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'जवानों, आज खत्म कर दो इनको': BSF एसआई ने ऐसे दी थी प्रेरणा, पढ़ें ऑपरेशन सिंदूर के जांबाजों की शौर्य गाथा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 22 Oct 2025 10:02 PM IST
सार
Operation Sindoor - Saga Of Bravery: ऑपरेशन सिंदूर में भारत के जांबाजों ने अप्रतिम शौर्य, बहादुरी और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया है। हमारे वीरों ने कुछ ही घंटों में पाकिस्तान को न सिर्फ धूल चटाई, बल्कि घुटनों पर आने को मजबूर कर दिया। जिसके पाकिस्तान भारत के सामने संघर्ष विराम की गुहार लगाता दिखा। पढ़ें, ऑपरेशन सिंदूर के जवानों और वायुवीरों के शौर्य की कहानी...
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ऑपरेशन सिंदूर के जांबाजों की शौर्य गाथा
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
मई 2025 में पाकिस्तान के साथ चार दिन चले संघर्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय वायुसेना के पायलटों ने जो जांबाजी दिखाई, उसकी गूंज अब वीरता पदकों के रूप में दर्ज हो चुकी है। कई अधिकारियों को इस ऑपरेशन में दिखाई गई बहादुरी और रणनीतिक कौशल के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
बीएसएफ जवानों ने दिखाई थी अद्भुत बहादुरी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ड्रोन हमले का सामना करते हुए दो बीएसएफ जवानों - सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज और कांस्टेबल दीपक छिंगखाम - ने अपनी जान की परवाह किए बिना अद्भुत बहादुरी दिखाई। उनके इस शौर्य के लिए उन्हें वीर चक्र से (मरणोपरांत) सम्मानित किया गया। सरकारी गजट में 4 अक्तूबर को इस घटना के बारे में बताया गया है कि यह घटना 10 मई को जम्मू के बीओपी खरकोला पर हुई थी। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई से 10 मई तक चला, जिसमें भारतीय रक्षा बलों और बीएसएफ ने पाकिस्तान व पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। घटना के समय बीएसएफ पोस्ट पर तीव्र मोर्टार बर्स्टिंग और ड्रोन हमला हुआ।
मोर्टार शेल से जख्मी होने के बाद भी नहीं कम हुआ हौसला
सब-इंस्पेक्टर इम्तियाज ने अपनी बंकर से बाहर निकलकर लाइट मशीन गन (एलएमजी) का उपयोग कर एक ड्रोन को नष्ट किया। कांस्टेबल छिंगखाम ने दूसरा ड्रोन निशाना बनाया। तभी सीमा पार से मोर्टार शेल फटा और दोनों जवानों को गंभीर चोटें आईं। सब-इंस्पेक्टर इम्तियाज को गंभीर चोटें, जैसे अंगों का मंगला होना, पेट में चोट और गर्दन व हाथों में गहरी छर्रे की चोटें आईं। फिर भी, उन्होंने अपने जवानों को आदेश देते हुए प्रेरित किया और कहा- 'जवानो, आज खत्म कर दो इनको', और इसी बहादुरी के बीच वे शहीद हो गए। कांस्टेबल छिंगखाम को भी सीने में गंभीर चोटें और जंघे में फ्रैक्चर आई, लेकिन उन्होंने इलाज से इंकार किया और अपने साथी का साथ न छोड़ते हुए आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रखी। वीर चक्र, जो परम वीर चक्र और कीर्ति चक्र के बाद तीसरे स्थान का युद्धकालीन पुरस्कार है, उन्हें उनकी असाधारण बहादुरी और साहस के लिए दिया गया।
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बीएसएफ जवानों ने दिखाई थी अद्भुत बहादुरी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ड्रोन हमले का सामना करते हुए दो बीएसएफ जवानों - सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज और कांस्टेबल दीपक छिंगखाम - ने अपनी जान की परवाह किए बिना अद्भुत बहादुरी दिखाई। उनके इस शौर्य के लिए उन्हें वीर चक्र से (मरणोपरांत) सम्मानित किया गया। सरकारी गजट में 4 अक्तूबर को इस घटना के बारे में बताया गया है कि यह घटना 10 मई को जम्मू के बीओपी खरकोला पर हुई थी। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई से 10 मई तक चला, जिसमें भारतीय रक्षा बलों और बीएसएफ ने पाकिस्तान व पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। घटना के समय बीएसएफ पोस्ट पर तीव्र मोर्टार बर्स्टिंग और ड्रोन हमला हुआ।
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मोर्टार शेल से जख्मी होने के बाद भी नहीं कम हुआ हौसला
सब-इंस्पेक्टर इम्तियाज ने अपनी बंकर से बाहर निकलकर लाइट मशीन गन (एलएमजी) का उपयोग कर एक ड्रोन को नष्ट किया। कांस्टेबल छिंगखाम ने दूसरा ड्रोन निशाना बनाया। तभी सीमा पार से मोर्टार शेल फटा और दोनों जवानों को गंभीर चोटें आईं। सब-इंस्पेक्टर इम्तियाज को गंभीर चोटें, जैसे अंगों का मंगला होना, पेट में चोट और गर्दन व हाथों में गहरी छर्रे की चोटें आईं। फिर भी, उन्होंने अपने जवानों को आदेश देते हुए प्रेरित किया और कहा- 'जवानो, आज खत्म कर दो इनको', और इसी बहादुरी के बीच वे शहीद हो गए। कांस्टेबल छिंगखाम को भी सीने में गंभीर चोटें और जंघे में फ्रैक्चर आई, लेकिन उन्होंने इलाज से इंकार किया और अपने साथी का साथ न छोड़ते हुए आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रखी। वीर चक्र, जो परम वीर चक्र और कीर्ति चक्र के बाद तीसरे स्थान का युद्धकालीन पुरस्कार है, उन्हें उनकी असाधारण बहादुरी और साहस के लिए दिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर के लक्ष्य
- फोटो : ANI
ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू की वीरता - वीर चक्र
ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू ने कई 'डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक मिशन' उड़ाए और निर्धारित लक्ष्यों को सटीकता से ध्वस्त किया। उनकी यूनिट ने पश्चिमी मोर्चे से तीन अलग-अलग ठिकानों से ऑपरेशन चलाया और सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। उन्हें जो वीर चक्र से नवाजा गया, उसके सैन्य उद्धरण में कहा गया है, 'उन्होंने जटिल और घने हवाई सुरक्षा घेरे को पार करते हुए असाधारण साहस, तेज निर्णय क्षमता और रणनीतिक कौशल दिखाया। उनकी अगुवाई में स्क्वाड्रन ने वायुसेना की आक्रामक स्थिति को और मजबूत किया।'
यह भी पढ़ें - Army: 'तीनों सेनाओं में एकीकरण स्थापित करना चुनौती', सीडीएस अनिल चौहान बोले- राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल जरूरी
ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू ने कई 'डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक मिशन' उड़ाए और निर्धारित लक्ष्यों को सटीकता से ध्वस्त किया। उनकी यूनिट ने पश्चिमी मोर्चे से तीन अलग-अलग ठिकानों से ऑपरेशन चलाया और सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। उन्हें जो वीर चक्र से नवाजा गया, उसके सैन्य उद्धरण में कहा गया है, 'उन्होंने जटिल और घने हवाई सुरक्षा घेरे को पार करते हुए असाधारण साहस, तेज निर्णय क्षमता और रणनीतिक कौशल दिखाया। उनकी अगुवाई में स्क्वाड्रन ने वायुसेना की आक्रामक स्थिति को और मजबूत किया।'
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बहावलपुर में मिसाइल का इम्पैक्ट
- फोटो : ANI
ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा- मिशन लीडर की निर्णायक उड़ान
ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा ने एक अनएस्कॉर्टेड स्ट्राइक पैकेज का नेतृत्व किया। उनका मिशन अंधेरी रात में बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए, दुश्मन के 'सीमलेस रडार कवरेज' को चकमा देकर लक्ष्य को नष्ट करना था। दुश्मन ने भारी सुरक्षा और आधुनिक मिसाइलों से घेरा बना रखा था, लेकिन उन्होंने खुद की सुरक्षा से ऊपर मिशन को रखा और सटीक वार किया। उन्हें सम्मानित करते हुए कहा गया कि, 'उनकी साहसी और आक्रामक रणनीति ने दुश्मन की खेमे में अफरा-तफरी मचा दी।'
ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा ने एक अनएस्कॉर्टेड स्ट्राइक पैकेज का नेतृत्व किया। उनका मिशन अंधेरी रात में बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए, दुश्मन के 'सीमलेस रडार कवरेज' को चकमा देकर लक्ष्य को नष्ट करना था। दुश्मन ने भारी सुरक्षा और आधुनिक मिसाइलों से घेरा बना रखा था, लेकिन उन्होंने खुद की सुरक्षा से ऊपर मिशन को रखा और सटीक वार किया। उन्हें सम्मानित करते हुए कहा गया कि, 'उनकी साहसी और आक्रामक रणनीति ने दुश्मन की खेमे में अफरा-तफरी मचा दी।'
ऑपरेशन सिंदूर के लक्ष्य
- फोटो : ANI
स्क्वाड्रन लीडर रिजवान मलिक- दुश्मन के बीच तूफान
स्क्वाड्रन लीडर रिजवान मलिक ने अपने मिशन में अद्भुत हिम्मत दिखाई। उन्होंने हवा में तेजी से रणनीति बदली और दुश्मन को 'टैक्टिकल कैओस' यानी रणनीतिक अराजकता में धकेल दिया। उनकी कार्रवाइयों ने विरोधी ताकतों की जवाबी कार्रवाई की क्षमता को पंगु बना दिया।
ऑपरेशन सिंदूर और वीर चक्र सम्मान
ऑपरेशन सिंदूर को पहलगाम हमले के बाद लॉन्च किया गया था। पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकी ढांचों और सैन्य ठिकानों पर की गई इन सटीक हवाई कार्रवाई में वायुसेना की निर्णायक भूमिका रही। इस मिशन में शामिल नौ पायलटों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इनमें ग्रुप कैप्टन सिद्धू, मनीष अरोड़ा, अनीमेश पटानी, कुणाल कालरा और रिजवान मलिक शामिल हैं।
यह भी पढ़ें - Defence: 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर खत्म करने वाली मिसाइल का जलवा, कई मुल्कों को लुभा रही 'आकाश' की मारक क्षमता
स्क्वाड्रन लीडर रिजवान मलिक ने अपने मिशन में अद्भुत हिम्मत दिखाई। उन्होंने हवा में तेजी से रणनीति बदली और दुश्मन को 'टैक्टिकल कैओस' यानी रणनीतिक अराजकता में धकेल दिया। उनकी कार्रवाइयों ने विरोधी ताकतों की जवाबी कार्रवाई की क्षमता को पंगु बना दिया।
ऑपरेशन सिंदूर और वीर चक्र सम्मान
ऑपरेशन सिंदूर को पहलगाम हमले के बाद लॉन्च किया गया था। पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकी ढांचों और सैन्य ठिकानों पर की गई इन सटीक हवाई कार्रवाई में वायुसेना की निर्णायक भूमिका रही। इस मिशन में शामिल नौ पायलटों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इनमें ग्रुप कैप्टन सिद्धू, मनीष अरोड़ा, अनीमेश पटानी, कुणाल कालरा और रिजवान मलिक शामिल हैं।
यह भी पढ़ें - Defence: 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर खत्म करने वाली मिसाइल का जलवा, कई मुल्कों को लुभा रही 'आकाश' की मारक क्षमता
ऑपरेशन सिंदूर की शौर्य गाथा
- फोटो : ANI
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मान
भारत सरकार ने 14 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों की सूची जारी की थी। इनमें चार कीर्ति चक्र, 15 वीर चक्र, 16 शौर्य चक्र, दो बार टू सेना मेडल (गैलेंट्री), 58 सेना मेडल (गैलेंट्री), छह नाओ सेना मेडल (गैलेंट्री), 26 वायु सेना मेडल (गैलेंट्री) शामिल थे। इसके अलावा सात सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक, नौ उत्तम युद्ध सेवा पदक और 24 युद्ध सेवा पदक भी दिए गए।
पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने सात मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। जिसमें कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बिगड़े और दो दशक बाद चरम पर पहुंच गए। वहीं पाकिस्तान की तरफ से भारत के शहरों को निशाना बनाए जाने के बाद, भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी को नाकाम करते हुए उसका माकूल जवाब दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिए। इससे घबराए पाकिस्तान ने भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों देशों ने आपसी चर्चा के बाद लागू किया गया।
भारत सरकार ने 14 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों की सूची जारी की थी। इनमें चार कीर्ति चक्र, 15 वीर चक्र, 16 शौर्य चक्र, दो बार टू सेना मेडल (गैलेंट्री), 58 सेना मेडल (गैलेंट्री), छह नाओ सेना मेडल (गैलेंट्री), 26 वायु सेना मेडल (गैलेंट्री) शामिल थे। इसके अलावा सात सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक, नौ उत्तम युद्ध सेवा पदक और 24 युद्ध सेवा पदक भी दिए गए।
पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारतीय सेना ने सात मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। जिसमें कई कुख्यात आतंकी भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बिगड़े और दो दशक बाद चरम पर पहुंच गए। वहीं पाकिस्तान की तरफ से भारत के शहरों को निशाना बनाए जाने के बाद, भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने सभी को नाकाम करते हुए उसका माकूल जवाब दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को ध्वस्त कर दिए। इससे घबराए पाकिस्तान ने भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों देशों ने आपसी चर्चा के बाद लागू किया गया।