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वायुसेना 170 विमानों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देगी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: शिल्पा ठाकुर Updated Mon, 08 Jul 2019 12:45 PM IST
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IAF is now finalising two long-pending mega Make in India project for 170 aircrafts
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : PTI
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भारतीय वायुसेना लंबे समय से लंबित पड़े 1.5 लाख करोड़ रुपये की कीमत वाले दो 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने जा रही है। 56 मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट वाला टाटा एयरबस कंसोरटियम वाला प्रोजेक्ट भी इस साल पूरा हो जाएगा। एक अन्य 114 लड़ाकू विमानों वाले बड़े प्रोजेक्ट को इस स्तर तक आने के लिए कई साल लगने वाले हैं। 

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सूत्रों का कहना है कि भारतीय वायुसेना 114 लड़ाकू विमानों के प्रोजेक्ट में 2019 के आखिर और 2020 की शुरुआत में आरपीएफ (रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल) के लिए जोर दे रही है। सूत्र का कहना है, "114 लड़ाकू विमानों का प्रोजेक्ट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 36 राफेल और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस की संख्या भी अधिक नहीं है। ऐसे में भविष्य के लिए योजना बनाना अधिक जरूरी है। " 
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घातक मिसाइलों से लेस राफेल विमान सितंबर 2019 से अप्रैल 2022 के बीच मिलने की संभावना है। पहले चार राफेल विमान अगले साल मई में ही अंबाला एयरबेस में आ जाएंगे। ऐसा 10 पायलट, 10 फ्लाइट इंजीनियर और 40 टेक्नीशियन के फ्रांस में प्रशिक्षण मिलने के बाद ही होगा।

1.5 लाख करोड़ की कीमत वाले 114 लड़ाकू विमानों के प्रोजेक्ट में से राफेल भी एक है जो रक्षा मंत्रालय की 'सामरिक भागीदारी' मॉडल के तहत आता है। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में एफ/ए-18, एफ-16 (अमेरिकी), मिग-35 और सुखोई (रूस), ग्रिफेन-ई (स्वीडन) और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं। 

टाटा-एयरबस के साथ जो समझौता हुआ है, उसमें 56 ट्विन-टर्बोप्रोप टैक्टिकल सी-295 एयरक्राफ्ट हैं, ये प्रोजेक्ट लगभग फाइनल हो चुका है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआती कीमत 11,929 करोड़ रुपये है। सी-295 विमान वायुसेना के एवरो विमानों की जगह लेंगे। एवरो विमान को 1960 के दशक की शुरुआत में शामिल किया गया था। हालांकि एयरबस पहले 16 विमानों की सप्लाई करेगा और बाकी के 40 विमानों को आठ साल के भीतर भारत में ही बनाया जाएगा।

सी-295 विमान वो कार्य भी करेंगे जो पुराना एएन-32 विमान करता रहा है। एएन-32 से दो बड़ें हादसे हुए हैं, जिनमें 42 सैन्य कर्मियों की मौत हुई थी। इनमें एक हादसा जुलाई 2016 में बंगाल की खाड़ी में हुआ था। जबकि दूसरा हादसा जून महीने में अरुणाचल प्रदेश में हुआ है। यही वजह है कि सी-295 विमानों को यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

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