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Navy Chief: 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताकत का विस्तार करेगा भारत', नौसेना प्रमुख बोले- 50 देश जोड़ने का लक्ष्य

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Tue, 28 Oct 2025 04:10 PM IST
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सार

दिल्ली में आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि भारत 2028 तक 50 देशों के साथ साझेदारी क्षमता विकसित करेगा। उन्होंने बताया कि इससे ‘निशार मित्रा’ प्रणाली के जरिए सूचनाएं भी साझा की जाएंगी। 

India will expand power in Indo-Pacific region Navy Chief Admiral Dinesh Tripathi say aim connect 50 countries
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी - फोटो : ANI
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विस्तार
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दिल्ली में आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने भारत की समुद्री रणनीति और भविष्य की दिशा पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका केवल एक समुद्री शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि साझेदारी, सहयोग और स्थिरता के केंद्र के रूप में विकसित हो रही है। एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि भारत 2028 तक लगभग 50 इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स ऑफिसर्स को जोड़ने की क्षमता विकसित करेगा।


एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारत का उद्देश्य हर क्षेत्र या देश की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप योजनाएं बनाना है। उन्होंने कहा कि क्षमता निर्माण का मतलब सिर्फ जहाजों, बंदरगाहों या औद्योगिक ढांचे से नहीं है, बल्कि यह किसी राष्ट्र की समुद्र में उपस्थिति बनाए रखने की योग्यता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों, एयरफ्रेम्स, लॉजिस्टिक चेन और औद्योगिक पारिस्थितिक तंत्र के जरिए भारत न केवल अपनी, बल्कि क्षेत्रीय साझेदारों की भी क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा।
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सूचना साझेदारी को नई दिशा
नौसेना प्रमुख ने कहा कि इंटरऑपरेबल कम्युनिकेशन और सूचना साझा करने की प्रणाली क्षमता निर्माण का अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना ने ‘निशार मित्रा’ नामक टर्मिनल तैयार किया है, जिसके माध्यम से मित्र देशों के साथ सूचनाओं और खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। यह प्रणाली हिंद-प्रशांत में सामूहिक सुरक्षा और सहयोग को मजबूत करेगी।

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नई सोच की आवश्यकता
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि असली ताकत केवल साधनों में नहीं, बल्कि उनके उपयोग के तरीके में होती है। उन्होंने कहा कि हमें प्लेटफॉर्म-केन्द्रित सोच से निकलकर उद्देश्य-केन्द्रित सोच अपनानी होगी। इसके लिए आधुनिक डॉक्ट्रिन, लचीले प्रशिक्षण और बेहतर इंटरऑपरेबिलिटी की जरूरत है, ताकि क्षेत्रीय नौसेनाएं संकट के समय एक इकाई की तरह काम कर सकें।

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भारतीय नौसेना की पहल और उपलब्धि
एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि भारतीय नौसेना ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इस वर्ष अप्रैल-मई में भारतीय नौसेना के जहाज ‘सागर’ ने दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र में एक महीने की तैनाती पूरी की। इस मिशन में नौ हिंद महासागर देशों के 44 प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम शामिल थी। उन्होंने कहा कि यह अभियान क्षेत्रीय सहयोग और साझा प्रशिक्षण का एक ऐतिहासिक उदाहरण है।



 
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