सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   H-1B visas additional fee on H-1B visas by the US is a big opportunity for India IT sector

H-1B US Visa Row: ₹88 लाख वाले एच-1बी वीजा का कितना असर, आशंकाओं के बीच अमेरिका से इतर भारत के लिए कितने अवसर?

नीरज भाटिया Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 26 Sep 2025 09:49 PM IST
सार

अमेरिका की तरफ से एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर का अतिरिक्त शुल्क भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए जहां एक ओर झटका माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने इसे भारत के लिए सुनहरा मौका बताया है। संभावना इस बात की तेज है कि इस कदम से अमेरिकी कंपनियां अब भारतीय टैलेंट की तलाश में भारत की ओर निगाहें कर सकती हैं। आइए विस्तार से जानते है कि भारी शुल्क के बाद भी भारत के लिए अवसर कैसे है?

विज्ञापन
H-1B visas additional fee on H-1B visas by the US is a big opportunity for India IT sector
एच-1बी वीजा को लेकर ट्रंप की नई नीति - फोटो : अमर उजाला
loader
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

अमेरिका की तरफ से एच-1बी वीजा पर लगाए गए सालाना एक लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का अतिरिक्त शुल्क का भारतीयों पर बड़ा असर पड़ने वाला है। खासकर आईटी के क्षेत्र में। इस बात को लेकर चर्चा देशभर में चल रही है। हालांकि ठीक इसके उलट विशेषज्ञों की माने तो अमेरिका का ये फैसला भारत में एक नई टेक क्रांति की नींव भी रख सकता है। माना जा रहा है कि जहां एक ओर हजारों परिवारों की चिंताएं बढ़ीं, वहीं दूसरी ओर भारत के लिए अवसरों के नए दरवाजे खुल सकते हैं।

Trending Videos


बता दें कि बीते 19 सितंबर को ट्रंप प्रशासन ने अचानक इस बात की घोषणा की, जिसके बाद लाखों एच-1बी वीजा धारकों, उनके परिवारों और नियोक्ताओं के बीच चिंता की लहर दौड़ गई। खासकर भारत के युवा इंजीनियर और आईटी प्रोफेशनल्स, जो अमेरिका को सपनों की मंजिल मानते हैं। उनके लिए यह एक बड़ा झटका है। ध्यान रहे कि अब तक हर साल सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा पाने वालों में 70% से अधिक भारतीय होते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन


भारत के लिए कैसे है ये अवसर, पहले ये समझिए?
अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद अब अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय कर्मचारियों को अमेरिका बुलाना बहुत महंगा हो जाएगा। इसलिए वे वही काम भारत में करवाना शुरू कर सकती हैं। इससे देश में नई नौकरियां पैदा होंगी।  विदेशी कंपनियां भारत में अपनी ब्रांच खोल सकती हैं या भारतीय आईटी कंपनियों से सीधे काम लेना शुरू कर सकती हैं। इससे भारतीय टेक इंडस्ट्री को बड़ा फायदा होगा।

ये भी पढ़ें:- H-1B Visa: 'अमेरिका हिचकेगा तो बंगलूरू तैयार', एच-1बी वीजा पर शुल्क को अकबरुद्दीन ने बताया प्रतिभा पर टैक्स

मजबूत होगा देश का टैलेंट बेस
इतना ही नहीं जो भारतीय युवा पहले अमेरिका जाना चाहते थे, वे अब भारत में ही काम करने को प्राथमिकता दे सकते हैं। इससे देश में टैलेंट रुकेगा और देश के विकास में योगदान देगा। साथ ही कंपनियों को भारत में काम करवाने में अमेरिका की तुलना में बहुत कम खर्च आता है। इस कारण वे अपने प्रोजेक्ट्स भारत में शिफ्ट कर सकती हैं। इससे भारत को विदेशी निवेश और टेक्नोलॉजी दोनों मिलेंगे।

इसके अलावा जिन भारतीय प्रोफेशनल्स ने अमेरिका से स्किल्स सीखी हैं, वे वापस आकर यहां स्टार्टअप्स शुरू कर सकते हैं। इससे इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा और नई कंपनियां उभरेंगी।  अगर सरकार प्रोफेशनल्स को अच्छी सुविधाएं, नीति और माहौल देती है, तो यह बदलाव भारत के लिए सुनहरा मौका बन सकता है।

समझिए एच-1बी वीजा की असली लागत क्या है?
अभी तक एच-1बी वीजा की बेस फीस केवल $460 से $780 (₹38,000–₹65,000) थी, लेकिन इसके साथ जुड़ी अन्य फीस से एक बड़ी कंपनी को एक वीजा के लिए करीब $10,185 (₹8.4 लाख) तक खर्च करना पड़ता है।

अभी तक एच-1बी वीजा की बेस फीस $460 से $780 (₹38,000 से ₹65,000) के बीच थी, लेकिन इसके साथ जुड़ी अतिरिक्त फीस के कारण एक बड़ी कंपनी को एक वीजा पर कुल मिलाकर लगभग $10,185 (करीब ₹8.4 लाख रुपये) तक खर्च करना पड़ता है। इस खर्च में कई तरह की फीस शामिल होती हैं, जैसे कि अमेरिकी वर्कफोर्स की ट्रेनिंग के लिए $1500 (लगभग 1.33 लाख रुपये) तक की फीस ली जाती है। सीमा सुरक्षा (बॉर्डर प्रोटेक्शन रुपये) के नाम पर कंपनियों से $4000(3.50 लाख रुपये) वसूले जाते हैं।

इसके अलावा शरणार्थी कार्यक्रम के लिए भी $600 (53 हजार रुपये) तक की अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है। धोखाधड़ी रोकने के लिए $500 (44 हजार रुपये) की अलग से फीस लगती है। साथ ही अगर कोई कंपनी जल्द प्रोसेस करवाना चाहती है, तो उसे प्रीमियम प्रोसेसिंग के लिए $2805 चुकाने होते हैं। इन सभी शुल्कों को जोड़ने पर एक वीजा पर खर्च $10,000 (8.8 लाख रुपये) से अधिक हो जाता है और अगर किसी कर्मचारी का वीजा ट्रांसफर होता है तो ये फीस दोबारा देनी पड़ती है।

इसके बाद कंपनियों को हर साल एच-1बी कर्मचारी की सैलरी पर करीब $20,000 (₹16.5 लाख) तक सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर और बेरोजगारी बीमा में देना होता है, जिसका लाभ इन कर्मचारियों को नहीं मिलता, क्योंकि नौकरी जाने पर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ता है।

ये भी पढ़ें:- H-1B Visa Row: ट्रंप की सख्ती से खतरे में भारतीय युवाओं का 'US ड्रीम'; जर्मनी बोला- कुशल पेशेवरों का स्वागत...

पीएम मोदी पहले ही कर चुके है भारत लौटने की अपील
ऐसे में अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही अपील कर चुके हैं कि वे भारत लौटें और देश के टेक सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करें। हालांकि ऐसा करना आसान नहीं होगा, इसके लिए सरकार और कंपनियों दोनों को अपनी सोच और काम करने के तरीकों में बड़ा बदलाव लाना होगा।

ये भी समझिए क्यों नहीं इतना आसान?
गौरतलब है कि अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स को वहां के आधुनिक वर्क कल्चर की आदत हो गई है, जो फिलहाल भारत में पूरी तरह नहीं मिल पाता। ऐसे में अगर उन्हें वापस लाना है, तो भारत को भी उन जैसी सुविधाएं और माहौल देना होगा। साथ ही अगर भारत की सरकार और टेक कंपनियां तेजी से बदलाव करें और अमेरिकी कंपनियां भारतीय टैलेंट पर भरोसा बनाए रखें, चाहे वो दूर से ही क्यों न काम कर रहे हों, तो यह पल भारत के लिए एक बड़े बदलाव की शुरुआत बन सकता है।

विशेषज्ञों की माने तो एक पक्ष की चिंता अपनी जगह है, लेकिन अगर आने वाले 5 से 10 वर्षों की बात करें, तो भारत के पास अपनी टेक इंडस्ट्री को नए सिरे से खड़ा करने का सुनहरा अवसर है। बस ज़रूरत है सही दिशा में ठोस कदम उठाने की।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed