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ISRO: 'निजी कंपनियां बनाएंगी आधा PSLV रॉकेट', इसरो प्रमुख बोले- 450 उद्योग और 330 स्टार्टअप हमारे साथी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 06 Nov 2025 04:44 PM IST
सार
इसरो अब पीएसएलवी रॉकेट के आधे विकास कार्य को निजी कंपनियों को सौंपेगा। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि एचएएल और एलएंडटी द्वारा बना पहला उद्योग-निर्मित रॉकेट फरवरी तक लॉन्च किया जाएगा।
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वी. नारायणन, इसरो प्रमुख
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब अपने काम का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र को देने का फैसला किया है। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि अब पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) का 50 प्रतिशत विकास काम देश के उद्योग संघ को सौंपा जाएगा। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और एलएंडटी के नेतृत्व वाला उद्योग समूह पहला पीएसएलवी रॉकेट बना चुका है, जिसे इसी वित्तीय वर्ष यानी फरवरी तक लॉन्च किया जाएगा।
नारायणन ने कहा कि भारत की एयरोस्पेस, रक्षा और इंजीनियरिंग कंपनियां अब इसरो के मिशनों में 80 से 85 प्रतिशत तक सहयोग दे रही हैं। इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो 2025 में उन्होंने बताया कि अगर दो पीएसएलवी लॉन्च सफल हुए, तो इसरो आधे उत्पादन का काम पूरी तरह निजी कंपनियों को सौंप देगा। यह कदम दिखाता है कि भारत अब अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निजी कंपनियां बनाएंगी 16 रॉकेट
इसरो प्रमुख ने बताया कि स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) की तकनीक पहले ही एचएएल को 511 करोड़ रुपये के समझौते के तहत दी जा चुकी है। इसके जरिए निजी उद्योग अब 16 छोटे रॉकेट बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले केवल तीन-चार स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में थे, लेकिन अब देश में 330 से अधिक स्टार्टअप इस दिशा में काम कर रहे हैं। साथ ही, लगभग 450 उद्योग इसरो के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- पूर्वी हिमालय में भारत का ‘प्रचंड प्रहार’, तीनों सेनाओं ने एक साथ दिखाया शक्ति का प्रदर्शन
चंद्रमा की लैंडिग पर बोले इसरो प्रमुख
नारायणन ने कहा कि 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। उन्होंने मंगलयान मिशन को सटीकता का चमत्कार बताया, जो 600 मिलियन किलोमीटर की यात्रा कर 295 दिन बाद भी अपने इंजन को दोबारा शुरू करने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि भारत ने अब तीन स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन भी तैयार कर लिए हैं, जो पहले विदेशी देशों से नहीं मिलते थे।
लॉन्चिंग क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य
इसरो प्रमुख ने बताया कि 29 जनवरी 2024 को इसरो ने अपनी 100वीं रॉकेट लॉन्च पूरी की, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने कहा कि एचसीएल और इसरो ने मिलकर 32-बिट का स्वदेशी कंप्यूटर प्रोसेसर बनाया है, जो भारत को इलेक्ट्रॉनिक तकनीक में आत्मनिर्भर बनाएगा। फिलहाल भारत के पास 56 उपग्रह काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में देश की लॉन्चिंग क्षमता को बढ़ाकर साल में 50 तक किया जाए।
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नारायणन ने कहा कि भारत की एयरोस्पेस, रक्षा और इंजीनियरिंग कंपनियां अब इसरो के मिशनों में 80 से 85 प्रतिशत तक सहयोग दे रही हैं। इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो 2025 में उन्होंने बताया कि अगर दो पीएसएलवी लॉन्च सफल हुए, तो इसरो आधे उत्पादन का काम पूरी तरह निजी कंपनियों को सौंप देगा। यह कदम दिखाता है कि भारत अब अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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निजी कंपनियां बनाएंगी 16 रॉकेट
इसरो प्रमुख ने बताया कि स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) की तकनीक पहले ही एचएएल को 511 करोड़ रुपये के समझौते के तहत दी जा चुकी है। इसके जरिए निजी उद्योग अब 16 छोटे रॉकेट बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले केवल तीन-चार स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में थे, लेकिन अब देश में 330 से अधिक स्टार्टअप इस दिशा में काम कर रहे हैं। साथ ही, लगभग 450 उद्योग इसरो के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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चंद्रमा की लैंडिग पर बोले इसरो प्रमुख
नारायणन ने कहा कि 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। उन्होंने मंगलयान मिशन को सटीकता का चमत्कार बताया, जो 600 मिलियन किलोमीटर की यात्रा कर 295 दिन बाद भी अपने इंजन को दोबारा शुरू करने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि भारत ने अब तीन स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन भी तैयार कर लिए हैं, जो पहले विदेशी देशों से नहीं मिलते थे।
लॉन्चिंग क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य
इसरो प्रमुख ने बताया कि 29 जनवरी 2024 को इसरो ने अपनी 100वीं रॉकेट लॉन्च पूरी की, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने कहा कि एचसीएल और इसरो ने मिलकर 32-बिट का स्वदेशी कंप्यूटर प्रोसेसर बनाया है, जो भारत को इलेक्ट्रॉनिक तकनीक में आत्मनिर्भर बनाएगा। फिलहाल भारत के पास 56 उपग्रह काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में देश की लॉन्चिंग क्षमता को बढ़ाकर साल में 50 तक किया जाए।