थिति?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इथियोपिया में हैली गुबी ज्वालामुखी में विस्फोट के चलते इसकी राख का बादल 15,000 से 45,000 फीट की ऊंचाई पर तेज गति से यात्रा कर रहा है और यह भारत पर भी असर डाल रहा है। इस राख के गुबार में ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और कांच व चट्टान के सूक्ष्म कण शामिल हैं, जो आकाश को सामान्य से अधिक गहरा और धुंधला बनाते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि राख का यह गुबार आसमान में काफी ऊंचाई पर है और निचले हिस्सों में इसके कण कम ही हैं, इसलिए इसका ज्यादा असर उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता पर नहीं पड़ेगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इथियोपिया में हैली गुबी ज्वालामुखी में विस्फोट के चलते इसकी राख का बादल 15,000 से 45,000 फीट की ऊंचाई पर तेज गति से यात्रा कर रहा है और यह भारत पर भी असर डाल रहा है। इस राख के गुबार में ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और कांच व चट्टान के सूक्ष्म कण शामिल हैं, जो आकाश को सामान्य से अधिक गहरा और धुंधला बनाते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि राख का यह गुबार आसमान में काफी ऊंचाई पर है और निचले हिस्सों में इसके कण कम ही हैं, इसलिए इसका ज्यादा असर उत्तर भारत की वायु गुणवत्ता पर नहीं पड़ेगा।
इंडियामेटस्काई मौसम ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि राख का यह गुबार हवाई मार्गों को प्रभावित कर सकता है, जिससे उड़ानों में देरी, हवाई यात्रा का समय बढ़ना, कुछ मार्गों में बदलाव जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने कहा गुजरात के पश्चिमी हिस्से में राख का बादल प्रवेश करने वाला है। इसके बाद यह राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा। आगे चलकर यह हिमालयी क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगा।