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Congress: 'आजाद और गंभीर विद्वानों से सरकार की दुश्मनी', प्रोफेसर ओरसिनी के निर्वासन पर भड़की कांग्रेस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 23 Oct 2025 01:07 PM IST
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सार

गुहा ने एक्स पर लिखा, 'बिना किसी कारण के ओरसिनी को निर्वासित करना एक असुरक्षित, विक्षिप्त और यहां तक कि मूर्ख सरकार की निशानी है।' एक अन्य इतिहासकार मुकुल केसवन ने कहा था कि विद्वानों और विद्वत्ता के प्रति एनडीए सरकार की दुश्मनी देखने लायक है।

congress slam modi government over deportation of University of London Professor Francesca Orsini
जयराम रमेश - फोटो : ANI
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विस्तार
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वीजा शर्तों के कथित उल्लंघन के कारण नई दिल्ली स्थित आईजीआई हवाई अड्डे से निर्वासित की गईं लंदन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर फ्रांसेस्का ओरसिनी के मामले पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि ओरसिनी को देश से बाहर करने का फैसला आव्रजन संबंधी औपचारिकताओं के चलते नहीं किया गया बल्कि यह आजाद, गंभीर सोच वाले विद्वानों के प्रति मोदी सरकार की दुश्मनी को दर्शाता है। 
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ओरसिनी को हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया था
लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) में एमिरेट्स प्रोफेसर और हिंदी की विद्वान फ्रांसेस्का ओरसिनी को सोमवार को हांगकांग से नई दिल्ली आने के तुरंत बाद निर्वासित कर दिया गया। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार वीजा शर्तों के उल्लंघन के कारण ओरसिनी को मार्च 2025 से 'काली सूची' में डाला गया था। जिसके चलते उन्हें हवाई अड्डे से ही वापस भेज दिया गया। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि दक्षिण एशियाई साहित्य की प्रसिद्ध विद्वान को पांच साल का वैध वीजा होने के बावजूद भारत में प्रवेश से रोक दिया गया।
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कांग्रेस ने सरकार की निंदा की
सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में जयराम रमेश ने लिखा कि 'हिंदी और उर्दू साहित्यिक संस्कृतियों पर ओरसिनी के काम ने भारत की सांस्कृतिक विरासत की हमारी सामूहिक समझ को समृद्ध किया है, जिससे भक्त ब्रिगेड को एलर्जी है।' रमेश ने आरोप लगाया, 'उन्हें देश से बाहर करने का फैसला आव्रजन संबंधी औपचारिकता का मामला नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की आजाद, गंभीर सोच वाले, पेशेवर विद्वानों के प्रति दुश्मनी की निशानी है।' 

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कई इतिहासकारों ने भी सरकार के कदम की आलोचना की
ओरसिनी के निर्वासन पर प्रतिक्रिया देते हुए, इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ओरसिनी को भारतीय साहित्य की एक महान विद्वान बताया। उन्होंने लिखा कि उनके कामों ने हमारी अपनी सांस्कृतिक विरासत की समझ को समृद्ध रूप से बढ़ाया है। गुहा ने एक्स पर लिखा, 'बिना किसी कारण के उन्हें निर्वासित करना एक असुरक्षित, विक्षिप्त और यहां तक कि मूर्ख सरकार की निशानी है।' एक अन्य इतिहासकार मुकुल केसवन ने कहा था कि विद्वानों और विद्वत्ता के प्रति एनडीए सरकार की दुश्मनी देखने लायक है।

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