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Supreme Court: RCOM से जुड़ी कथित बैंक धोखाधड़ी की अदालत की निगरानी में होगी जांच? PIL पर सुनवाई करेगा कोर्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 17 Nov 2025 04:30 PM IST
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SC to hear PIL for court-monitored probe into alleged banking fraud involving RCOM
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)
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सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा, जिसमें रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम),  उसकी समूह कंपनियों और प्रमोटर अनिल अंबानी से जुड़े कथित बैंकिंग और कॉर्पोरेट घोटाले की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने यह याचिका चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के सामने तत्काल सुनवाई के लिए रखी। 
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वकील प्रशांत भूषण ने कहा, यह 20 हजार करोड़ रुपये का बैंक घोटाला है। हम स्वतंत्र और कोर्ट की निगरानी में जांचकी मांग कर रहे हैं। यह एक बड़े कॉर्पोरेट समूह का मामला है। सीजेआई ने कहा, हम इसे सूचीबद्ध करेंगे। 
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जनहित याचिका पूर्व केंद्रीय सचिव ईएएस सरमा की ओर से दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अनिल अंबानीकी अगुवाई वाले रिलायंस एडीए समूह की कई कंपनियों ने सार्वजनिक धन की सुनियोजित तरीके से हेराफेरी की है, फर्जी वित्तीय स्टेटमेंट तैयार किए हैं और इसमें कई संस्थाओं की मिलीभगत शामिल है। 

याचिका में कहा गया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज की गई 21 अगस्त की प्राथमिकी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई इस बड़े का केवल एक छोटा हिस्सा कवर कर रही है। पीआईएल में दावा किया गया है कि गहन फोरेंसिक ऑडिट में गंभीर अनियमितताओं का पता चलने के बावजूद न तो सीबीआई और न ही ईडी बैंक अधिकारियों, ऑडिटरोंया नियामकों की भूमिका की जांच कर रही है, जो एक गंभीर विफलता है। 

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याचिका में यह भी कहा गया कि धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और धोखाधड़ी के परिणाम बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले में न्यायिक रूप से स्वीकार किए जा चुके हैं। 

जनहित याचिका के मुताबिक, आरकॉम और उसकी सहायक कंपनियां रिलायंस इंफ्राटेल और रिलायंस टेलीकॉम ने 2013 से 2017 के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह से 31580 करोड रुपये का कर्जलिया। एसबीआई की ओर से कराए गए फोरेंसिक ऑडिट (2020) में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर पैसे की हेराफेरी दिखी, जिसमें हजारों करोड़ रुपये असंबंधित कर्ज चुकाने में लगाए जाने का खुलासा हुआ। इसमें कहा गया गया कि ये परिणाम वित्तीय स्टेटमेंट में हेराफेरी और खातों को गलत तरीके से प्रस्ता करने की ओर संकेत कर रहे हैं। 

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