Mizoram: पूर्वोत्तर भारत को मिली नई रफ्तार; मिजोरम पहुंची रेल लाइन, 26 वर्षों का सपना हुआ साकार
पूर्वोत्तर भारत का राज्य मिजोरम की राजधानी ऑइजोल देश के ब्रॉड गेज रेलवे नेटवर्क से जुड़ गया है। परियोजना के अंतर्गत 51.38 किमी लंबी ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया गया है। इस पर 100 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेनों का परिचालन संभव है।

विस्तार
पूर्वोत्तर भारत के राज्य मिजोरम के लिए वर्ष 2025 इतिहास में एक मील के पत्थर के रूप में दर्ज हुआ है। 26 वर्ष पहले जो सपना देखा गया था, अब जाकर साकार हुआ है। पहली बार इस पर्वतीय राज्य की राजधानी ऑइजोल देश के ब्रॉड गेज रेलवे नेटवर्क से जुड़ गया है। इससे मिजोरम की दूरी देश की राजधानी दिल्ली से और करीब हो गई है।

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यह ऐतिहासिक उपलब्धि बैरबी-सैरंग ब्रॉड गेज रेल परियोजना के पूरा होने से संभव हो सकी है। यह न केवल मिजोरम, बल्कि समग्र पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता के लिए भी एक क्रांतिकारी कदम है।
परियोजना की कल्पना 1999 में की गई थी
मिजोरम भारत का एक दूरस्थ, पहाड़ी और सीमावर्ती राज्य है। इसकी सीमाएं उत्तर में असम और मणिपुर, पश्चिम में त्रिपुरा और बांग्लादेश, पूर्व व दक्षिण में म्यांमार से मिलती हैं। इस परियोजना की कल्पना 1999 में की गई थी।
प्रधानमंत्री ने 2014 में रखी थी आधारशिला
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2014 को बैरबी-सैरंग रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसके बाद भूमि अधिग्रहण कार्य 2014–15 में पूर्ण किया गया और 2015–16 से निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यह परियोजना 2025 में पूरी हुई और जून 2025 में रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआएस) ने इसके संचालन की अनुमति प्रदान की।
कुतुबमीनार से भी ऊंचा है एक पुल
शर्मा ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत 51.38 किमी लंबी ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का निर्माण किया गया है। इस पर 100 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेनों का परिचालन संभव है। इस रेल खंड पर बैरबी से सैरंग के बीच हॉर्तोकी, कवनपुई और मुआलखांग स्टेशन स्थित हैं। परियोजना में कुल 48 सुरंगें बनाई गई हैं, जिनकी कुल लंबाई 12.85 किमी है। इसके अलावा, 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवरब्रिज तथा 9 रोड अंडरब्रिज भी बनाए गए हैं। इनमें से सबसे ऊंचा पुल 104 मीटर ऊंचा है, जो दिल्ली की कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। इस परियोजना की कुल लागत ₹7,714 करोड़ आंकी गई है और इसके निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे (एनएफआर) को दी गई थी।
देश की राजधानी से कई हुई मिजोरम की दूरी
अब मिजोरम की राजधानी आइज़ोल भी भारतीय रेल मानचित्र पर दर्ज हो चुकी है। इससे मिजोरम की दूरी अब राजधानी से और कम हो गई है। इतना ही नहीं इसके साथ ही पूर्वोत्तर की अन्य राज्य राजधानियां, गुवाहाटी (असम), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), अगरतला (त्रिपुरा), और शिलांग (मेघालय) ब्रॉड गेज नेटवर्क से जुड़ा है।

‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को गति देने वाला एक प्रमुख प्रोजेक्ट
बइरबी–सायरंग रेलवे परियोजना मिजोरम के विकास की नई रेल बन चुकी है। यह कनेक्टिविटी से कहीं आगे, एक सामाजिक, आर्थिक और सामरिक बदलाव का वाहक बन चुकी है। इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण पहलू इसका सामरिक महत्व है। म्यांमार सीमा के करीब होने के कारण यह रेलवे लाइन भारत की सामरिक रणनीति को भी मजबूती देती है। यह भविष्य में दक्षिण-पूर्व एशिया तक रेलवे संपर्क के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है और भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को गति देने वाला एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है।
मिजोरम के सीएम ने दिया पीएम को न्यौता
मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास पर उनसे मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को हाल ही में पूरी हुई बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन और नए सैरांग रेलवे स्टेशन के औपचारिक उद्घाटन के लिए आमंत्रित भी किया। प्रधानमंत्री ने इस निमंत्रण को स्वीकार किया और कहा कि अगर समयानुसार संभव हुआ तो वे स्वयं उद्घाटन करने आएंगे। सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन के लिए मिजोरम आएंगे।