Supreme Court: 'जाति आधारित राजनीतिक दल देश के लिए खतरनाक', AIMIM के पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति के आधार पर राजनीति करने वाली पार्टियां देश के लिए खतरनाक हैं। कोर्ट ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के पंजीकरण रद्द करने की मांग करने वाली याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि एआईएमआईएम के घोषणापत्र के अनुसार समाज के हर पिछड़े वर्ग के लिए काम करती है, जो संविधान में मान्य है। साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे बिना किसी विशेष पार्टी या व्यक्ति को निशाना बनाए व्यापक मुद्दों पर सामान्य याचिका दाखिल करें।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जाति के आधार पर राजनीति करने वाले राजनीतिक दल देश के लिए समान रूप से खतरनाक हैं। कोर्ट ने उस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि एआईएमआईएमके संविधान के अनुसार इसका मकसद समाज के हर पिछले वर्ग के लिए काम करना है, जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं। यह संविधान में स्वीकार्य है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन पेश हुए। बेंच ने जैन से कहा, पार्टी कहती है कि वह समाज के हर पिछले वर्ग के लिए काम करेगी, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय और आर्थिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े मुसलमान भी शामिल हैं। यह हमारे संविधान का सिद्धांत है। संविधान अल्पसंख्यकों को कुछ अधिकार देता है और पार्टी का राजनीतिक घोषणा पत्र या संविधान कहता है कि वह उन अधिकारों की रक्षा करेगी।
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'नई याचिका दाखिल करें, आम मुद्दे उठाएं'
बेंच ने जैन से कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका वापस ले लें, जिसमें एआईएमआईएम के पंजीकरण और चुनाव आयोग की ओर से मिली मान्यता को चुनौती दी गई थी। इसके बजाय उन्होंने सुझाव दिया कि वह एक व्यापक याचिका दाखिल करें, जिसमें राजनीतिक दलों के सुधार के लिए सामान्य मुद्दे उठाए जा सकें।
'जाति के आधार पर राजनीति करना खतरनाक'
शीर्ष कोर्ट ने कहा, शायद आप सही कह रहे हैं कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जहां पार्टी या उसके उम्मीदवार धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले अभियान में संलिप्त हो सकते हैं। लेकिन इस मामले को उचित मंच पर उठाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, कुछ राजनीतिक दल जाति के आधार पर राजनीति करती हैं, जो देश के लिए उतना ही खतरनाक है। इसकी अनुमति नहीं है। आप एक सामान्य याचिका दाखिल करें, जिसमें किसी विशेष दल या व्यक्ति पर आरोप न लगाएं, बल्कि सामान्य मुद्दे उठाएं। हम उस पर ध्यान देंगे।
'इस्लामी शिक्षा को बढ़ावा देना गलत नहीं'
जैन ने कहा कि एआईएमआईएम मुसलमानों के बीच इस्लामी शिक्षा को बढ़ावा देने और शरीयत कानून का पालन करने की जागरूकता पैदा करने की बात भी करती है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, इसमें क्या गलत है? इस्लामी शिक्षा देना गलत नहीं है। हम स्वागत करेंगे यदि और अधिक राजनीतिक दल देश में शिक्षण संस्थान स्थापित करें। इसमें कोई गलत बात नहीं है। जैन ने दावा किया कि चुनाव आयोग में अगर वह हिंदू नाम से पार्टी पंजीकृत कराने जाए और वेद, पुराण और उपनिषद पढ़ाने का आश्वासन दे, तो उसकी याचिका खारिज कर दी जाएगी।
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'प्राचीन ग्रंथों को पढ़ना गलत नहीं'
इस पर बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग वेद, पुराण, शास्त्र या किसी धार्मिक ग्रंथ की पढ़ाई को लेकर कोई आपत्ति उठाता है, तो आप उचित मंच पर जाएं। कानून इसकी देखभाल करेगा। हमारे प्रांचीन ग्रंथ, किताबें या इतिहास पढ़ना कोई गलत नहीं है। कानून में कोई प्रतिबंध नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर कोई पार्टी अस्पृश्यता (छुआछूत) को बढ़ावा देती है, तो वह बिल्कुल गलत है और उसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। लेकिन अगर संविधान किसी धार्मिक कानून की रक्षा करता है और पार्टी उसे पढ़ाने की बात करती है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा, मान लीजिए कोई धार्मिक कानून संविधान के तहत सुरक्षित है और कोई राजनीतिक दल कहता है कि हम उस कानून को पढ़ाएंगे, तो उन्हें पढ़ाने की अनुमति मिलेगी क्योंकि यह संविधान के अंतर्गत है। यह संविधान के दायरे में है और आपत्तिजनक नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका
16 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एआईएमआईएम के पंजीकरण और मान्यता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि पार्टी ने कानून के तहत सभी आवश्यकताएं पूरी की हैं। हाईकोर्ट ने एकल जज के फैसले से सहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और यह एआईएमआईएम सदस्यों के मौलिक अधिकारों में दखल है। उनका अधिकार है कि वे अपनी राजनीतिक मान्यताओं और मूल्यों के साथ राजनीतिक पार्टी बनाएं।
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