सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   delhi assembly elections 2020: arvind kejriwal: founder of aap who resigned from IRS

अरविंद केजरीवाल: सरकारी नौकरी छोड़ अन्ना के साथ जुड़े, फिर राजनीति में मचाया तहलका

चुनाव डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Amit Mandal Updated Sun, 16 Feb 2020 01:36 PM IST
विज्ञापन
delhi assembly elections 2020: arvind kejriwal: founder of aap who resigned from IRS
अरविंद केजरीवाल - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आज फिर चर्चा में हैं। उन्होंने लगातार तीसरी बार दिल्ली की कमान संभाली है। आज रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ ही नए मंत्रिमंडल के छह मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण किया। आइए नजर डालते हैं केजरीवाल के अबतक के सफर पर।  

Trending Videos


आईआरएस से इस्तीफा देकर बने सामाजिक कार्यकर्ता

अरविंद केजरीवाल पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे और बाद में नौकरी छोड़कर सामाजिक गतिविधियों और फिर राजनीति से जुड़े। उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया था। 2012 में उन्होंने राजनीतिक दल का गठन किया और जबरदस्त सफलता भी हासिल की।
विज्ञापन
विज्ञापन


भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी को सूचना का अधिकार देने के लिए बने कानून में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ सत्याग्रह करने के बाद नवंबर 2012 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की शुरुआत की थी और आज उनकी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज है।

अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता। केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम किया।

साल 1992 में वह भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। साल 2006 में जब वह आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब सरकारी नौकरी छोड़ दी। सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ सामाजिक आंदोलन चलाया था। साल 2005 में इसे देशव्यापी कानून बनवाने में मदद की।

राजनीति की शुरुआत

साल 2011 में अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने का आंदोलन शुरू कर दिया था। उन्होंने जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन किया और धरना-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। प्रशांत भूषण, शांति भूषण, संतोष हेगड़े और किरण बेदी के साथ मिलकर उन्होंने जन लोकपाल के लिए आंदोलन चलाया। इसमें लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी, किसी को पता ही नहीं चला कब एक छोटी भीड़ ने देखते ही देखते जन आंदोलन का रूप ले लिया। सरकार को आंदोलन के सामने झुक कर लोकपाल बिल पास करने का प्रस्ताव स्वीकार करना पड़ा। जब इसके बाद भी बिल पास नहीं हुआ, तो जन आंदोलन को राजनीतिक पार्टी का चेहरा देने की मांग उठने लगी।

आम आदमी पार्टी का गठन

लोगों की भावनाओं को समझते हुए केजरीवाल ने राजनीति में आने और चुनाव लड़ने का फैसला किया। केजरीवाल के इस फैसले के बाद अन्ना राजनीतिक आंदोलन से दूर हो गए। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, गोपाल राय, योगेंद्र यादव और अन्य प्रमुख लोगों ने साथ मिलकर अलग पार्टी बनाई।

2 अक्टूबर, 2012 को केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी का गठन किया। 24 नवंबर, 2012 को इसे आम आदमी पार्टी का नाम दिया गया।  इसका प्रतीक चिन्ह बना झाड़ू। आम आदमी लिखी गांधी टोपी भी पार्टी के साथ जुड़ गई। पार्टी के साथ कई जानी-मानी हस्तियां भी जुड़ीं।   

साल 2013 में आप ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस की दिग्गज नेता रहीं शीला दीक्षित को हराकर तहलका मचा दिया। इन चुनावों के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद आप ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाई। केजरीवाल सीएम बने। लेकिन ये साथ ज्यादा नहीं चला।

49 दिन में दिया इस्तीफा

सत्ता संभालने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल लगातार कांग्रेस और भाजपा पर काम नहीं करने देने का आरोप लगा रहे थे। 14 जनवरी 2014 को उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर जनलोकपाल बिल पास नहीं करने देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

2015 में प्रचंड बहुमत के साथ वापसी

साल 2015 में  दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए गए। इस बार आम आदमी पार्टी को रिकॉर्ड 67 सीटें मिलीं। कुल 70 सीटों में से भाजपा केवल तीन ही सीट हासिल कर सकी। इन चुनावों में 15 वर्षों से सत्ता में काबिज कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई। बिजली-पानी मुफ्त देने की योजना ने पार्टी और सरकार को खूब लोकप्रियता दिलाई। 

कई नेताओं ने छोड़ा केजरीवाल का साथ

पार्टी के गठन और इसे मिली कामयाबी के बाद केजरीवाल विवादों में भी खूब आए।  उनपर मनमानी करने का आरोप लगता रहा। पार्टी के गठन के बाद से ही कई दिग्गज नेताओं ने केजरीवाल का साथ छोड़ा। कई नेताओं ने केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, तो कई नेताओं ने लगातार चलते झगड़ों को लेकर पार्टी का साथ छोड़ दिया। मगर जिस भी नेता ने पार्टी छोड़ी उसने सीधा आरोप केजरीवाल पर मढ़ा। पार्टी का दामन छोड़ने वाले नेताओं की सूची काफी बढ़ी है, इसमें शुरुआत से पार्टी के साथ रहे कुमार विश्वास, आशुतोष, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कपिल मिश्रा, शाजिया इल्मी और मयंक गांधी के नाम शामिल हैं। योगेंद्र यादव ने तो अपनी अलग पार्टी स्वराज अभियान भी बना ली।   

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed