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ऑक्सीजन खो रहे जल स्रोत: धरती की स्थिरता को खतरा; शोध में दावा- समय रहते नहीं चेते तो बदल जाएगा खाद्य चक्र
अमर उजाला नेटवर्क
Published by: शिव शुक्ला
Updated Sat, 03 Aug 2024 05:09 AM IST
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सार
रेनसेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट से जुड़े वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक, 1980 के बाद से झीलों ने करीब साढ़े पांच फीसदी तो जलाशयों ने 18.6 फीसदी ऑक्सीजन खो दी है। 1960 के बाद महासागरों के पानी में घुली ऑक्सीजन में दो फीसदी की गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, मध्य कैलिफोर्निया के जलक्षेत्रों ने हाल के दशकों में अपनी 40 फीसदी ऑक्सीजन खो दी है।

ऑक्सीजन खो रहे जल स्त्रोत
- फोटो : संवाद
विस्तार
दुनियाभर के जल स्रोत तेजी से ऑक्सीजन खो रहे हैं। इनमें नदियां, झरने, झीलें, जलाशय, तालाब से लेकर मुहाने, समुद्र तट और यहां तक की महासागर भी शामिल हैं। इससे पृथ्वी की स्थिरता को खतरा हो सकता है।
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रेनसेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट से जुड़े वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक, 1980 के बाद से झीलों ने करीब साढ़े पांच फीसदी तो जलाशयों ने 18.6 फीसदी ऑक्सीजन खो दी है। 1960 के बाद महासागरों के पानी में घुली ऑक्सीजन में दो फीसदी की गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, मध्य कैलिफोर्निया के जलक्षेत्रों ने हाल के दशकों में अपनी 40 फीसदी ऑक्सीजन खो दी है। अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि सभी प्रकार के जल स्रोतों में नाटकीय रूप से ऑक्सीजन की कमी आई है। अध्ययन के अनुसार पानी में घुली यह ऑक्सीजन जीवन के लिए बेहद आवश्यक है और पानी में इसकी कमी सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ पृथ्वी की स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकती है।
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प्रजातियों पर गंभीर रूप से असर
शोधकर्ताओं के अनुसार, पानी में ऑक्सीजन का गिरता स्तर प्रजातियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। यह पूरे खाद्य जाल को बदल सकता है। इसकी वजह से जीवों में अक्सर संवेदी क्षमता में गिरावट, धीमी वृद्धि के साथ उनके आकार और प्रजनन में कमी आ रही है। आगे चलकर ऑक्सीजन की यह कमी जीवों की बड़े पैमाने पर मौतों की वजह बन सकती है। इस वजह से पारिस्थितिकी तंत्र भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
बढ़ता तापमान भी वजह
शोधकर्ताओं के अनुसार, जलीय ऑक्सीजन की कमी जलवायु और भूमि उपयोग में आ रहे बदलावों से बहुत हद तक जुड़ी है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बढ़ता तापमान पानी में घुलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही पानी की परतों के साथ गहराई में वेंटिलेशन की कमी और ऑक्सीजन की खपत में वृद्धि इसकी गिरावट को बढ़ा देती है। इतना ही नहीं ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषक, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को बाधित कर रहे हैं जो साफ पानी और समुद्री जीवों दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।