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लैंसेट की रिपोर्ट : देश में हाइपरटेंशन के 75 फीसदी मरीजों में रक्तचाप अनियंत्रित, 25 फीसदी युवा दिल के मरीज
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 29 Nov 2022 06:11 AM IST
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सार
कार्डियोवस्कुलर रोगों (सीवीडी) के लिए जोखिम के सबसे बड़े कारणों में से एक है। यह विश्वस्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण है। भारत में सीवीडी कुल मौतें के एक-तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं।

ब्लड प्रेशर
- फोटो : istock
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विस्तार
भारत में हाइपरटेंशन के 75 फीसदी मरीजों में रक्तचाप अनियंत्रित है। इस कारण वयस्कों में दिल के रोगों और मौतों की संख्या अधिक है। वहीं, एक चौथाई से भी कम रोगियों में यह बीमारी नियंत्रण में है। द लैंसेट रीजनल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। 2016-20 के डाटा पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, हाई ब्लडप्रेशर देश में बहुत से वयस्कों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार है।

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केंद्र की रिपोर्ट में भी आया था सामने
यह अध्ययन केंद्र सरकार के 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की भी पुष्टि करता है। उसमें कहा गया था कि 24 फीसदी पुरुषों और 21 फीसदी महिलाओं में उच्च रक्तचाप पाया गया, जो 2015-16 के सर्वेक्षण में पुरुषों और महिलाओं में क्रमश: 19 फीसदी और 17 फीसदी था।
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इस अध्ययन में केरल के शोधकर्ता भी शामिल थे। सरकारी प्रयासों, जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर पहुंच के बावजूद उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सक्षम रोगियों की संख्या पिछले 21 वर्षों में केवल छह फीसदी से बढ़कर 23% हुई है।
हर चार में एक व्यक्ति पीड़ित
सरकारी मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के अल्ताफ अली ने कहा, अनुमान है कि भारत में कम से कम चार वयस्कों में से एक को उच्च रक्तचाप है। कार्डियोवस्कुलर रोगों (सीवीडी) के लिए जोखिम के सबसे बड़े कारणों में से एक है। यह विश्वस्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण है। भारत में सीवीडी कुल मौतें के एक-तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं। दूसरे शब्दों में उच्च रक्तचाप किसी भी अन्य कारण से अधिक वयस्कों की जान लेता है।
बचाई जा सकती हैं लाखों जान
शोधकर्ताओं ने 51 अध्ययनों को अपने शोध में शामिल किया, जिसमें 3.4 लाख मरीज शामिल थे। उन्होंने कहा, उच्च रक्तचाप का इलाज और नियंत्रण सुनिश्चित करने से अगले दशक में लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।