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Harsh Vardhan Shringla: 'उनके हाथ खून से रंग हुए, धब्बे नहीं हटेंगे'; शृंगला ने जमात-ए-इस्लामी पर बोला हमला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Fri, 12 Sep 2025 03:08 AM IST
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सार
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि भारत बांग्लादेश समेत अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन देश को अपने मूल हितों के विरुद्ध काम करने वाली किसी भी सरकार के प्रति सतर्क रहना चाहिए। शृंगला ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की भूमिका के बारे में आगाह किया।

हर्षवर्धन शृंगला, पूर्व विदेश सचिव
- फोटो : ANI
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विस्तार
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने बृहस्पतिवार को बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई। साथ ही हमला बोलते कहा कि उनके हाथ खून से रंगे हैं। वे मुस्लिम ब्रदरहुड का हिस्सा हैं। शृंगला ने तेंदुए से तुलना करते हुए कहा कि इसलिए यह अपने धब्बे नहीं बदलेगा। शृंगला इंडियन इंटरनेशनल सेंटर में 'क्या हम बांग्लादेश चुनावों के लिए तैयार हैं?' विषय पर परिचर्चा में बोल रहे थे।

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शृंगला ने कहा कि भारत बांग्लादेश समेत अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन देश को अपने मूल हितों के विरुद्ध काम करने वाली किसी भी सरकार के प्रति सतर्क रहना चाहिए। शृंगला ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की भूमिका के बारे में आगाह किया और इसे एक तेंदुआ बताते हुए कहा कि ये अपने धब्बे नहीं बदलेगा।
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हितों के खिलाफ काम करने वालों से सचेत रहने की जरूरत
बांग्लादेश में भारत के दूत के रूप में काम कर चुके शृंगला ने कहा, 'यह कहना ठीक है कि हम सत्ता में आने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ काम करेंगे। लेकन अगर वह आपके हितों के खिलाफ काम करे, तो आपको इसके प्रति सचेत रहना होगा।' राज्यसभा सांसद ने कहा कि भारत पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल न देने के सिद्धांत का सम्मान करता है, लेकिन 'जब बात उन देशों की आती है जिनके साथ हम सीमा साझा करते हैं, तो विशुद्ध रूप से आंतरिक मामले जैसी कोई चीज नहीं होती है।'
मुस्लिम ब्रदरहुड का हिस्सा से जमात-ए-इस्लामी
शृंगला ने याद दिलाया कि हाल ही में जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई ने ढाका विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों में भारी जीत दर्ज की है, जो 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद पहली बार किसी इस्लामी संगठन की बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि यह वही संगठन है, जिसने मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना का 'सहायक बल' बनकर काम किया था और हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार सहित कई अत्याचार किए थे। उन्होंने कहा, 'उनके हाथ खून से रंगे हैं और वे मुस्लिम ब्रदरहुड का भी हिस्सा हैं। वही मुस्लिम ब्रदरहुड जो बांग्लादेश, मिस्र, पाकिस्तान और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मौजूद है। और यह तेंदुआ अपने धब्बे नहीं बदलेगा।'
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बांग्लादेश में पाकिस्तान की बढ़ती उपस्थिति पर भी डाला प्रकाश
63 वर्षीय पूर्व राजनयिक ने बांग्लादेश में पाकिस्तान की बढ़ती उपस्थिति की ओर भी ध्यान खींचा और भारत की सीमाओं पर आईएसआई की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे 'विरोधी ताकतों के बीच मिलीभगत का खतरा बढ़ रहा है, जिसमें मौजूदा व्यवस्था और खासकर जमात-ए-इस्लामी की बड़ी भूमिका हो सकती है।' उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आने वाले चुनावों में जमात अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। इस चर्चा की अध्यक्षता शिक्षाविद और पूर्व राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने की।