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Savarkar: 'जिन्ना से पहले सावरकर ने दिया द्वि-राष्ट्र विचार', प्रियांक खरगे ने आंबेडकर के बयान का दिया हवाला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Published by: नितिन गौतम
Updated Sun, 17 Aug 2025 03:24 PM IST
सार
खरगे ने बताया कि '1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन के दौरान, सावरकर ने कहा था, भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ रह रहे हैं। आज के भारत को एकात्मक और समरूप राष्ट्र नहीं माना जा सकता।'
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प्रियांक खरगे, मंत्री, कर्नाटक
- फोटो : X @PriyankKharge
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विस्तार
कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने दावा किया है कि द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की अवधारणा मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग द्वारा दिए जाने से पहले विनायक दामोदर सावरकर द्वारा दी गई थी। एक्स पर साझा एक पोस्ट में, सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, 'द्वि-राष्ट्र का विचार सबसे पहले वीर सावरकर ने रखा था और उनके टुकड़े-टुकड़े गिरोह ने इसका समर्थन किया था।'
खरगे ने सावरकर के लेखों और भाषणों का दिया हवाला
प्रियांक खरगे ने सावरकर के लेखों और भाषणों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में बताया 'एसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व (1922 में लिखी गई) में, सावरकर हिंदुत्व को धर्म से नहीं, बल्कि मातृभूमि से परिभाषित करते हैं, भारत को 'पितृभूमि और पवित्रभूमि' दोनों के रूप में परिभाषित करते हैं।' खरगे ने बताया कि '1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन के दौरान, सावरकर ने कहा था, भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ रह रहे हैं। आज के भारत को एकात्मक और समरूप राष्ट्र नहीं माना जा सकता। बल्कि भारत में मुख्य तौर पर दो देश हैं: जिनमें हिंदू और मुसलमान हैं।'
ये भी पढ़ें- ECI Live: 'चुनाव आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं, सभी समान', SIR विवाद के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त की दो-टूक
आंबेडकर ने भी दिया था बयान
प्रियांक खरगे ने 1943 में सावरकर द्वारा नागपुर में की गई टिप्पणी का हवाला दिया, 'मुझे जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत से कोई आपत्ति नहीं है। हम हिंदू, अपने आप में एक राष्ट्र हैं, और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।' खरगे ने अपने दावे के समर्थन में संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर की टिप्पणी का हवाला भी दिया, जिसमें आंबेडकर ने कहा था कि 'यह अजीब लग सकता है, लेकिन सावरकर और जिन्ना एक राष्ट्र बनाम दो राष्ट्र के मुद्दे पर एक-दूसरे के विरोधी होने के बजाय, इस पर पूरी तरह सहमत हैं। दोनों न केवल सहमत हैं, बल्कि इस बात पर जोर देते हैं कि भारत में दो राष्ट्र हैं - एक मुस्लिम राष्ट्र और दूसरा हिंदू राष्ट्र। उनके बीच केवल उन शर्तों और नियमों को लेकर मतभेद है। प्रियांक खरगे की इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
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खरगे ने सावरकर के लेखों और भाषणों का दिया हवाला
प्रियांक खरगे ने सावरकर के लेखों और भाषणों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में बताया 'एसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व (1922 में लिखी गई) में, सावरकर हिंदुत्व को धर्म से नहीं, बल्कि मातृभूमि से परिभाषित करते हैं, भारत को 'पितृभूमि और पवित्रभूमि' दोनों के रूप में परिभाषित करते हैं।' खरगे ने बताया कि '1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन के दौरान, सावरकर ने कहा था, भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ रह रहे हैं। आज के भारत को एकात्मक और समरूप राष्ट्र नहीं माना जा सकता। बल्कि भारत में मुख्य तौर पर दो देश हैं: जिनमें हिंदू और मुसलमान हैं।'
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आंबेडकर ने भी दिया था बयान
प्रियांक खरगे ने 1943 में सावरकर द्वारा नागपुर में की गई टिप्पणी का हवाला दिया, 'मुझे जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत से कोई आपत्ति नहीं है। हम हिंदू, अपने आप में एक राष्ट्र हैं, और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।' खरगे ने अपने दावे के समर्थन में संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर की टिप्पणी का हवाला भी दिया, जिसमें आंबेडकर ने कहा था कि 'यह अजीब लग सकता है, लेकिन सावरकर और जिन्ना एक राष्ट्र बनाम दो राष्ट्र के मुद्दे पर एक-दूसरे के विरोधी होने के बजाय, इस पर पूरी तरह सहमत हैं। दोनों न केवल सहमत हैं, बल्कि इस बात पर जोर देते हैं कि भारत में दो राष्ट्र हैं - एक मुस्लिम राष्ट्र और दूसरा हिंदू राष्ट्र। उनके बीच केवल उन शर्तों और नियमों को लेकर मतभेद है। प्रियांक खरगे की इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।