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Project Cheetah: रिपोर्ट में दावा- देश में फल-फूल रहा चीतों का परिवार, जानें दो साल में कितना बढ़ा कुनबा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Fri, 20 Sep 2024 10:50 PM IST
सार

Project Cheetah: दो साल पहले, पीएम मोदी ने अपने 72वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा था। अफ्रीका से लाए गए चीतों का शीघ्र और सफल प्रजनन दर्शाता है कि उन्हें फिर से बसाने की परियोजना अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चीतों को बसाने की स्थितियां अनुकूल हैं।

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India celebrates two years of project Cheetah with 24 Cheetahs, including 12 cubs
भारत में चीतों को बसाने की स्थिति अनुकूल - फोटो : ANI
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विस्तार
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1952 में विलुप्त घोषित किए गए चीतों को भारत में फिर से लाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के सफलतापूर्वक दो साल पूरे हो गए हैं। दो साल पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा था। अफ्रीका से लाए गए चीतों का शीघ्र और सफल प्रजनन दर्शाता है कि उन्हें फिर से बसाने की परियोजना अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चीतों को बसाने की स्थितियां अनुकूल हैं।
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प्रोजेक्ट चीता के दो साल हुए पूरे
परियोजना चीता के दो साल पूरे होने पर, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय धरती पर चीता के पुन: परिचय की यात्रा का जश्न मनाते हुए एक वीडियो साझा किया। चीतों के 2 साल! दो साल पहले, हमने लगभग 70 वर्षों के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की।
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भारत में दो सालों में 17 बच्चों का जन्म
वर्तमान में भारत में 24 चीते हैं। इनमें से 12 वयस्क और 12 शावक यहीं पैदा हुए हैं। यह भारत की जैव विविधता को पुनर्जीवित करने की यात्रा की शुरुआत है। 2022 में, प्रोजेक्ट चीता के तहत नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को भारत में लाया गया। इसके बाद, दक्षिण अफ्रीका से बारह चीतों को भी स्थानांतरित किया गया और फरवरी 2023 में कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया।

चीता के 17 बच्चों में से 12 बच्चे जीवित
‘प्रोजेक्ट चीता’ के दो वर्ष पूरे होने पर 17 सितंबर को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अधिकारियों ने चीतों का सफल प्रजनन सुनिश्चित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है। इस परियोजना को एक बड़ा समर्थन तब मिला जब दो वर्षों में भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ, जिनमें से 12 जीवित रहे।

नए वातावरण में चीतों ने बैठाया तालमेल
एनटीसीए, भारतीय वन्यजीव संस्थान और मध्य प्रदेश वन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रजनन से आमतौर पर यह संकेत मिलता है कि जानवरों ने नए वातावरण के साथ अच्छी तरह से तालमेल बैठा लिया है। वे स्वस्थ हैं और अपनी बुनियादी पारिस्थितिकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं। चीता प्रजनन कई कारणों से बेहद चुनौतीपूर्ण है, जिनमें उनकी कम आनुवंशिक विविधता भी शामिल है, जिसके कारण प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

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