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Naxal: इस वर्ष 312 माओवादियों का सफाया, 836 उग्रवादी गिरफ्तार तो 1639 का आत्मसमर्पण; अब बचे हैं तीन जिले

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 15 Oct 2025 05:37 PM IST
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सार

नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों की संख्या घटकर तीन रह गई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर मात्र 11 रह गई है। इस वर्ष, अभियानगत सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

Naxal: 312 Maoists eliminated this year, 836 left-wing extremists arrested, 1,639 surrendered
नक्सली एम वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने 60 अन्य नक्सलियों के साथ आत्मसमर्पण किया। - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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'नक्सल मुक्त भारत' निर्माण के मोदी सरकार के संकल्प की दिशा में एक बड़ा कदम गया है। नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों की संख्या घटकर तीन रह गई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर मात्र 11 रह गई है। इस वर्ष, अभियानगत सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अभी तक इस साल 312 वामपंथी उग्रवादियों का सफाया किया गया है। 836 वामपंथी उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है तो वहीं 1639 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की राह चुनी है। मोदी सरकार के तहत, बहुआयामी दृष्टिकोण वाली राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति के कठोर कार्यान्वयन से, नक्सल समस्या से निपटने में अभूतपूर्व सफलता मिली है।

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मोदी सरकार के नक्सल-मुक्त भारत के निर्माण के विजन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या 6 से घटाकर 3 कर दी गई है। अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्लूई) से सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं। एलडब्लूई प्रभावित जिलों की श्रेणी में भी यह संख्या 18 से घटकर केवल 11 रह गई है। अब केवल 11 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। 
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, इस वर्ष की ऑपरेशनल सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अभी तक 312 वामपंथी उग्रवादी कार्यकर्ता मारे गए हैं। इनमें भाकपा (माओवादी) महासचिव और 8 अन्य पोलित ब्यूरो/केंद्रीय समिति सदस्य शामिल हैं। 836 वामपंथी उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं। 1639 नक्सली,  आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल हैं। 

मोदी सरकार के कार्यकाल में, बहुआयामी दृष्टिकोण वाली राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति के कठोर क्रियान्वयन के माध्यम से नक्सल समस्या से निपटने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति में सटीक खुफिया जानकारी पर आधारित और जन-हितैषी वामपंथी उग्रवाद (एलडब्लूई) विरोधी अभियान शामिल हैं। 

इन कदमों के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से शून्य क्षेत्रों पर त्वरित नियंत्रण, शीर्ष नेताओं के साथ-साथ जमीनी कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाना, नापाक विचारधारा का मुकाबला करना, बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास और कल्याणकारी योजनाओं का प्रसार, वित्तीय संकट से निपटना, राज्यों और केंद्र सरकारों के बीच बेहतर समन्वय और माओवादी मामलों की जांच और अभियोजन में तेजी लाना शामिल है। 

2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा भारत की "सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती" कहे जाने वाले नक्सलवाद का अब धीरे-धीरे पतन होता दिख रहा है। नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल गलियारे की योजना बनाई थी। 2013 में, विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की सूचना मिली थी। मार्च 2025 तक, यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक रह गई, जिनमें से केवल 06 को 'सबसे अधिक प्रभावित जिलों' के रूप में वर्गीकृत किया गया।

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