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Manipur: मणिपुर में फिर बढ़ा तनाव, चुराचांदपुर में कुकी नेता के घर में लगाई गई आग; NH-2 को लेकर भी फैला भ्रम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चुराचांदपुर/इंफाल
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 15 Sep 2025 03:01 PM IST
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सार
इस घटना के बाद से चुराचांदपुर जिले में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा बल इलाके में गश्त कर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। हाल ही में हुए समझौते के बावजूद दोनों समुदायों के बीच गहरा अविश्वास बना हुआ है।

फाइल फोटो
- फोटो : ANI
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विस्तार
मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में रविवार देर रात हिंसा भड़क गई जब एक कुकी समुदाय के बड़े नेता का घर भीड़ ने कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया। घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया है। अधिकारियों के मुताबिक, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) के नेता कैल्विन ऐकेंथांग का घर रविवार देर रात जला दिया गया। वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी और इसमें किसी हमले का हाथ नहीं है। इसी दौरान, एक और कुकी नेता गिंजा वुआलजोंग के घर को भी निशाना बनाया गया। गिंजा कुकी जो काउंसिल (केजेडसी) और इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के प्रवक्ता हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के समय पर पहुंचने से उनका घर जलने से बच गया।
यह भी पढ़ें - SIR Row: 'कोई भी गड़बड़ी मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी', कोर्ट ने अंतिम दलीलों के लिए तय की तारीख
हाल ही में हुआ शांति समझौता
बता दें कि 4 सितंबर को दो प्रमुख कुकी-जो संगठनों, केएनओ और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ), ने केंद्र सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते पर फिर से हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में तीन अहम बातें तय हुई थीं। जिसमें पहला- मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना, दूसरा- संगठन के निर्धारित शिविरों को संवेदनशील इलाकों से हटाना और तीसरा- राज्य में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए समाधान की दिशा में काम करना है। अधिकारियों का मानना था कि इस समझौते से मणिपुर में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को शांत करने में मदद मिलेगी।
एनएच-2 को लेकर भी फैला भ्रम
इस बीच, कुकी जो काउंसिल (केजेडसी) ने हाल ही में यह संकेत दिया था कि नेशनल हाईवे-2 को आम लोगों और जरूरी सामान के आवागमन के लिए खोला जा सकता है। लेकिन सोमवार को केजेडसी ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। काउंसिल ने कहा, हमने एनएच-2 को खोलने की घोषणा नहीं की है।' इसके साथ किसी भी तरह की मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी गई है। 'हमने सिर्फ कांगपोकपी जिले के लोगों से सुरक्षा बलों को सहयोग करने की अपील की थी, ताकि हाईवे पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।' केजेडसी ने केंद्र के बयान को गलत व्याख्या बताते हुए कहा कि इससे अनावश्यक भ्रम पैदा हुआ है।
यह भी पढ़ें - Karnataka: बानू मुश्ताक को मैसूर दशहरा उद्घाटन से रोकने वाली याचिकाएं खारिज; हाईकोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका
शांति बनाए रखने की अपील
केजेडसी ने साफ चेतावनी दी कि जब तक मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच विवाद का समाधान नहीं होता, तब तक कोई भी व्यक्ति दूसरे समुदाय के इलाके में प्रवेश न करे। काउंसिल ने आगे कहा कि 'कुकी-जो क्षेत्रों की सीमाओं का सम्मान किया जाए, वरना गंभीर परिणाम होंगे।' काउंसिल ने कहा कि ऐसे उल्लंघन से शांति और सुरक्षा की स्थिति और बिगड़ सकती है। मणिपुर में पिछले साल मई से ही मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, हजारों लोग बसेरा छोड़ने को मजबूर हुए हैं। एनएच-2 राज्य की मुख्य जीवनरेखा है, जो मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है।

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हाल ही में हुआ शांति समझौता
बता दें कि 4 सितंबर को दो प्रमुख कुकी-जो संगठनों, केएनओ और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ), ने केंद्र सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते पर फिर से हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में तीन अहम बातें तय हुई थीं। जिसमें पहला- मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना, दूसरा- संगठन के निर्धारित शिविरों को संवेदनशील इलाकों से हटाना और तीसरा- राज्य में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए समाधान की दिशा में काम करना है। अधिकारियों का मानना था कि इस समझौते से मणिपुर में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को शांत करने में मदद मिलेगी।
एनएच-2 को लेकर भी फैला भ्रम
इस बीच, कुकी जो काउंसिल (केजेडसी) ने हाल ही में यह संकेत दिया था कि नेशनल हाईवे-2 को आम लोगों और जरूरी सामान के आवागमन के लिए खोला जा सकता है। लेकिन सोमवार को केजेडसी ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। काउंसिल ने कहा, हमने एनएच-2 को खोलने की घोषणा नहीं की है।' इसके साथ किसी भी तरह की मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी गई है। 'हमने सिर्फ कांगपोकपी जिले के लोगों से सुरक्षा बलों को सहयोग करने की अपील की थी, ताकि हाईवे पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।' केजेडसी ने केंद्र के बयान को गलत व्याख्या बताते हुए कहा कि इससे अनावश्यक भ्रम पैदा हुआ है।
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शांति बनाए रखने की अपील
केजेडसी ने साफ चेतावनी दी कि जब तक मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच विवाद का समाधान नहीं होता, तब तक कोई भी व्यक्ति दूसरे समुदाय के इलाके में प्रवेश न करे। काउंसिल ने आगे कहा कि 'कुकी-जो क्षेत्रों की सीमाओं का सम्मान किया जाए, वरना गंभीर परिणाम होंगे।' काउंसिल ने कहा कि ऐसे उल्लंघन से शांति और सुरक्षा की स्थिति और बिगड़ सकती है। मणिपुर में पिछले साल मई से ही मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, हजारों लोग बसेरा छोड़ने को मजबूर हुए हैं। एनएच-2 राज्य की मुख्य जीवनरेखा है, जो मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है।
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