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देखिए, राजनीति में 5 ऐसे गुरु-चेले, आज चेला चर्चित, गुरु अकेले
Updated Wed, 10 May 2017 09:40 AM IST
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अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे, कपिल मिश्रा, नरेंद्र मोदी, लाल कृष्ण आडवाणी
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कहावत है राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। फिर चाहे बात भाई-भाई की हो या बाप-बेटे की या फिर उस गुरू की जिसने राजनीति का ककहरा सिखाया। कई बार देखने में आया कि जिसने राजनीति की एबीसीडी सिखाई बाद में उसी को चेले ने आंख दिखाई।
ताजा मामला दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा का है। जो कह भी चुके हैं कि जिन केजरीवाल से उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना सीखा, आज उन्हीं के खिलाफ FIR दर्ज कराने की नौबत आ गई है। हालांकि कपिल के आरोपों में कितना दम और केजरीवाल कितने बेईमान हैं यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, इस द्वंद युद्ध का गवाह पूरा देश बन रहा है।
हम आपको कुछ ऐसे ही मामलों के बारे में बताते हैं, जिनमें भारतीय राजनीति गुरु-चेले की अदावत का गवाह बनी।
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ताजा मामला दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा का है। जो कह भी चुके हैं कि जिन केजरीवाल से उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना सीखा, आज उन्हीं के खिलाफ FIR दर्ज कराने की नौबत आ गई है। हालांकि कपिल के आरोपों में कितना दम और केजरीवाल कितने बेईमान हैं यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, इस द्वंद युद्ध का गवाह पूरा देश बन रहा है।
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हम आपको कुछ ऐसे ही मामलों के बारे में बताते हैं, जिनमें भारतीय राजनीति गुरु-चेले की अदावत का गवाह बनी।
कपिल मिश्रा- अरविंद केजरीवाल
कपिल मिश्रा, अरविंद केजरीवाल
शुरुआत करते हैं कपिल मिश्रा से ही। कपिल मिश्रा और अरविंद केजरीवाल का साथ काफी पुराना है। दोनों अन्ना हजारे के आंदोलन से साथ हैं। जब अरविंद केजरीवाल अन्ना से अलग हुए थे तो कपिल ने केजरीवाल की राह चुनी थी। हालांकि आज दोनों इस राह के किस मोड़ पर हैं। यह अब किसी से छिपा नहीं है। कपिल को कुमार विश्वास का भी करीबी बताया जाता है लेकिन हाल के घटनाक्रम पर नजर डालें तो वहां भी कुछ खास नजदीकियां नजर नहीं आ रहीं।
अरविंद केजरीवाल - अन्ना हजारे
अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे
कपिल मिश्रा और अरविंद केजरीवाल का मामला भले ही नया हो लेकिन इससे पहले इसी तरह की शुरुआत अरविंद केजरीवाल अपने गुरु अन्ना हजारे से कर चुके हैं। याद हो कि अन्ना हजारे के आंंदोलन को खड़ा करने में अरविंंद और उनकी टीम के साथियों का बड़ा हाथ था लेकिन फिर एक वक्त आया जब केजरीवाल ने कहा कि राजनीति को बदलना है तो पार्टी बनानी होगी। इस पर अन्ना हजारे और अरविंद की राहेें जुदा हो गईं। परिणाम में अन्ना हजारे आज अकेले से हैं जबकि अरविंद से भी उनके साथी धीरे-धीरे टूट रहे हैं।
अखिलेश यादव और मुलायम सिंंह
मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव
- फोटो : amar ujala
आप के अलावा एक और पार्टी में अंतर्युद्ध चल रहा है। बात हो रही है सपा की। यहां एक तरफ अखिलेश यादव और दूसरी तरफ उनके गुरू और पिता मुलायम सिंह यादव है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जो कुछ हुआ उसने दोनों के मतभेदों को खुलकर सामने रख दिया। चुनाव खत्म हुए और फिर से कलह शुरू हो गया। हाल ही में मीडिया से बातचीत में दोनों पिता-पुत्रों की अदावत खुलकर सामने आ गई है। एक ओर मुलायम कह रहे हैंं कि अखिलेश को सीएम बनाना उनकी भूल थी तो दूसरी ओर अखिलेश यादव कह रहे हैं कि मुलायम को अध्यक्ष बनाने का समय गुजर चुका।
नरेंद्र मोदी- लाल कृष्ण आडवाणी
नरेंद्र मोदी- लाल कृष्ण आडवाणी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी को लेकर भी गाहे-बगाहे चर्चाएं उठती रहती हैं। चाहे फिर आडवाणी का प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर होना हो या फिर उन्हें मार्गदर्शक मंडल में स्थान देना। अब भी जब हाल ही में अयोध्या का विवादित ढांचा गिराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी पर केस चलाने को कहा तो कुछ लोगों ने इसके प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया। हालांकि मोदी समय-समय पर कहते रहते हैं कि आडवाणी उनके गुरू हैं और उनके बीच कोई मतभेद नहीं है। याद हो जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर पहली बार सदन पहुंचे थे तो आडवाणी का जिक्र करते हुए उनका गला भर आया था।
नीतिश कुमार- जीतन राम मांझी
नीतिश कुमार- जीतन राम मांझी
जीतन राम मांझी और नीतिश कुमार का एपिसोड तब शुरू हुआ जब एक बार मांझी को बिहार की कमान मिली। लोकसभा चुनाव में हुई हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतिश ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मांझी को बिहार का सीएम बनाया गया। लेकिन सीएम बनने के बाद जीतन राम मांझी पर नीतिश के हाथोंं की कठपुतली का ठप्पा लगा। इसके बाद मांझी ने एक से एक बयान और फैसले लिए, जिससे धीरे-धीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। इसके बाद कभी जीतन को खुद सीएम बनाने वाले नीतिश ने कहा कि ये उनकी बड़ी भूल थी। वहीं, मांझी भी खुलकर सामने आ गए और अपनी अलग पार्टी बनाकर नीतिश के खिलाफ चुनावी मैदान में डट गए। हालांकि मांझी की नैया ठीक से पार न हुई और नीतिश एक बार फिर से सीएम बन गए।