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Gujarat: कांग्रेस विधायक ने उठाया लोकसभा चुनाव के खर्च में अनियमितता का मुद्दा, सदन से किए गए निलंबित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गांधीनगर Published by: बशु जैन Updated Mon, 10 Mar 2025 09:53 PM IST
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सार

कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने सोमवार को गुजरात विधानसभा में लोकसभा चुनाव के दौरान जिला कलेक्टरों द्वारा अनियमितता का मुद़्दा उठाया। विधायक ने सदन के वेल में इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया। इसके बाद कांग्रेस विधायक को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। मार्शलों ने विधायक को सदन से बाहर निकाल दिया। 

Congress MLA raised the issue of irregularities in Lok Sabha election expenses, suspended from the House
जिग्नेश मेवाणी - फोटो : ANI
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विस्तार
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कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने सोमवार को गुजरात विधानसभा में लोकसभा चुनाव के दौरान जिला कलेक्टरों द्वारा अनियमितता का मुद़्दा उठाया। विधायक ने सदन के वेल में इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया। इसके बाद कांग्रेस विधायक को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। मार्शलों ने विधायक को सदन से बाहर निकाल दिया। 

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कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ जिला कलेक्टरों ने वित्तीय अनियमितता की। इसके चलते गुजरात सरकार पर 121 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। अधिकारियों ने 2024 के आम चुनावों के उत्पादों और सेवाओं के इस्तेमाल के लिए अधिक बिल जमा किए थे।
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 उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने पांच जिलों पोरबंदर, जामनगर, दाहोद, भरूच और गिर सोमनाथ के कलेक्टरों को एक नोटिस जारी किया था। इसमें उन्हें बताया गया था कि लोकसभा चुनावों के दौरान उनके द्वारा किए गए खर्च विश्वसनीय नहीं थे।

मेवाणी ने कहा कि पोरबंदर के तत्कालीन जिला कलेक्टर (सह रिटर्निंग ऑफिसर) ने मतदान केंद्रों के बाहर अस्थायी छतरी लगाने के लिए 20 लाख रुपये का टेंडर जारी किया था। एजेंसी ने काम पूरा करने के बाद 2.56 करोड़ रुपये का बिल पेश किया। कलेक्टर ने उस बिल को मंजूरी देने पर सहमति जताई। जब राजधानी से पूछताछ की गई, तो एजेंसी ने बिल की राशि घटाकर 57 लाख रुपये कर दी, जो टेंडर राशि से करीब तीन गुना थी। फिर भी कलेक्टर भुगतान करने के लिए तैयार थे।

कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि उनके पास दस्तावेज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में लगे अधिकारियों ने कुछ ही दिनों में 16,000 रुपये के ड्राई फ्रूट खा लिए और उस बिल को भी कलेक्टर की मंजूरी के लिए भेज दिया गया। अधिकारियों ने 30 हजार रुपये का चिकन खाया और पोरबंदर कलेक्टर ने उस बिल में एक रेस्टोरेंट के रसोइये का वेतन तक जोड़ दिया। एक वाहन पर सायरन लगाने के लिए, जो बाजार में 6,000 रुपये में उपलब्ध है, 60,000 रुपये का बिल पेश किया गया।

मेवाणी ने कहा कि जामनगर में एक चुनाव अधिकारी ने एक बिल पेश किया जिसमें दावा किया गया कि एक विधानसभा सीट पर एक दिन में उनके वाहन में लगभग 90 लीटर ईंधन का इस्तेमाल किया गया। क्या अधिकारी ने जामनगर की कलावड विधानसभा सीट के अंदर एक दिन में 900 किलोमीटर की यात्रा की?

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिना जांच के कोई भी बिल स्वीकृत न हो। फर्जी बिल पेश करने और करदाताओं के पैसे बर्बाद करने के लिए इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।

विधायक के आरोपों का जवाब देते हुए संसदीय और विधायी मामलों के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि लोकसभा चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराए जाते हैं और राज्य सरकार की अधिकारियों की नियुक्ति या निगरानी में कोई भूमिका नहीं होती है। मंत्री ऋषिकेश पटेल ने उपसभापति जेठाभाई भारवाड़ से मेवाणी की चुनावों पर की गई टिप्पणी को हटाने का आग्रह किया। 

मंत्री के बयान से नाराज कांग्रेस विधायक मेवाणी सदन के वेल में चले गए और अपने आरोपों पर सरकार से जवाब मांगते हुए धरना शुरू कर दिया। बार-बार अनुरोध के बावजूद मेवाणी अपनी सीट पर नहीं लौटे। इसके बाद उपसभापति ने उन्हें एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया और मार्शलों को मेवाणी को बाहर निकालने का आदेश दिया। फैसले के बाद मार्शलों ने कांग्रेस विधायक को सदन से बाहर निकाल दिया।


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