ED: धोखाधड़ी कर 'यूनियन बैंक ऑफ इंडिया' को पहुंचाया 122 करोड़ रुपये का नुकसान, 47 करोड़ रुपये की गई कुर्की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने गत सप्ताह विशेष न्यायालय (पीएमएलए), बेंगलुरु के समक्ष मेसर्स एसोसिएट लम्बर्स प्राइवेट लिमिटेड (एएलपीएल) और 17 अन्य आरोपियों के खिलाफ 122 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) की बैंक धोखाधड़ी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच में अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है। आरोपियों ने धोखाधड़ी कर 'यूनियन बैंक ऑफ इंडिया' 122 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा दिया। अब ईडी की कार्रवाई में आरोपियों की 47 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। ईडी ने सीबीआई, एसीबी बेंगलुरु द्वारा मेसर्स एएलपीएल, इसके निदेशकों और अन्य के खिलाफ आईपीसी 1860 व भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की थी।

ईडी की जांच से पता चला है कि कंपनी मेसर्स एसोसिएट लम्बर्स प्राइवेट लिमिटेड, जिसका प्रतिनिधित्व इसके निदेशकों मोहम्मद फारूक सुलेमान दरवेश, मनोहरलाल सतरामदास अगीचा, श्रीचंद सतरामदास अगीचा, इब्राहिम सुलेमान दरवेश ने किया, ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (पूर्ववर्ती कॉर्पोरेशन बैंक) को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने स्वीकृत ऋण राशि को मेसर्स एएलपीएल की सहयोगी कंपनियों को असुरक्षित ऋण के रूप में या मेसर्स एएलपीएल और मेसर्स टचवुड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड आदि के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए अन्य फर्मों को देकर आपराधिक षड्यंत्र रचा। इससे एनपीए की तिथि तक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 56 करोड़ रुपये (लगभग) का नुकसान हो गया। ईडी के मुताबिक, बाद में बैंक द्वारा दर्ज की गई शिकायत की तिथि तक बैंक को ब्याज सहित कुल 122 करोड़ रुपये (लगभग) का नुकसान हुआ था।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया है कि मेसर्स एएलपीएल ने अपने टर्नओवर को बढ़ाकर अपनी आहरण शक्ति (डीपी) को बढ़ाने के लिए केवल अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ किसी वास्तविक व्यावसायिक संबंध के बिना कई 'समायोजनात्मक प्रविष्टियां' की थीं। इसका नतीजा यह हुआ कि मेसर्स एएलपीएल ने शिकायतकर्ता बैंक से 60 करोड़ रुपये की नवीनीकृत क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त कीं। इसका यह निष्कर्ष निकाला गया है कि मेसर्स एएलपीएल और उसकी सहयोगी कंपनियां समायोजनात्मक प्रविष्टियों में शामिल थीं, जिन्होंने ज्यादा दिखाए गए टर्नओवर के आधार पर मेसर्स एएलपीएल की क्रेडिट सुविधाओं के नवीनीकरण की सुविधा प्रदान की। इतना ही नहीं, इन्होंने सहयोगी कंपनियों की ऋण आय को घुमाने की भी सुविधा प्रदान की।
इसके अलावा, अचल संपत्तियों की खरीद और सहयोगी कंपनियों की ओर से बैंकों के साथ सहयोगी कंपनियों/ओटीएस के ऋणों के निपटान के लिए भी धनराशि को डायवर्ट किया गया। स्टॉक की बिक्री से प्राप्त राजस्व को ऋण खाते के माध्यम से नहीं भेजा गया। इसके अलावा, लकड़ी के आयात के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में पनामा और कोस्टा रिका की संस्थाओं को भी धनराशि हस्तांतरित की गई है, जो एएलपीएल के निदेशकों में से एक के रिश्तेदारों द्वारा नियंत्रित हैं।
ऐसी आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से, अभियुक्तों ने करोड़ों रुपये की आपराधिक आय अर्जित की। 11 सितंबर के के अनंतिम कुर्की आदेश के तहत लगभग 4 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की गई है। इससे पहले 2024 में, ईडी ने मेसर्स एएलपीएल के निदेशकों की लगभग 43 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्ति भी कुर्क की थी, जिससे इस मामले में अभी तक कुल 47 करोड़ रुपये की कुर्की हुई थी। मामले की जांच जारी है।