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Mumbai: पोती से दुष्कर्म मामले में बुजुर्ग व्यक्ति को कोर्ट ने किया बरी, कहा- पीड़िता की गवाही भरोसेमंद नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: Jeet Kumar Updated Fri, 08 Sep 2023 10:17 PM IST
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सार

मुंबई की एक विशेष अदालत ने पोती से दुष्कर्म मामले में बुजुर्ग व्यक्ति को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उसे पीड़िता की गवाही भरोसेमंद नहीं लगी।

special POCSO court here has acquitted a elderly man accused of misdeed his granddaughter
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुंबई की एक विशेष अदालत ने पोती से दुष्कर्म मामले में बुजुर्ग व्यक्ति को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उसे पीड़िता की गवाही भरोसेमंद नहीं लगी। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो अधिनियम) के तहत गठित अदालत की अध्यक्षता कर रही विशेष न्यायाधीश कल्पना पाटिल ने पांच सितंबर को आरोपी को बरी कर दिया।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जांच के विभिन्न चरणों में पीड़ित लड़की द्वारा बताए गए अलग-अलग नामों और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले व्यक्ति का नाम छिपाने की उसकी हरकत को ध्यान में रखते हुए, पीड़ित लड़की की मौखिक साक्ष्य विश्वसनीय नहीं लगते है। अदालत ने कहा कि उसकी गवाही किसी अन्य सबूत से भी मेल नहीं खाती है।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता, नाबालिग, अपने दादा-दादी के साथ रहती थी। जून 2018 में, लड़की अपने दादा के सामने बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां यह पता चला कि वह गर्भवती थी। इसके बाद, उसके दादा ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

पूछताछ के दौरान पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसने एक लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, जिससे वह गर्भवती हो गई. बाद में, उसने एक और बयान दिया, जिसमें कहा गया कि उसके दादा ने उसके साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाए और उसे धमकी भी दी कि वह अपने कृत्य के बारे में किसी और को न बताए। लड़की ने पुलिस को बताया कि उसे अक्तूबर 2017 में अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला। पीड़िता ने पुलिस को अपने निजी अंगों को कथित तौर पर बुजुर्ग रिश्तेदार द्वारा सिगरेट या माचिस की तीली से जलाने की भी जानकारी दी। 

अदालत के आदेश में कहा गया है कि पीड़िता ने स्वीकार किया है कि जब उसका मासिक धर्म नहीं हुआ तो उसने यह बात अपनी सहेली को बताई और अपनी सहेली की मां के साथ अस्पताल गई। इसमें कहा गया है कि फिर सवाल उठता है कि पीड़िता ने आरोपियों की करतूतों के बारे में उन्हें क्यों नहीं बताया।

अदालत ने बताया कि पीड़िता कुछ दिन घर से गायब थी जो एक और आरोपी के साथ रिलेशन में थी, इसके बाद दादा ने 2015 में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता ने दादा द्वारा किए गए कथित यौन उत्पीड़न या जलने की चोटों के खिलाफ पुलिस से संपर्क क्यों नहीं किया। न्यायाधीश ने कहा कि भी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचती हूं कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है।

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