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'राम लीला मैदान में बस सबसे बड़ा डर जय श्री राम से है'

शशिधर पाठक, नई दिल्ली Published by: अनिल पांडेय Updated Sat, 12 Jan 2019 12:16 AM IST
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Biggest fear in the Ram Leela field is Jai Shri Ram
रामलीला मैदान - फोटो : अमर उजाला
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भाजपा ने दिल्ली के राम लीला मैदान में अपनी राष्ट्रीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन बहुत शानदार तरीके से किया है। स्वच्छता, प्रबंधन, भव्यता और नेताओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं के लिए किए गए इंतजाम देखते बनता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पहले दिन कार्यकारिणी के मंच से कोई 50 मिनट तक ओजपूर्ण भाषण दिया। लेकिन उ.प्र. सहित तमाम राज्यों के नेताओं को सबसे बड़ा डर जय श्रीराम से लग रहा है। श्री राम प्रभु हैं, उनका मंदिर बनने का रास्ता नहीं बन पाया है और यह 2019 के चुनाव में बड़ा रोड़ा बन सकता है।

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उ.प्र. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी बातचीत में माना कि राम मंदिर निर्माण का मुद्दा लोकसभा चुनाव में असर डाल सकता है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुराने स्वयंसेवक हैं। विज भी मान रहे हैं कुछ असर पड़ सकता है। ओंकार नाथ केसरी राम मंदिर आंदोलन में कारसेवा किए हैं। जेल गए हैं, लाठी खाई है, उन्हें भी अयोध्या में राम मंदिर बनने की घोषणा न होने का डर सता रहा है।
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हालांकि केसरी का मानना है कि अभी इसको लेकर कुछ घोषणाएं हो सकती है। उनकी उम्मीद उच्चतम न्यायालय पर टिकी है। उन्हें लग रहा है कि 29 जनवरी को अदालत ही कुछ ऐसा संकेत दे सकती है। एक केन्द्रीय मंत्री के मीडिया सलाहकार ने भी माना कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आने वाले नेता राम मंदिर को लेकर चर्चा कर रहे हैं।

लगा जय श्रीराम का नारा

भाजपा की चिंता साफ दिखाई दी। अमित शाह का संबोधन चल रहा था। करीब 35 मिनट बोल चुके थे। मोदी...मोदी...मोदी का दो बार नारा भी लग चुका था। अमित शाह खुद लोगों का आह्वान कर चुके थे। भाजपा अध्यक्ष लगातार जनसमूह में उत्साह बनाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि 2013-14 वाला जोश नहीं नजर आ रहा था। अचानक बीच में बैठे जनसमूह के कुछ लोगों ने जयश्री राम का घोष किया। चार-पांच बार जय श्रीराम का घोष हुआ, लेकिन यह कुछ लोगों तक ही सिमट कर रह गया। दरअसल भाजपा के नेता और तमाम कार्यकर्ता जयश्री राम का मंदिर न बन पाने की घोषणा का दर्द समझ रहे थे। यहां तक कि अमित शाह ने भी इसके लिए कांग्रेस को अडंगा लगाने के लिए कोसा, लेकिन जन समूह की प्रतिक्रिया इसको लेकर बहुत उदासीन रही।

कुंभ का आसरा

भाजपा को प्रयागराज कुं भ-2019 से काफी उम्मीद है। इस बार कुं भ में पानी की तरह पैसा बहाकर भव्य इंतजाम हुआ है। कुंभ में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। देश विदेश तक धूम रहती है। ऐसे में धर्म और संस्कृति के भव्य आयोजन से काफी कुछ बदल सकता है। केसरी, विज, वाजपेयी समेत सभी को काफी उम्मीदें हैं। गुजरात विजय पटेल को भी कुंभ से काफी उम्मीद है। राजस्थान से आए एनएल मीणा को भी लग रहा है कि कुंभ से कुछ माहौल बदल सकता है। क्योंकि वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, आरएसएस के शीर्ष नेता, साधु संत समाज सब रहेगा। हो सकता है जय श्री राम का मंदिर बनने की घोषणा न हो पाने का दर्द कुछ कम हो सके।

योगी जी खुद संन्यासी हैं

उ.प्र. सरकार के कबीना मंत्री को भी जय श्रीराम का मंदिर बनने की घोषणा न हो पाने का दर्द है। वह भी मान रहे हैं कि इसका लोकसभा चुनाव पर असर है। मंत्री का कहना है कि लोग हमसे भी सवाल पूछ रहे हैं। क्योंकि अब केन्द्र और कई राज्यों में हमारी बहुमत की सरकार है। भाजपा का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सब है। लेकिन हम इसकी काट ढूंढ लेंगे। सूत्र का कहना है कि राज्य का मुख्यमंत्री सन्यासी है। धर्म, संस्कृति का लगातार पूर्ण सम्मान कर रहे हैं। मंत्री का कहना है कि आप कुंभ में आइए और फिर आप भी यह सवाल नहीं करेंगे। वह एक अच्छा प्रशासन ही नहीं चल रहे हैं, बल्कि लगातार प्रदेश के विकास के लिए निर्णय ले रहे हैं।

भाजपा का आखिरी भरोसा-मोदी के मुकाबले में कौन?

2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा का सबसे बड़ा भरोसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लोगों, नेताओं का मानना है कि 2014 के मुकाबले स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन भाजपा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है। यहां तक कि राष्ट्रीय राजनीति में भी नहीं है। लक्ष्मीकांत वाजपेयी, अनिल विज दोनों साफ कहते हैं कि मोदी जी के मुकाबले में है कौन? राहुल गांधी? सबका मानना है कि 2019 का चुनाव राष्ट्रीय चुनाव है। इसमें प्रधानमंत्री चुना जाता है। इसमें कोई गठबंधन नहीं चलता, चेहरा चलता है।

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