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NCERT: शिवाजी से लेकर बाबर-अकबर और औरंगजेब तक, 8वीं की इतिहास की किताब में क्या-क्या बदला, जानें

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Thu, 17 Jul 2025 07:41 PM IST
सार

एनसीईआरटी ने आठवीं क्लास के पाठ्यक्रम में क्या-क्या बदलाव किए हैं? इन बदलावों के पीछे की वजह क्या बताई गई है? किताब में किन-किन चैप्टर्स को हटा दिया गया है और किन जानकारियों को कम कर दिया गया है? आइये जानते हैं...

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NCERT changes Social Science syllabus of Class 8th from Mughals to Maratha Kingdom Babur Akbar and Shivaji
एनसीईआरटी ने इतिहास के पाठ्यक्रम में किया बदलाव। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ ही नई संपादित किताबों का प्रकाशन शुरू कर दिया है। अब नई किताबों से जुड़ी सामग्री में बदलाव को लेकर कई जानकारियां भी सामने आ रही हैं। हालिया बदलाव कक्षा आठ की सामाजिक विज्ञान की किताब में देखने को मिला है, जिसमें दिल्ली सल्तनत से लेकर मुगलों के इतिहास को लेकर कई पुरानी चीजें हटा दी गई हैं, जबकि कुछ नए तथ्य जोड़े गए हैं। इसके अलावा ब्रिटिश शासन के इतिहास को लेकर भी कई अहम जानकारियां जोड़ी गई हैं। 


ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर एनसीईआरटी ने आठवीं क्लास के पाठ्यक्रम में क्या-क्या बदलाव किए हैं? इन बदलावों के पीछे की वजह क्या बताई गई है? किताब में किन-किन चैप्टर्स को हटा दिया गया है और किन जानकारियों को कम कर दिया गया है? आइये जानते हैं...
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अलग-अलग काल को लेकर क्या बदलाव किए गए?

1. दिल्ली सल्तनत से जुड़ा इतिहास
एनसीईआरटी की नई किताब में बताया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी के सिपहसालार मलिक कफूर ने हिंदुओं के कई अहम केंद्रों, जैसे- श्रीरंगम, मदुरै, चिदंबरम और संभवतः रामेश्वरम को भी निशाना बनाया था। दिल्ली सल्तनत के काल को बौद्धों, जैनों और हिंदू मंदिरों पर हमले और पवित्र प्रतिमाओं को ध्वस्त करने के काल के तौर पर दर्शाया गया है। ऐसा विनाश न सिर्फ लूटपाट, बल्कि मूर्ति पूजा को खत्म करने के लिए भी था। जहां पुरानी 7वीं की किताब में जजिया कर को गैर-मुस्लिमों द्वारा दिया जाने वाला टैक्स कहा गया था, वहीं अब आठवीं की किताब में जजिया को गैर-मुस्लिमों के लिए सुरक्षा और सैन्य सेवा बचाने वाला कर कहा गया है। किताब में कहा गया है कि जजिया कर लोगों को बांटने वाला कर था, जिससे सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत किया जाता था। इसके जरिए करदाताओं पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाया जाता था, ताकि उन्हें कर से छूट मिल सके।

2. मुगल साम्राज्य से जुड़ा इतिहास

बाबर: मुगल काल के संस्थापक बाबर पर कक्षा सातवीं की पुरानी किताब में कहा गया था कि उसे अपना पैतृक शासन छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। उसने बाद में काबुल और फिर दिल्ली और आगरा पर कब्जा किया था। अब, 8वीं की किताब में बाबर की जीवनी के हवाले से दावा किया गया है कि वह सांस्कृतिक और बौद्धिक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति था। लेकिन वह क्रूर और निर्दयी भी था जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया। किताब में कहा गया है कि बाबर ने कत्लेआम के साथ महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया, और लूटे गए शहरों के मारे गए लोगों की ‘खोपड़ियों की मीनारें’ खड़ी करने में गर्व महसूस किया।

अकबर: नई किताब में अकबर के शासनकाल को क्रूरता और सहिष्णुता का मेलजोल बताया गया है। इसमें कहा गया है कि जब अकबर ने चित्तौड़गढ़ के राजपूत किले पर हमला किया और करीब 30,000 नागरिकों के नरसंहार का आदेश दिया", तो उसने विजय संदेश भेजा- "हम काफिरों के कई किलों और कस्बों पर कब्जा करने में सफल रहे हैं और वहां इस्लाम की स्थापना की है। अपनी रक्तपिपासु तलवार की ताकत से, हमने उनके मन से काफिरों के निशान मिटा दिए हैं और उन जगहों पर और पूरे हिंदुस्तान में मंदिरों को ध्वस्त कर दिया है।" एनसीईआरटी की किताब में यह भी बताया गया है कि बाद में अकबर ने विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता के बावजूद प्रशासन के उच्च पदों पर गैर-मुसलमानों को कम ही जगह दी गई।

NCERT: अकबर 'निर्दयी लेकिन सहिष्णु', औरंगजेब 'कठोर धार्मिक शासक'; नई किताब में मुगल इतिहास का नया दृष्टिकोण

औरंगजेब: औरंगजेब के बारे में किताब में कहा गया है कि कुछ विद्वान मानते हैं कि उसके कदमों के पीछे के इरादे मुख्यतः राजनीतिक थे। उदाहरण में मंदिरों को दी जाने वाली उसकी सहायता और सुरक्षा का जिक्र किया गया है। हालांकि, औरंगजेब के फरमान उसके धार्मिक इरादों के बारे में भी बताते थे। किताब में कहा गया है कि उसने प्रांत के शासकों को स्कूलों-मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। उसने बनारस, मथुरा, सोमनाथ और जैन मंदिरों के साथ सिख गुरुद्वारों को भी ढहाया। 

एनसीईआरटी ने इस काल के प्रशासनिक ढांचे को लेकर भी जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सल्तनत और मुगलों के काल में आर्थिक गतिविधियां उच्च स्तर पर थीं। साथ ही शहरों की स्थितियां भी बदल रही थीं। भारतीय समाज ने शहरों, मंदिरों और अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, 17वीं शताब्दी से देश आर्थिक दबाव में आना शुरू हो गया।

जहांगीर और शाहजहां: अकबर के बाद सत्ता में आए जहांगीर और शाहजहां को किताब में कला और वास्तुकला का संरक्षक बताया गया है। शाहजहां को ताजमहल के निर्माण के लिए विशेष रूप से याद किया गया, लेकिन ये भी बताया गया कि शाहजहां की बीमारी के बाद उत्तराधिकार की लड़ाई में औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह की हत्या कर दी और अपने पिता को बंदी बना लिया।
 

3. मराठा साम्राज्य
दिल्ली सल्तनत और मुगलकाल के बाद किताब में मराठा साम्राज्य पर भी एक चैप्टर दिया गया है। इसमें शिवाजी को जबरदस्त कूटनीतिज्ञ और सच्चा दूरदर्शी बताया गया है। किताब में कहा गया है कि मराठाओं ने भारत की सांस्कृतिक विकास यात्रा में बेहतरीन योगदान दिया। किताब में कहा गया है कि शिवाजी एक समर्पित हिंदू थे, जो सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उन्होंने न सिर्फ ढहाए गए मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया, बल्कि अपने धर्म को भी आगे बढ़ाया। उधर पुरानी किताब में कहा गया था कि शिवाजी ने एक मजबूत मराठा साम्राज्य की स्थापना की और एक सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी। 

NCERT changes Social Science syllabus of Class 8th from Mughals to Maratha Kingdom Babur Akbar and Shivaji
शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में जीता था पहला युद्ध - फोटो : X/@Sumita327
किताब में शामिल किया गया है एक दिशा-निर्देश
सामाजिक विज्ञान की किताब में दिल्ली सल्तनत से ब्रिटिश साम्राज्य की शुरुआत तक के समयकाल के बारे में बताया गया है। इस समय को किताब में इतिहास का काला अध्याय करार दिया गया है, जिसमें युद्ध, उत्पीड़न, धार्मिक कट्टरता और खून बहाने की घटनाओं की भरमार रही। हालांकि, किताब में एक नोट भी लगाया गया है, जिसमें कहा गया है कि इतिहास के काले अध्याय को बिना किसी दुराग्रह के पढ़ा जाना जरूरी है, वह भी आज के समय में किसी को दोष दिए बिना, ताकि इतिहास की गलतियों को सुधारा जा सके और एक ऐसे भविष्ट की परिकल्पना की जा सके, जिसमें ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
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