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SIR: एसआईआर पर रार! टीएमसी बोली- ये एक तरह का एनआरसी; भाजपा का पलटवार- डेमोग्राफी बदली जा रही

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता Published by: नितिन गौतम Updated Tue, 04 Nov 2025 12:34 PM IST
सार

सुष्मिता देव ने कहा कि असम में एनआरसी की प्रक्रिया विफल हो चुकी है और भाजपा अपमान से बचने के लिए असम में एसआईआर नहीं करा रही है। 

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SIR in west bengal arise political storm tmc vs bjp demography nrc statement
मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण - फोटो : एएनआई
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बंगाल समेत देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम शुरू हो गया है। इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी और विरोध भी शुरू हो गया है। भाजपा ने जहां आरोप लगाया कि अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करके बंगाल की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) को बदला जा रहा है। वहीं असम में टीएमसी ने आरोप लगाया है कि एसआईआर भी एक तरह का एनआरसी है।
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टीएमसी ने एसआईआर को बताया एनआरसी
असम में तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने एसआईआर को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'एसआईआर एक तरह का एनआरसी है, जिसकी बात पूरा विपक्ष कर रहा है। एसआईआर असम में क्यों नहीं हो रहा है? ये इस बात का सबूत है कि ये एनआरसी है। असम में 2013 से 2019 के बीच तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपने पेपर दिखाए। अगर असम में एसआईआर होता है तो भाजपा को जवाब देना होगा कि एनआरसी का क्या हुआ।' सुष्मिता देव ने कहा कि असम में एनआरसी की प्रक्रिया विफल हो चुकी है और भाजपा अपमान से बचने के लिए असम में एसआईआर नहीं करा रही है। 
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भाजपा का आरोप- डेमोग्राफी बदली जा रही
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने एसआईआर को लेकर कहा कि 'अगर ममता बनर्जी को कुछ कहना है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं। राज्य में अराजकता का माहौल है और कानून व्यवस्था ध्वस्त है। चाहे आरजी कर हो, मुर्शिदाबाद हो या डेमोग्राफी बदलने की बात...ममता बनर्जी रोहिंग्याओं को राज्य में बुला रही हैं। क्या लोग चाहते हैं कि रोहिंग्याओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए। सिर्फ बंगाल में ही जनसांख्यिकी नहीं बदली जा रही है बल्कि बिहार और झारखंड में भी ऐसा हो रहा है।' समिक भट्टाचार्य ने कहा कि 'पश्चिम बंगाल के लोग एसआईआर चाहते हैं और ये होकर रहेगा।'



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