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SC: 'समय के साथ बदलना नहीं चाहती सरकार', फांसी की जगह सुई के विकल्प के विरोध पर केंद्र को 'सुप्रीम' फटकार

न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Wed, 15 Oct 2025 05:08 PM IST
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सार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फांसी के बजाय मौत की सुई (लीथल इंजेक्शन) का विकल्प देने से इनकार पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सरकार समय के साथ बदलने को तैयार नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने बताया कि अमेरिका के 49 राज्यों में यह तरीका अपनाया गया है, जो तेज और मानवीय है। 

Supreme Court Centre disfavours lethal injection as mode of execution News In Hindi
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फांसी की जगह मौत के लिए सुई (लीथल इंजेक्शन) के विकल्प का विरोध करने पर जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सरकार समय के साथ बदलने को तैयार नहीं है। यह टिप्पणी उस वक्त आई जब केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि मौत की सजा भुगत रहे कैदियों को फांसी के बजाय मौत की सुई (लीथल इंजेक्शन) का विकल्प देना बहुत संभव नहीं है।

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बता दें कि मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि सजा पाए कैदी को यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे फांसी या मौत की सुई में से किसे चुनना चाहते हैं।

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वरिष्ठ अधिवक्ता ने अमेरिका का दिया उदाहरण
मामल में मल्होत्रा ने कहा कि अमेरिका के 50 राज्यों में से 49 ने मौत की सुई को अपनाया है क्योंकि यह तरीका तेज, मानवीय और उचित है, जबकि फांसी क्रूर है क्योंकि व्यक्ति की लाश रस्सी पर करीब 40 मिनट तक लटकी रहती है।


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केंद्र को प्रस्वात पर सलाह देने की सुझाव

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के वकील से कहा कि वे सरकार को मल्होत्रा के प्रस्ताव पर सलाह दें। केंद्र के वकील ने कहा कि सरकार के लिए यह विकल्प देना संभव नहीं है और यह एक नीति निर्णय है। जस्टिस मेहता ने कहा कि समस्या यह है कि सरकार समय के साथ बदलने को तैयार नहीं है। समय के साथ चीजें बदल गई हैं।

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समिति बनाने पर विचार कर रही सरकार
वहीं केंद्र की ओर से कहा गया कि सरकार इस मामले में एक समिति बनाने पर विचार कर रही है, जो मृत्यु दंड की प्रक्रिया की समीक्षा करे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है। गौरतलब है कि 2017 में दायर इस याचिका में फांसी की जगह मौत की सुई, गोली, बिजली या गैस चैम्बर जैसे कम दर्दनाक तरीके अपनाने की मांग की गई थी। हालांकि, 2018 में केंद्र ने कहा था कि फांसी तेज और सरल तरीका है और अन्य तरीके कम दर्दनाक नहीं हैं। इस याचिका में 187वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया था, जिसमें वर्तमान फांसी के तरीके को हटाने की सिफारिश की गई है।

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