सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Bihar Chunav 2025 Assembly Elections since 1952 till Date 60 plus vote percent and Lalu Yadav Connection

Bihar Elections: बिहार में अब तक 18 विधानसभा चुनाव, केवल चार बार 60% से अधिक वोटिंग; लालू यादव से दिलचस्प नाता

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Fri, 07 Nov 2025 06:41 PM IST
सार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान पूरा हो चुका है। आधिकारिक मतदान प्रतिशत का एलान चुनाव आयोग के अधिकारी करेंगे। इसी बीच बीते 17 चुनाव के आंकड़ों से रोचक आंकड़े सामने आए हैं। इसमें सबसे खास पहलू है, 60 फीसदी से अधिक मतदान होने पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी- राजद सरकार बनाने में सफल रही है। पढ़िए ये रिपोर्ट

विज्ञापन
Bihar Chunav 2025 Assembly Elections since 1952 till Date 60 plus vote percent and Lalu Yadav Connection
बिहार में कब कितने फीसदी अधिक मतदान पर बदल गई सरकार - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

बिहार में विधानसभा चुनाव से जुड़े दिलचस्प समीकरण सामने आ रहे हैं। वर्ष 1952 में कराए गए पहले चुनाव से लेकर 2020 तक 17 बार विधानसभा चुनाव कराए जा चुके हैं। अब तक कराए गए चुनाव में केवल तीन बार ऐसे मौके आए हैं जब मतदान 60 फीसदी से अधिक हुआ है। हालांकि, ये भी एक रोचक तथ्य है कि 60 प्रतिशत से अधिक वोटिंग होने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सरकार बनाने में कामयाब रही है। इस साल का चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि कई दशकों के बाद जनसुराज पार्टी के रूप में एक तीसरा दल प्रदेश की 200 से अधिक सीटों पर ताल ठोक रहा है। इस आधार पर चुनावी विश्लेषक इस चुनाव को त्रिकोणीय टक्कर भी मान रहे हैं।

Trending Videos


1952 से 2020 तक 17 बार कराए गए चुनाव में किन दलों की सरकार बनी? कांग्रेस पार्टी ने पहली और अंतिम बार किस वर्ष में सरकार बनाई? वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दल- जदयू, सहयोगी दल भाजपा समेत और कौन से दल, कितने प्रतिशत मतदान के बाद सरकार बनाने में कामयाब रहे? जानिए इन सभी रोचक सवालों के जवाब

विज्ञापन
विज्ञापन

पहले तीन चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी
देश की आजादी के बाद बिहार में पहली बार साल 1952 में विधानसभा चुनाव कराए गए। इस वर्ष महज 39.51 फीसदी मतदान हुआ और कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। श्रीकृष्ण सिंह मुख्यमंत्री बने। 1957 में कराए गए चुनाव में मतदान प्रतिशत लगभग 1.8 फीसदी बढ़ा। 41.32% वोटिंग के बाद चुनाव जीतने वाले श्रीकृष्ण सिंह ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस सरकार का कार्यकाल पूरा होने पर पांच साल बाद फिर से चुनाव कराए गए। 1962 में कराए गए इस चुनाव में मतदाताओं ने थोड़ा और उत्साह दिखाया। इस साल वोटिंग में तीन प्रतिशत से अधिक उछाल दर्ज किया गया। 44.47% फीसदी मतदान के साथ कांग्रेस पार्टी एक बार फिर गद्दी पर काबिज रही। हालांकि, इस बार मुख्यमंत्री बदल गए। 

पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और...
दरअसल, 13 साल 169 दिन तक मुख्यमंत्री रहने के बाद श्रीकृष्ण सिंह का 31 जनवरी, 1961 को देहांत हुआ। इसके बाद हाजीपुर से विधायक रहे दीप नारायण सिंह को 17 दिन का कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया। राजमहल विधानसभा सीट से निर्वाचित विधायक बिनोदानंद झा फरवरी, 1961 में मुख्यमंत्री बने। इसके बाद कांग्रेस के एक अन्य नेता कृष्ण बल्लभ सहाय ने अक्तूबर, 1963 में सीएम की कुर्सी संभाली। 


पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई
मार्च 1967 में पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और महामाया प्रसाद मुख्यमंत्री बने। पहली बार राज्य में 50 फीसदी से अधिक मतदान हुआ। पहली बार त्रिशंकु चुनाव हुए और  51.51% वोटिंग वाले इस चुनाव में एक साल 117 दिन के भीतर चार मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली। महामाया प्रसाद सिन्हा 329 दिन सीएम रहे, जबकि उनके बाद सतीश प्रसाद सिंह, बीपी मंडल ने सीएम की कुर्सी संभाली। मार्च, 1968 में मुख्यमंत्री की कुर्सी एक बार फिर कांग्रेस के पास आई। पार्टी नेता भोला पासवान शास्त्री 99 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे।

सियासी अस्थिरता का दौर...
बिहार का अगला आम चुनाव साल 1969 में हुआ। इस चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, ये दौर सियासी अस्थिरता का भी रहा, क्योंकि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 1972 में फिर से चुनाव कराने की नौबत आ गई। दोनों ही साल 52.79% वोटिंग हुई। 

भारतीय लोकतंत्र के सबसे चुनौतीपूर्ण कालखंड के तौर पर देखे गए आपातकाल के महीनों के बीतने के बाद 1977 में फिर से चुनाव कराए गए। इस साल 50.51%- वोटिंग हुई और इस बार जनता पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही। जून, 1977 में कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। पहली बार उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के नेता के रूप में दिसंबर, 1970 में सीएम की कुर्सी संभाली थी और 162 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे थे।

कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौटी
1980 में कराए गए चुनाव में बीते सभी चुनावों से सर्वाधिक 57.28% फीसदी वोट डाले गए। कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौटी और जगन्नाथ मिश्र ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ये भी रोचक है कि कांग्रेस इस समय तक दो फाड़ हो चुकी थी। इंदिरा गांधी के खेमे वाली पार्टी कांग्रेस (आई) में शामिल कई नेता अगले 10 साल की अवधि में मुख्यमंत्री बनते रहे।
मुख्यमंत्री का नाम कार्यकाल
डॉ. जगन्नाथ मिश्र 08.06.1980 – 14.08.1983
चन्द्रशेखर सिंह 14.08.1983 – 12.03.1985
बिन्देश्वरी दुबे 12.03.1985 – 13.02.1988
भागवत झा आज़ाद 14.02.1988 – 10.03.1989
सत्येन्द्र नारायण सिंह 11.03.1989 – 06.12.1989
डॉ. जगन्नाथ मिश्र 06.12.1989 – 10.03.1990

बिहार में कांग्रेस पार्टी का बिखराव...
1985 में कराए गए चुनाव में 56.27% वोटिंग के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार बनाई। 1985 से 1990 के बीच कांग्रेस पार्टी का बिखराव दिखा और पांच साल की अवधि में राज्य को चार मुख्यमंत्री मिले। 

यहां से बिहार की सियासत में लालू युग...
इसके बाद बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का उदय हुआ। जनता दल के नेता लालू पहली बार मार्च, 1990 में मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पांच साल 18 दिन तक राज्य की सत्ता संभाली। यहीं से शुरू हुआ बिहार में 60 फीसदी से अधिक वोटिंग का दौर। राज्य विधानसभा के लिए कराए गए लगातार तीन आम चुनावों में 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ और जनता दल सरकार बनाने में सफल रही। 
विधानसभा चुनाव का साल मतदान प्रतिशत मुख्यमंत्री
1990 62.04% लालू प्रसाद यादव (10-03-1990 से 03-04-1995 तक)
1995 61.79% लालू प्रसाद यादव (04-04-1995 से 25-07-1997 तक)
2000 62.57% राबड़ी देवी (25-07-1997 से 11-02-1999 तक)
राबड़ी देवी (09-03-1999 से 02-03-2000 तक)
राबड़ी देवी (11-03-2000 से 06-03-2005 तक)

262 दिनों के राष्ट्रपति शासन के बाद नीतीश कुमार CM...
इसके बाद बिहार की राजनीति में चारा घोटाले का जिक्र शुरू हुआ। 262 दिनों के राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य में साल 2005 में विधानसभा चुनाव कराए गए। यहां से विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति का नया दौर शुरू हुआ। नीतीश कुमार पहली बार पूर्णकालिक मुख्यमंत्री बने। इससे पहले उन्होंने केवल सात दिन के लिए कार्यकारी मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी संभाली थी।

20 साल से अधिक समय से नीतीश ही बिहार के मुख्यमंत्री
फरवरी, 2005 में कराए गए चुनाव में 46.50% मतदान हुए, लेकिन किसी दल को बहुमत नहीं मिला। नतीजतन करीब आठ महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा और मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली रही। इसके बाद नीतीश कुमार ने नवंबर, 2005 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब बीते 20 साल से अधिक समय से नीतीश ही राज्य के मुख्यमंत्री हैं। एकमात्र अपवाद साल 2014-15 के करीब नौ महीने रहे, जब खुद नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी। मांझी 20 मई, 2014 से  फरवरी, 2015 के बीच सीएम रहे थे।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed