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Lokpal Of India: लोकपाल खरीदेगा सात लग्जरी BMW कारें, जारी किया टेंडर; सार्वजनिक धन के इस्तेमाल पर उठ रहे सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Tue, 21 Oct 2025 03:18 PM IST
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सार

Lokpal Of India: लोकपाल के इस फैसले को कुछ विशेषज्ञ संस्थान की कार्यक्षमता बढ़ाने का प्रयास मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इतनी महंगी कारों की खरीद पर सार्वजनिक धन के उपयोग को लेकर सवाल उठ सकते हैं।

Lokpal moves to procure seven BMW 330 Li Cars through public tender, News in Hindi
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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देश की सर्वोच्च भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल अब अपनी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक व्यवस्था को मजबूत करने जा रही है। इसके तहत लोकपाल कार्यालय ने सात बीएमडब्ल्यू 330 एलआई (लॉन्ग व्हील बेस) कारें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है। इस खरीद के लिए 16 अक्तूबर को सार्वजनिक टेंडर जारी किया गया है। इसमें इच्छुक सप्लायर्स से बोली लगाने को कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रत्येक बीएमडब्ल्यू 330 एलआई की कीमत 60 लाख रुपये से अधिक है। बोली की तकनीकी जांच 7 नवंबर से शुरू होगी। कुल मिलाकर, इन सात कारों की कीमत पांच करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है।
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बीएमडब्ल्यू इंडिया देगी ड्राइवरों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण
कारों की डिलीवरी के बाद कंपनी बीएमडब्ल्यू इंडिया अपने विशेषज्ञों के जरिए लोकपाल कार्यालय के ड्राइवरों और कर्मचारियों को एक हफ्ते का प्रशिक्षण देगी। इस ट्रेनिंग में गाड़ियों के सुरक्षा फीचर्स, सिस्टम और संचालन संबंधी जानकारी दी जाएगी। लोकपाल के एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम संस्था की परिवहन और प्रशासनिक सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया है।

जन लोकपाल आंदोलन के बाद हुआ निकाय का गठन
लोकपाल एक स्वतंत्र निकाय है, जिसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी। इसका गठन जन लोकपाल आंदोलन (2010) के बाद हुआ था, जिसका नेतृत्व समाजसेवी अन्ना हजारे ने किया था। वर्तमान में लोकपाल के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अजय माणिकराव खानविलकर हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं। लोकपाल को प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसदों और केंद्र सरकार के अधिकारियों (ग्रुप A, B, C, और D) के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने का अधिकार है।

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सार्वजनिक धन के इस्तेमाल पर उठ रहे सवाल
इसके अलावा लोकपाल की जांच के दायरे में केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित बोर्ड, निगम, ट्रस्ट, तथा 10 लाख रुपये से अधिक विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले समाज या संस्थाएं भी आती हैं। राज्य स्तर पर ऐसे ही काम के लिए लोकायुक्त की व्यवस्था की गई है।
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