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RG Kar Case: सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा, संदीप घोष ने दो समूहों को अस्पताल के ठेके दिलाने में की मदद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 01 Dec 2024 06:46 PM IST
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सार
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, 'यह मामला कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि संदीप घोष और आशीष कुमार पांडे ने नियमों का उल्लंघन करते हुए कई डॉक्टरों को हाउस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया।

सीबीआई की चार्जशीट में खुलासा
- फोटो : ANI
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विस्तार
कोलकाता के आरजी कर कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष ने कथित तौर पर दो समूहों को अस्पताल के ठेके दिलाने में मदद की, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने हाल ही में दायर अपने आरोपपत्र में ये दावा किया है। वहीं विशेष अदालत ने सीबीआई के इस आरोपपत्र को रिकॉर्ड में ले लिया है, लेकिन उसने अभी तक इसका संज्ञान नहीं लिया है क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने संदीप घोष और अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है।
वहीं सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में संदीप घोष, मेडिकल कॉलेज के पूर्व हाउस स्टाफ आशीष कुमार पांडे और मां तारा ट्रेडर्स के व्यवसायी बिप्लब सिंहा, हाजरा मेडिकल की सुमन हाजरा और ईशान कैफे के अफसर अली खान का नाम लिया है।
विशेष अदालत ने सीबीआई चार्जशीट को रिकॉर्ड में लिया
सीबीआई ने अलीपुर में एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि संदीप घोष ने अस्पताल के कई ठेके हासिल करने में दो समूहों- एक सिंघा और हाजरा की तरफ से संचालित और दूसरा खान की तरफ से संचालित - की मदद की। विशेष न्यायाधीश ने कहा, 'सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर पता चला कि सक्षम प्राधिकारी का मंजूरी आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। तदनुसार, मंजूरी के बिना संज्ञान नहीं लिया गया है। इसे रिकॉर्ड में रखा जाए।'
आरजी कर केस में जांच के घेरे में है संदीप घोष
10 अगस्त को चेस्ट विभाग के सभागार में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के मृत पाए जाने पर अस्पताल ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। यह सामने आया कि 9-10 अगस्त की मध्यरात्रि में एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय की तरफ से कथित रूप से उसका दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। जांच में कथित देरी के लिए संदीप घोष भी मामले में जांच के घेरे में थे। इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया।
संदीप घोष पर क्या लगाए गए आरोप?
उच्च न्यायालय का आदेश सुविधा के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर आया, जिन्होंने संदीप घोष के प्रिंसिपल के रूप में कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार के कई मामलों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से जांच की मांग की थी। संदीप घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया। उन्हें पिछले साल अक्तूबर में आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वे बेवजह उस पद पर वापस आ गए।

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वहीं सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में संदीप घोष, मेडिकल कॉलेज के पूर्व हाउस स्टाफ आशीष कुमार पांडे और मां तारा ट्रेडर्स के व्यवसायी बिप्लब सिंहा, हाजरा मेडिकल की सुमन हाजरा और ईशान कैफे के अफसर अली खान का नाम लिया है।
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विशेष अदालत ने सीबीआई चार्जशीट को रिकॉर्ड में लिया
सीबीआई ने अलीपुर में एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि संदीप घोष ने अस्पताल के कई ठेके हासिल करने में दो समूहों- एक सिंघा और हाजरा की तरफ से संचालित और दूसरा खान की तरफ से संचालित - की मदद की। विशेष न्यायाधीश ने कहा, 'सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर पता चला कि सक्षम प्राधिकारी का मंजूरी आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। तदनुसार, मंजूरी के बिना संज्ञान नहीं लिया गया है। इसे रिकॉर्ड में रखा जाए।'
आरजी कर केस में जांच के घेरे में है संदीप घोष
10 अगस्त को चेस्ट विभाग के सभागार में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के मृत पाए जाने पर अस्पताल ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। यह सामने आया कि 9-10 अगस्त की मध्यरात्रि में एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय की तरफ से कथित रूप से उसका दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। जांच में कथित देरी के लिए संदीप घोष भी मामले में जांच के घेरे में थे। इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया।
संदीप घोष पर क्या लगाए गए आरोप?
उच्च न्यायालय का आदेश सुविधा के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर आया, जिन्होंने संदीप घोष के प्रिंसिपल के रूप में कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार के कई मामलों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से जांच की मांग की थी। संदीप घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया। उन्हें पिछले साल अक्तूबर में आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वे बेवजह उस पद पर वापस आ गए।