Indian Navy: 'आत्मनिर्भर और युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार', नौसेना कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में बोले नौसेना प्रमुख
भारतीय नौसेना की द्विवार्षिक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 की शुरुआत के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को राष्ट्र का गौरव बताया और कहा कि नौसेना आज एक युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है।

विस्तार
भारतीय नौसेना की द्विवार्षिक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 का दूसरा सत्र गुरुवार से शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने नौसेना की आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम और भविष्य की योजना पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने नौसेना के जवानों की समर्पण भावना, पेशेवर कौशल और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना की भूमिका को राष्ट्र के लिए गर्व का विषय भी बताया।

बता दें कि इससे पहले बुधवार को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना की हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति और विभिन्न चुनौतियों से निपटने में उसकी भूमिका की प्रशंसा की थी।
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भारतीय नौसेना के ताकत पर जोर
नौसेना प्रमुख ने मौजूदा भू-राजनीतिक हालातों पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नौसेना की तैयारी, अनुकूलनशीलता और क्षेत्रीय सहयोग बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि नौसेना आज एक 'कॉम्बैट-रेडी और विश्वसनीय फोर्स' के रूप में उभर चुकी है। उन्होंने बताया कि नौसेना ने हाल के महीनों में कई सफल ऑपरेशनों और संयुक्त मिशनों को अंजाम दिया है। साथ ही नई तकनीक, जहाजों और हथियार प्रणालियों की खरीद से नौसेना की क्षमता और बढ़ी है।
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इन पहलों को बताया अहम
नौसेना प्रमुख ने महासागर दृष्टिकोण के तहत आईओएस सागर मिशन और AIKEYME अभ्यास जैसी पहलों को भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम बताया। उन्होंने कहा कि नौसेना 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। तकनीक के क्षेत्र में नवाचार, नए उपकरणों का समावेश और iDEX पहल इसके मजबूत उदाहरण हैं।
अंत में, उन्होंने सात प्रमुख क्षेत्रों युद्ध क्षमता, बल विकास, बेड़े का रखरखाव, नई तकनीक का उपयोग, मानव संसाधन सुदृढ़ीकरण, संगठनात्मक दक्षता और राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि इन प्राथमिकताओं पर निरंतर काम करते हुए भारतीय नौसेना भारत के समुद्री हितों की सुरक्षा में और अधिक सक्षम बनेगी।