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Khabaron Ke Khiladi: मानसून सत्र में कौन से मुद्दे उठाएगा विपक्ष, ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में कितनी होगी सियासत?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sat, 14 Jun 2025 05:31 PM IST
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सार

ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर भारत में विपक्ष ने केंद्र से स्थिति की जानकारी देने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया कि वह सैन्य अभियान से जुड़े सभी सवालों के जवाब मानसून सत्र में ही देगी। 

Khabaron Ke Khiladi Parliament Monsoon Session from Operation Sindoor against Pakistan Terrorism to Indian Jet
खबरों के खिलाड़ी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद विपक्ष लगातार संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। इन  सबके बीच सरकार ने करीब डेढ़ महीने पहले मानसून सत्र की तारीखों का एलान कर दिया।
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अगला मानसून सत्र कैसा होगा? विपक्ष कौन से मुद्दे उठाएगा? ऐसे ही सवालों पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर, राकेश शुक्ल, पूर्णिमा त्रिपाठी, हर्षवर्धन त्रिपाठी और राजकिशोर मौजूद रहे। 
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राकेश शुक्ल: सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या विपक्ष ने एक डेटलाइन दे रखी थी कि हम आपको इतने मई तक ही ऑपरेशन सिंदूर पर समर्थन करेंगे। पहले समर्थन में सुर मिलाए गए फिर विरोध में सुर मिलाए जा रहे हैं। बिहार में चुनाव होना है, सत्र के दौरान सदन में आप देखेंगे कि विपक्ष बिखरा हुआ नजर आएगा। 

पूर्णिमा त्रिपाठी: जो सवाल अभी भी विपक्ष पूछ रहा है अगर उन सवालों के जवाब इन डेढ़ महीनों में आ जाते हैं तो मानसून सत्र में ऑपरेश सिंदूर हावी रहेगा। लेकिन इसकी संभावना कम दिख रही है। इसलिए मुझे लगता है कि ऑपरेश सिंदूर मानसून सत्र में हावी रहेगा। सवाल वही हैं जो लगातार पूछे जा रहे हैं। अगर एक मिलिट्री एक्शन एक समय के बाद रुक गया तो फिर ऑपरेशन सिंदूर अभी भी कैसे चालू है? सत्र का डेढ़ महीने पहले चालू होना भी चौंकाने वाला है। 

राजकिशोर: ऑपरेशन सिंदूर अभी भी चल रहा है इसका मतलब ये है कि हमारी सेनाएं, सभी सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। बार-बार यह बात कही जा रही है। हमारी सेनाएं इतने समय से तैयारी करती चली आ रही थीं। हमने अपने सभी पत्ते अभी तक खोले भी नहीं हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन की सीमाओं पर स्थितियां समान्य नहीं हैं। अगले डेढ़ महीने में देश और दुनिया में क्या स्थितियां होंगी उसे देखना होगा। 

हर्षवर्धन त्रिपाठी: राहुल गांधी जैसा गैर-जिम्मेदार नेता प्रतिपक्ष भारत में कभी नहीं रहा है। विशेष सत्र की जहां तक बात है तो दो सर्वदलीय बैठक हुई। सरकार ने सात समूहों में अलग-अलग सांसद दुनियाभर में जाकर भारत का पक्ष रख रहे हैं। ये विशेष सत्र से आगे की बात है। पहले कहा जाता था कि कांग्रेस सत्ता की पार्टी और भाजपा विपक्ष की पार्टी है। भाजपा सत्ता में आई तो सत्ता चलाना भी सीख गई। लेकिन, कांग्रेस अब तक विपक्ष की राजनीति नहीं सीख सकी है। 

समीर चौगांवकर: 2014 से 2024 के बाद पहली बार नेता विपक्ष मिला। जनता नेता प्रतिपक्ष के राहुल गांधी के व्यवहार से भविष्य के प्रधानमंत्री के तौर पर आंकने वाली थी। लेकिन, मुझे लगता है कि वो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। राहुल गांधी को विपक्ष के दल ही नेता नहीं मानते हैं। ममता बनर्जी हों, अखिलेश यादव हों। राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष तो बन गए हैं लेकिन विपक्ष के दलों के नेता नहीं बन पाए हैं।
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