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Supreme Court: 'अगर हम अपने डॉक्टरों का ध्यान नहीं रखेंगे तो समाज हमें माफ नहीं करेगा', शीर्ष कोर्ट की टिप्पणी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Tue, 28 Oct 2025 03:14 PM IST
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सार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि अगर न्यायपालिका अपने डॉक्टरों की देखभाल नहीं करती है और उसके साथ खड़े नहीं होती है, तो समाज उसे माफ नहीं करेगा।

Society won't forgive us if we don't take care of our doctors: supreme court
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज न्यायपालिका को माफ नहीं करेगा, अगर वह डॉक्टरों का ख्याल नहीं रखती है और उनके साथ खड़े नहीं होती है। शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की। याचिका निजी क्लीनिक, डिस्पेंसरी और गैर-मान्यता प्राप्त अस्पतालों में कोविड-19 से लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को बीमा पॉलिसी में शामिल न करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। 


जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि बीमा कंपनियां वैध दावों का निपटारा करें। बेंच ने आगे कहा कि यह धारणा सही नहीं है कि निजी अस्पतालों के डॉक्टर केवल लाभ कमाने के लिए काम कर रहे थे। 
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बेंच ने मौखिक रूप से कहा, अगर आपके अनुसार यह शर्त पूरी होती है कि वे (निजी डॉक्टर आदि) कोविड प्रतिक्रिया में थे और कोविड के कारण उनकी मृत्यु हुई, तो आपको बीमा कंपनी को भुगतान करने के लिए बाध्य करना चाहिए। केवल इसलिए कि वे सरकारी सेवा में नहीं थे और यह सोचना कि वे मुनाफा कमा रहे थे और इसलिए बैठे थे, सही नहीं है।

शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री बीमा योजना के अलावा अन्य समान या समांतर योजनाओं के बारे में प्रासंगिक आंकड़े और जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा, हमें आंकड़ों और अन्य समांतर योजनाओं की जानकारी दीजिए जो प्रधानमंत्री बीमा योजना के अलावा उपलब्ध हैं। हम एक नियम तय करेंगे और उसके आधार पर बीमा कंपनी से दावे किए जा सकते हैं। हमारे फैसले के आधार पर बीमा कंपनी विचार करेगी और आदेश पारित करेगी। 

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कोर्ट प्रदीप अरोड़ा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के नौ मार्च 2021 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि निजी अस्पताल के कर्मचारी को तब तक बीमा योजना के तहत लाभ नहीं मिल सकता, जब तक राज्य या केंद्र सरकार की ओर से उनकी सेवाएं न मांगी गई हों। 

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