सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Haryana ›   Haryana: dushyant chautala announce that his party JJP will contest on all 10 lok sabha seats

Haryana: चुनाव में फ्रेंडली मैच से BJP को फायदा पहुंचाएगी जजपा! कांग्रेस के लिए जोखिम बनेगी दुष्यंत की बैटिंग?

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Fri, 29 Mar 2024 05:34 PM IST
सार

वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र कुमार कहते हैं, देखिये हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति करती है। जजपा का फोकस ज्यादातर जाट वोटों पर रहता है। हालांकि उसके कई विधायक गैर जाट थे। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी का भी मुख्य वोट बैंक जाट समुदाय रहा है...

विज्ञापन
Haryana: dushyant chautala announce that his party JJP will contest on all 10 lok sabha seats
Haryana: Dushyant Chautala, Bhupinder Hooda - फोटो : Amar Ujala/ Himanshu Bhatt
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

हरियाणा की सियासत में इस बार का लोकसभा चुनाव, रोचक बनता जा रहा है। अभी तक भाजपा ने ही सभी दस सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। कांग्रेस पार्टी की सूची, अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी होने की उम्मीद है। इस बीच जजपा ने एलान कर दिया है कि वह सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हरियाणा की भाजपा सरकार में करीब साढ़े चार साल तक सहयोगी रही 'जजपा' अब अलग हो चुकी है। पिछले दिनों दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद भी दोनों दलों के नेताओं में एक दूसरे के प्रति कोई कटुता का भाव नजर नहीं आया। ऐसे में संभव है कि लोकसभा चुनाव में जजपा, भाजपा को फ्रेंडली मैच के जरिए सियासी फायदा पहुंचा दे।

Trending Videos

साढ़े चार साल तक चला गठबंधन

पिछले दिनों लोकसभा चुनाव की दहलीज पर हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला था। 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर जजपा ने 41 सीटों वाली भाजपा को सरकार तक पहुंचा दिया था। उसके बाद साढ़े चार साल तक दोनों दलों का गठबंधन चलता रहा। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला, मनोहर लाल खट्टर सरकार में डिप्टी सीएम रहे।

विज्ञापन
विज्ञापन

इस दौरान कई बार दोनों दलों के नेताओं के बीच बयानबाजी के दौर चले, मगर गठबंधन जारी रहा। प्रदेश की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र कुमार कहते हैं, देखिये हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति करती है। जजपा का फोकस ज्यादातर जाट वोटों पर रहता है। हालांकि उसके कई विधायक गैर जाट थे। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी का भी मुख्य वोट बैंक जाट समुदाय रहा है। ये अलग बात है कि कांग्रेस, सभी जातियों के साथ होने का दावा करती है। इनेलो की बात करें, तो वह भी अपने खोए हुए जाट वोट बैंक को वापस लाने के प्रयासों में लगी है। जब नंबर की बात आती है, तो पार्टी को एक ही सीट से संतुष्ट होना पड़ता है।

लंबे समय से चल रही थी प्रेशर पॉलिटिक्स

बतौर रविंद्र कुमार, भाजपा और जजपा का गठबंधन, गत वर्ष भी टूटने की कगार पर पहुंच गया था। ये अलग बात है कि उस वक्त भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के चलते गठबंधन टूटने से बच गया था। जजपा का प्रयास था कि उसे लोकसभा चुनाव में कम से कम दो सीटें दी जाएं। इसके अलावा उचाना कलां की विधानसभा सीट पर भी दोनों दलों में मतभेद था। वहां से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला चुनाव जीते हैं। उन्होंने भाजपा नेता चौ. बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को हराया था। गत वर्ष हरियाणा के भाजपा प्रभारी प्रभारी बिप्लब देब ने प्रेमलता को उचाना कलां का अगला विधायक बताया था। दूसरी ओर, दुष्यंत ने कह दिया था कि वे उचाना कलां से ही चुनाव लड़ेंगे। चौटाला के बयान पर बिप्लब देब ने पलटवार किया था। गठबंधन टूटने की आशंकाओं के चलते कई निर्दलीय विधायकों को दिल्ली बुलाया गया था। बिप्लब ने कहा था, अगर जजपा ने हमारी सरकार को समर्थन दिया है तो कोई अहसान नहीं किया। इसके बदले में उन्हें मंत्रिपद दिए गए हैं।

कठोर टिप्पणी करने से बचते नजर आए

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, जब कोई गठबंधन टूटता है तो उसके नेताओं के बयानों में कटुता देखने को मिलती है। बिहार में आरजेडी व जेडीयू का गठबंधन टूटा तो उनके नेताओं के बयानों में तल्लखी देखने को मिली। ऐसा कुछ हरियाणा में नहीं हुआ। भाजपा सरकार से अलग होने के बाद दुष्यंत चौटाला ने हिसार में जनसभा की। उस दौरान भी वे भाजपा पर किसी तरह की कठोर टिप्पणी करने से बचते नजर आए। उसके बाद मीडिया के साथ बातचीत में भी दुष्यंत ने ऐसी बयानबाजी नहीं की। जब उनसे गठबंधन टूटने बाबत सवाल पूछा जाता, तो वे कहते कि कुछ मुद्दों पर बात नहीं बनी। हमने लोकसभा चुनाव में दो सीटें मांगी थीं। बुढ़ापा पेंशन 5,100 रुपये करने की बात कही। जब इन पर सहमति नहीं बनी तो दोनों दल अलग हो गए। दिल्ली में जननायक जनता पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक हुई। उसमें तय हुआ कि जजपा, लोकसभा की सभी दस सीटों पर अकेली चुनाव लड़ेगी।

दोनों के लिए फायदे का सौदा है

रविंद्र कुमार बताते हैं, भाजपा और जजपा, दोनों दलों का वोटर अलग है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो जजपा को भाजपा के खिलाफ वोट मिला था। अब इनका अलग होना, कहीं न कहीं दोनों के लिए फायदे का सौदा है। लोकसभा चुनाव में जजपा का उतरना, भाजपा को फायदा पहुंचाएगा। वजह, जजपा के मूल वोटर जाट हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस भी इस वोट बैंक पर मजबूती से अपनी पकड़ बनाए हुए है। अब जाट वोटर, तीन जगह कांग्रेस, जजपा और इनेलो में बंट सकते हैं। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।

जजपा का फोकस, विधानसभा चुनाव पर

दुष्यंत चौटाला भी पिछले दिनों कह चुके हैं कि दोनों ही दल यह सोचते थे कि अब गठबंधन ठीक नहीं है। हम लोग लड़कर या कहासुनी से अलग नहीं हुए हैं। कोई डील नहीं हुई है। अब हमारा फोकस दस लोकसभा और 90 विधानसभा सीटों पर है। जजपा का कैडर काम कर रहा है। हमारी पार्टी को सभी जातियों का समर्थन मिलता है। हमने भाजपा के साथ सरकार में रहते हुए अच्छा काम किया है। इसका क्रेडिट हमें भविष्य में मिलेगा।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed