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IWT: सिंधु जल संधि निलंबन के बाद पानी को भारत की ओर मोड़ने की तैयारी, पाटिल बोले- सूखे राज्यों को मिलेगी राहत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 15 Sep 2025 05:22 PM IST
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सार

जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि सिंधु जल संधि निलंबन के बाद भारत पूरी कोशिश कर रहा है कि नदियों का पानी मोड़कर जल संकट वाले राज्यों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने ‘नमामि गंगे’ और यमुना सफाई के कामों का ब्योरा भी दिया। पाटिल ने बताया कि बांध बनाने में समय और खर्च की बड़ी चुनौती है, इसलिए जल संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है।

IWT Preparations underway divert water India after suspension Indus Water Treaty CR Patil dry state get relief
जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा है कि केंद्र सरकार अब पूरी ताकत से कोशिश कर रही है कि सिंधु जल संधि के तहत आने वाली नदियों का पानी भारत की ओर मोड़ा जाए ताकि जिन राज्यों में पानी की कमी है, वहां राहत पहुंचाई जा सके। उन्होंने साफ किया कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद संवेदनशील है, इसलिए विस्तार से नहीं बोलेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर अमल हो रहा है और गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय भी इसमें शामिल हैं।
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पाटिल ने कहा कि जल्द ही यह पानी उन राज्यों तक पहुंचेगा जहां पानी की कमी है। किसानों की हालत सुधरेगी और आम लोगों को पीने व खेती के लिए पानी मिलेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस कदम से देश को बड़ा फायदा मिलेगा। यह ऐलान ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तान के आतंकियों के हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था।
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जम्मू-कश्मीर आतंकी हमले के बाद संधि निलंबन
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। इसके बाद भारत ने संधि को निलंबित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। अब पानी मोड़ने की रणनीति को तेजी से लागू किया जा रहा है।

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गंगा सफाई पर खास ध्यान
नदियों के पुनर्जीवन पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम से गंगा की हालत बदली है। कुंभ मेले में 60 से 70 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया, फिर भी गंगा साफ रही क्योंकि गंदे पानी का ट्रीटमेंट किया गया। उन्होंने बताया कि हरिद्वार से बंगाल तक 211 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं और अगले 1-1.5 साल में कानपुर और वाराणसी की बड़ी नालियों का भी पूरा उपचार हो जाएगा।

यमुना में नई तकनीक
पाटिल ने कहा कि यमुना की सफाई के लिए एआई-पावर्ड बोट्स तैनात की गईं, जिन्होंने 45 दिन में जलकुंभी हटा दी। राज्य सरकारें भी केंद्र के सहयोग से काम कर रही हैं। हालांकि, निजी कंपनियों की रुचि के बावजूद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाए, इसलिए सरकार खुद ही नदी सफाई, बांधों व नदियों की खुदाई का खर्च उठा रही है।

बिजली घरों को नोटिस
गंगा किनारे 67 बिजली संयंत्रों को नोटिस भेजा गया है कि वे टर्शियरी ट्रीटेड पानी का ही इस्तेमाल करें। इसके लिए नए संयंत्र लगाए जा रहे हैं। मंत्री ने बताया कि भारत को सालाना करीब 4,000 अरब घन मीटर वर्षा मिलती है, जबकि जरूरत 1,120 अरब घन मीटर की है। 2047 तक यह 1,180 अरब तक जाएगी। लेकिन हमारी स्टोरेज क्षमता केवल 750 अरब है, जबकि 6,500 बांध मौजूद हैं।

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बांध निर्माण और चुनौतियां
पाटिल ने कहा कि एक नया बांध बनाने में 25 साल और 25,000 करोड़ रुपये लगते हैं। साथ ही भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी की दिक्कतें भी हैं। ऐसे में केवल नए बांधों पर निर्भर नहीं रह सकते।

उन्होंने बताया कि सिर्फ आठ महीने में 611 जिलों में 32 लाख जल संरक्षण संरचनाएं बनाई गईं, वो भी जनसहभागिता से और बिना मंत्रालय का पैसा खर्च किए। इस पहल में तेलंगाना पहले नंबर पर रहा, उसके बाद छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात रहे।

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