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SIR Row: बिहार वोटर लिस्ट पर सीपीआई(एमएल) लिबरेशन को आपत्ति, चुनाव आयोग ने बाताया दाखिल हुए 43 नए दावे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 27 Aug 2025 06:39 PM IST
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सार
बिहार में चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने अब तक 53 आपत्तियां और दावे दाखिल किए हैं, जिनमें 43 नए हैं। आयोग को कुल 1.78 लाख से अधिक दावे और आपत्तियां मिलीं, जबकि 20,702 का निपटारा हो चुका है। इस प्रक्रिया में 65 लाख नाम ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर किए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि नाम हटाने से पहले जांच और सात दिन की नोटिस अवधि जरूरी है।

चुनाव आयोग
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार में चल रही मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया के बीच राजनीतिक विवाद और गहराता जा रहा है। इस मामले में चुनाव आयोग ने दर्ज आपत्तियों और दावों पर जानकारी दी है। आयोग ने बताया कि अब तक सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने 53 दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं। खास बात यह है कि मंगलवार तक इनमें से 43 आपत्तियां और दावे नए जोड़े गए हैं। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया 1 सितंबर तक चलेगी और उसके बाद ही अंतिम फैसला होगा।
आयोग की ताजा बुलेटिन में बताया गया कि बिहार में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर अब तक केवल सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने आपत्तियां दी हैं। यानि राजनीतिक दलों की तरफ से आई सभी 53 आपत्तियां इसी दल की ओर से हैं। वहीं, मतदाताओं ने भी बड़ी संख्या में दावे और आपत्तियां दर्ज कराए हैं। आयोग को अब तक 1,78,948 दावे और आपत्तियां सीधे मतदाताओं से मिली हैं, जिनमें से 20,702 का निपटारा सात दिनों के भीतर कर दिया गया है।
नए मतदाता का रजिस्ट्रेशन जारी
चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि 6,35,124 नए मतदाताओं ने 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद फॉर्म-6 और डिक्लेरेशन जमा किया है। वहीं, 1,60,813 बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) को राजनीतिक दलों ने नियुक्त किया है, जो जनता से फॉर्म-छह (नए नाम जुड़वाने) और फॉर्म-सात (नाम हटवाने की आपत्ति) एकत्र कर आयोग तक पहुंचा सकते हैं। आयोग ने साफ किया है कि बिना निर्धारित फॉर्म और डिक्लेरेशन वाली शिकायतों को आधिकारिक दावा या आपत्ति नहीं माना जाएगा।
ये भी पढ़ें- जम्मू की बारिश-बाढ़ ने लगाया ट्रेनों पर ब्रेक; 58 गाड़ियां हुईं रद्द...18 के बदले गए रूट, देखें लिस्ट
नाम हटाने पर सख्त नियम
आयोग ने दोहराया है कि एक अगस्त 2025 को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से किसी का भी नाम बिना उचित आदेश के नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ईआरओ/एईआरओ) को जांच करनी होगी और सात दिन की नोटिस अवधि पूरी करनी होगी। साथ ही, संबंधित व्यक्ति को सुनवाई और अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा। यह आदेश आयोग ने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जारी किया है।
ये भी पढ़ें- वोटर अधिकार यात्रा में स्टालिन की एंट्री, BJP बोली- अपमान करने वालों को स्टार प्रचारक बना रही कांग्रेस
65 लाख नाम लिस्ट से बाहर
गौरतलब है कि बिहार में 24 जून से शुरू हुए विशेष पुनरीक्षण के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं को अयोग्य पाया गया और उनका नाम 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं किया गया। आयोग ने यह भी कहा है कि जिन लोगों का नाम लिस्ट से बाहर किया गया है, उनकी जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। इसके अलावा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर भी नाम और कारण ईपीआईसी नंबर डालकर खोजे जा सकते हैं। नाराज लोग अपने आधार कार्ड की प्रति के साथ दावे दाखिल कर सकते हैं।

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आयोग की ताजा बुलेटिन में बताया गया कि बिहार में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर अब तक केवल सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने आपत्तियां दी हैं। यानि राजनीतिक दलों की तरफ से आई सभी 53 आपत्तियां इसी दल की ओर से हैं। वहीं, मतदाताओं ने भी बड़ी संख्या में दावे और आपत्तियां दर्ज कराए हैं। आयोग को अब तक 1,78,948 दावे और आपत्तियां सीधे मतदाताओं से मिली हैं, जिनमें से 20,702 का निपटारा सात दिनों के भीतर कर दिया गया है।
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नए मतदाता का रजिस्ट्रेशन जारी
चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि 6,35,124 नए मतदाताओं ने 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद फॉर्म-6 और डिक्लेरेशन जमा किया है। वहीं, 1,60,813 बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) को राजनीतिक दलों ने नियुक्त किया है, जो जनता से फॉर्म-छह (नए नाम जुड़वाने) और फॉर्म-सात (नाम हटवाने की आपत्ति) एकत्र कर आयोग तक पहुंचा सकते हैं। आयोग ने साफ किया है कि बिना निर्धारित फॉर्म और डिक्लेरेशन वाली शिकायतों को आधिकारिक दावा या आपत्ति नहीं माना जाएगा।
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नाम हटाने पर सख्त नियम
आयोग ने दोहराया है कि एक अगस्त 2025 को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से किसी का भी नाम बिना उचित आदेश के नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ईआरओ/एईआरओ) को जांच करनी होगी और सात दिन की नोटिस अवधि पूरी करनी होगी। साथ ही, संबंधित व्यक्ति को सुनवाई और अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा। यह आदेश आयोग ने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जारी किया है।
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65 लाख नाम लिस्ट से बाहर
गौरतलब है कि बिहार में 24 जून से शुरू हुए विशेष पुनरीक्षण के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं को अयोग्य पाया गया और उनका नाम 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं किया गया। आयोग ने यह भी कहा है कि जिन लोगों का नाम लिस्ट से बाहर किया गया है, उनकी जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर उपलब्ध है। इसके अलावा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर भी नाम और कारण ईपीआईसी नंबर डालकर खोजे जा सकते हैं। नाराज लोग अपने आधार कार्ड की प्रति के साथ दावे दाखिल कर सकते हैं।
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