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कर्नाटक का 'नाटक' फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा, कांग्रेस ने दायर की याचिका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Gaurav Pandey Updated Fri, 19 Jul 2019 03:56 PM IST
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Karnatak Political Crisis again in supreme court, Congress filed Petition
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : पीटीआई
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बीते लंबे समय से सत्ता को लेकर चल रहा कर्नाटक का राजनीतिक संकट एक बार फिर देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है। कर्नाटक कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश की वजह से पार्टी का अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का अधिकार खतरे में आ गया है। यह याचिका कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने दायर की है। 

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि बागी विधायकों को बहुमत परीक्षण की कार्यवाही में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने या न लेने का विकल्प दिया था। इस आदेश के कारण 19 विधायक बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने नहीं आए थे।  

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फैसले से कमजोर हुआ व्हिप जारी करने का अधिकार : कांग्रेस

याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है। राव ने कहा कि न्यायालय को इस आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा था कि इस मामले में पार्टी है ही नहीं, फिर उसके अधिकार को सुप्रीम कोर्ट कैसे रोक सकता है। 

बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण संभव नहीं : रणदीप सुरजेवाला

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों के मामले में पार्टी कहीं भी पक्षकार नहीं है। ऐसे में हमें सुना जाना चाहिए। अदालत का यह निर्णय पार्टी को संविधान की दसवीं सूची में मिले व्हिप के अधिकार की सही व्याख्या नहीं कर सकता। आखिर बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण कैसे संभव है? गैर हाजिर रहने वाले विधायक तो कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। दूसरे राज्य में वर्तमान सरकार को अपदस्थ करने का षडयंत्र चल रहा है और उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। 

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