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Farmer Protest: किसान नरम तो सरकार के तेवर भी ढीले, अब दर्ज मामले वापस हों तो बन जाए बात!

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Sat, 04 Dec 2021 09:03 PM IST
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सार

एसकेएम के वरिष्ठ पदाधिकारी दर्शन पाल कहते हैं, बात हो रही है। हरियाणा सरकार के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है। कुछ बातों पर अभी सहमति नहीं बनी है। उत्तर प्रदेश सरकार के बारे में भी सुन रहे हैं कि वहां भी मामले वापस लेने की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है। एमएसपी के अलावा, किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 702 लोगों के परिवारों को मुआवजा देना जैसे कई मुद्दे अभी बाकी हैं।

Farmer Protest will be Ended only after the cases registered against the farmers are returned Know what is the strategy made by the Modi government Latest News Update
किसान आंदोलन (फाइल) - फोटो : Agency

विस्तार
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किसान आंदोलन को लेकर बहुत से लोग यह कयास लगा रहे थे कि शनिवार को साल भर से चला आ रहा संघर्ष खत्म हो सकता है। भले ही किसान संगठनों ने सात दिसंबर को दोबारा से संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक करने की बात कह दी है, मगर दोनों तरफ से अब 'दूरियां' कुछ कम होती नजर आ रही हैं। किसान नरम पड़े हैं तो केंद्र सरकार के तेवर भी ढीले हुए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में केंद्र सरकार और किसान संगठन, दोनों ही इस मसले को लंबा नहीं खींचना चाहते। अगर किसानों पर दर्ज मामले वापस हो जाते हैं तो आंदोलन पूरी तरह खत्म हो सकता है। एसकेएम के वरिष्ठ पदाधिकारी दर्शन पाल कहते हैं, बात हो रही है। हरियाणा सरकार के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है। कुछ बातों पर अभी सहमति नहीं बनी है। उत्तर प्रदेश सरकार के बारे में भी सुन रहे हैं कि वहां भी मामले वापस लेने की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है। एमएसपी के अलावा, किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 702 लोगों के परिवारों को मुआवजा देना जैसे कई मुद्दे अभी बाकी हैं।

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पांच सदस्यीय कमेटी का गठन
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करने के बाद केंद्र सरकार और भाजपा को लग रहा था कि अब साल भर से चला आ रहा आंदोलन एक झटके में खत्म हो जाएगा। ऐसा नहीं हो सका और किसानों ने अपनी दूसरी मांगें सरकार के समक्ष रख दीं। शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई एसकेएम की बैठक में फैसला लिया गया कि किसानों पर दर्ज केस रद्द होने तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा। आगे इस आंदोलन की तस्वीर क्या होगी, इस बाबत रणनीति तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया। यह कमेटी किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के लिए केंद्र से बात करेगी। एमएसपी पर भी यही कमेटी केंद्र के साथ बातचीत में शामिल होगी। इस कमेटी में बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, शिवकुमार कक्का और अशोक धावले का नाम है।
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2024 को प्रभावित करेगा परिणाम
उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा पर दबाव है कि चुनाव से पहले किसान अपने घर लौट जाएं। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उसे चुनाव में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। सरकार खुद मानती है कि ये आंदोलन पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा सक्रिय रहा है। अब पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं। ऐसे में भाजपा कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती। खासतौर से उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा किसी भी तरह का छोटे से छोटा नुकसान उठाने की स्थिति में नहीं है। पार्टी जानती है कि उत्तर प्रदेश का अच्छा बुरा परिणाम 2024 को प्रभावित करेगा। 

दूसरी तरफ किसान आंदोलन में भी अब संयुक्त किसान मोर्चे पर निर्णायक फैसला लेने का दबाव बढ़ रहा है। किसान नेताओं के बीच फूट की खबरें भी आती रही हैं। पंजाब चुनाव में किसान नेताओं की रुचि, ये तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है। एक किसान नेता कहते हैं कि ये आंदोलन उसी वक्त खत्म हो रहा था, जब पीएम मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। कुछ किसान संगठन इसके लिए तैयार थे। किसानों पर दर्ज पुलिस केस को लेकर संगठनों के बीच खूब बहस हुई है। आखिर में संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक में यही फैसला लिया गया कि जब तक किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं हो जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे सरकार
अब दोनों पक्ष यानी सरकार और किसान संगठन, एक-एक कदम आगे आना चाह रहे हैं। केंद्र ने किसानों की दूसरी सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कमेटी बनाने की बात कही है। इसके लिए किसान भी राजी हो गए। पांच सदस्यीय कमेटी बना दी गई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों की जानकारी सरकार के पास नहीं है। किसान संगठनों ने बिना कोई देरी किए 702 लोगों की सूची कृषि मंत्रालय के पास भेज दी है। 
किसानों का कहना है कि अब केंद्र सरकार, पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे। एसकेएम के वरिष्ठ पदाधिकारी दर्शन पाल के अनुसार, बड़ा मुद्दा किसान आंदोलन में जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं, उन्हें बिना किसी शर्त वापस लिया जाए। ये तय है कि जब तक सभी लोगों पर दर्ज केस वापस नहीं होंगे, तब तक आंदोलन भी खत्म नहीं होगा।

किसान नेता राकेश टिकैत भी मानते हैं कि बातचीत चल रही है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बैठक हुई है। केस वापस लेने पर सहमति बनी, मगर मुआवजे को लेकर पेंच फंस गया। इसके लिए केंद्र को आगे आना पड़ेगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं कि सरकार जब तक सारे केस वापस नहीं लेगी, तब तक हम घर नहीं जाएंगे। किसानों को सरकार पर भरोसा नहीं है। सरकार को सारे केस वापस लेने की लिखित गारंटी देनी होगी। पीएम मोदी को एसकेएम द्वारा जो पत्र भेजा गया था, अभी उसका कोई जवाब नहीं आया है।

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