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Jaishankar On Emergency: 'आपातकाल की समाप्ति और मेरा UPSC इंटरव्यू एक ही दिन हुआ', जयशंकर ने साझा किया अनुभव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 20 Jul 2025 06:23 PM IST
सार
Jaishankar Recalls Emergency And UPSC Journey: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आपातकाल के अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि 21 मार्च 1977 को जिस दिन आपातकाल हटा, उसी दिन उनका UPSC इंटरव्यू भी था। उन्होंने कहा कि अपने इंटरव्यू और आपातकाल और उसके बाद की स्थिति से उन्हें दो बड़ी सीख मिली। इस दौरान उन्होंने युवाओं से देश के विकास में भूमिका निभाने की अपील भी की।
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डॉ. एस. जयशंकर, विदेश मंत्री
- फोटो : PTI
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विस्तार
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को अपने UPSC इंटरव्यू के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उनका साक्षात्कार 21 मार्च 1977 को हुआ था, उसी दिन जब देश में 21 महीनों से जारी आपातकाल को खत्म किया गया था। जयशंकर ने बताया कि वे उस समय 22 वर्ष के थे, उन्होंने दिल्ली के शाहजहां रोड पर मौजूद UPSC कार्यालय में इंटरव्यू दिया था। उन्होंने कहा, 'मेरे UPSC इंटरव्यू के दिन ही आपातकाल खत्म हुआ था। मैं उस सुबह का पहला उम्मीदवार था।'
उन्होंने बताया कि यह संयोग केवल तारीख का नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक बदलाव की लहर उनके साक्षात्कार का हिस्सा भी बन गई थी। उस समय 1977 के आम चुनाव के नतीजे सामने आ रहे थे और लोगों को लगने लगा था कि आपातकाल के खिलाफ जनभावना बहुत प्रबल है।
यह भी पढ़ें - UPI Payments: डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेता बना भारत, यूपीआई हर महीने कर रहा 18 अरब रुपयों का लेन-देन
इंटरव्यू से मिली दो बड़ी सीख- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि उस इंटरव्यू से उन्हें दो बड़ी सीख मिली। पहला- दबाव में संवाद करना कैसे सीखें- उन्होंने बताया कि उनसे चुनाव के नतीजों को लेकर सवाल पूछा गया था। उस समय वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राजनीति शास्त्र के छात्र थे और खुद भी चुनाव प्रचार में भाग ले चुके थे। उन्होंने कहा, 'मैं इंटरव्यू में भूल गया कि मैं इंटरव्यू में हूं, और उसी पल मेरी संवाद क्षमता अपने आप निखर आई।' उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी सोच से जुड़े लोगों को बिना नाराज किए सच कहना कठिन था, लेकिन उन्होंने इसे बखूबी निभाया। दूसरा- 'बबल' में रहने वाले खास लोग- जयशंकर ने बताया कि इंटरव्यू बोर्ड के कुछ सदस्य चुनाव परिणामों से हैरान थे। उन्होंने कहा, 'वे यकीन नहीं कर पा रहे थे कि जनता ने ऐसा फैसला किया। लेकिन हम छात्रों को तो पहले से यह हवा महसूस हो रही थी।' इससे उन्हें यह समझ आया कि कई बार देश के शीर्ष पर बैठे लोग जमीनी हकीकत से कटे रहते हैं।
UPSC को बताया 'अग्निपरीक्षा'
विदेश मंत्री जयशंकर ने यूपीएससी परीक्षा को 'अग्निपरीक्षा' बताया और कहा कि यह दुनिया की एक अद्वितीय चयन प्रक्रिया है, जो सेवा के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार चुनती है। उन्होंने नई पीढ़ी के सिविल सेवा उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह 'आपका युग है, आपको काम करना है, परिणाम देना है, और आप ही इस युग के नेतृत्वकर्ता होंगे।'
लोकतंत्र की परिभाषा
जयशंकर ने आगे कहा कि लोकतंत्र की सफलता केवल वोटिंग रिकॉर्ड या प्रतिशत से नहीं मापी जाती। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए सफल लोकतंत्र वह है जिसमें पूरे समाज को अवसर मिले, न कि केवल कुछ लोग ही बाकी समाज की ओर से बोलें।'
यह भी पढ़ें - AI Plane Crash: विदेशी मीडिया के झूठे कवरेज पर बरसे उड्डयन मंत्री नायडू, कहा- AAIB की जांच पर हमें पूरा भरोसा
विकसित भारत की दिशा में योगदान की अपील
विदेश मंत्री ने इस दौरान कहा, 'जब हम 2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ें, तो आपको सोचना होगा कि आपका योगदान क्या होगा।' उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए 20 वर्षों की मानसिकता लेकर चलनी होगी।
भविष्य की चुनौतियों की तैयारी- जयशंकर
उन्होंने आने वाले समय को एआई, ड्रोन, स्पेस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक वाहन और ग्रीन हाइड्रोजन का युग बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत को ऐसी क्षमताओं से लैस करना होगा कि वह किसी भी आपदा में पहला मददगार बन सके।
विदेश सेवा को बताया सर्वोच्च सम्मान
आखिरी में उन्होंने कहा कि भारत का विदेशों में प्रतिनिधित्व करना किसी भी भारतीय के लिए सबसे बड़ा सम्मान है। उन्होंने भरोसा जताया कि 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन नंबर 2 और उससे ऊपर पहुंचना कठिन होगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय प्रयास की जरूरत होगी।
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उन्होंने बताया कि यह संयोग केवल तारीख का नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक बदलाव की लहर उनके साक्षात्कार का हिस्सा भी बन गई थी। उस समय 1977 के आम चुनाव के नतीजे सामने आ रहे थे और लोगों को लगने लगा था कि आपातकाल के खिलाफ जनभावना बहुत प्रबल है।
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इंटरव्यू से मिली दो बड़ी सीख- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि उस इंटरव्यू से उन्हें दो बड़ी सीख मिली। पहला- दबाव में संवाद करना कैसे सीखें- उन्होंने बताया कि उनसे चुनाव के नतीजों को लेकर सवाल पूछा गया था। उस समय वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राजनीति शास्त्र के छात्र थे और खुद भी चुनाव प्रचार में भाग ले चुके थे। उन्होंने कहा, 'मैं इंटरव्यू में भूल गया कि मैं इंटरव्यू में हूं, और उसी पल मेरी संवाद क्षमता अपने आप निखर आई।' उन्होंने यह भी बताया कि सरकारी सोच से जुड़े लोगों को बिना नाराज किए सच कहना कठिन था, लेकिन उन्होंने इसे बखूबी निभाया। दूसरा- 'बबल' में रहने वाले खास लोग- जयशंकर ने बताया कि इंटरव्यू बोर्ड के कुछ सदस्य चुनाव परिणामों से हैरान थे। उन्होंने कहा, 'वे यकीन नहीं कर पा रहे थे कि जनता ने ऐसा फैसला किया। लेकिन हम छात्रों को तो पहले से यह हवा महसूस हो रही थी।' इससे उन्हें यह समझ आया कि कई बार देश के शीर्ष पर बैठे लोग जमीनी हकीकत से कटे रहते हैं।
UPSC को बताया 'अग्निपरीक्षा'
विदेश मंत्री जयशंकर ने यूपीएससी परीक्षा को 'अग्निपरीक्षा' बताया और कहा कि यह दुनिया की एक अद्वितीय चयन प्रक्रिया है, जो सेवा के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार चुनती है। उन्होंने नई पीढ़ी के सिविल सेवा उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह 'आपका युग है, आपको काम करना है, परिणाम देना है, और आप ही इस युग के नेतृत्वकर्ता होंगे।'
लोकतंत्र की परिभाषा
जयशंकर ने आगे कहा कि लोकतंत्र की सफलता केवल वोटिंग रिकॉर्ड या प्रतिशत से नहीं मापी जाती। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए सफल लोकतंत्र वह है जिसमें पूरे समाज को अवसर मिले, न कि केवल कुछ लोग ही बाकी समाज की ओर से बोलें।'
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विकसित भारत की दिशा में योगदान की अपील
विदेश मंत्री ने इस दौरान कहा, 'जब हम 2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ें, तो आपको सोचना होगा कि आपका योगदान क्या होगा।' उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए 20 वर्षों की मानसिकता लेकर चलनी होगी।
भविष्य की चुनौतियों की तैयारी- जयशंकर
उन्होंने आने वाले समय को एआई, ड्रोन, स्पेस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक वाहन और ग्रीन हाइड्रोजन का युग बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत को ऐसी क्षमताओं से लैस करना होगा कि वह किसी भी आपदा में पहला मददगार बन सके।
विदेश सेवा को बताया सर्वोच्च सम्मान
आखिरी में उन्होंने कहा कि भारत का विदेशों में प्रतिनिधित्व करना किसी भी भारतीय के लिए सबसे बड़ा सम्मान है। उन्होंने भरोसा जताया कि 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन नंबर 2 और उससे ऊपर पहुंचना कठिन होगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय प्रयास की जरूरत होगी।