सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Supreme Court Justice Suryakant says India commitment towards justice not limited to borders

Justice Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत स्वीडन में बोले- इंसाफ का भारत का संकल्प सरहदों से परे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 13 Jul 2025 11:23 PM IST
विज्ञापन
सार

स्वीडन में बसे भारतीयों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि भारत की अदालतें सिर्फ फैसले सुनाने का काम नहीं करतीं, बल्कि समाज के कमजोर और हाशिए पर खड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा करती हैं। इसके साथ-साथ अदालतें लोगों की आजादी और हमारे लोकतंत्र की सच्चाई को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती हैं।

Supreme Court Justice Suryakant says India commitment towards justice not limited to borders
जस्टिस सूर्यकांत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (फाइल फोटो) - फोटो : ANI
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था सिर्फ देश की सीमाओं तक सीमित नहीं है। देश की अदालतों ने कुछ मामलों में, अनिवासी भारतीयों को भी मौलिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की है। ये बात उन्होंने स्वीडन में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कही। 

loader
Trending Videos


न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आगे कहा कि भारत में, अदालतों ने न केवल निर्णायक के रूप में, बल्कि हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा, स्वतंत्रता की रक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को बनाए रखते हुए नैतिक आवाज के रूप में भी काम किया है। 
विज्ञापन
विज्ञापन


ये भी पढ़ें: Odisha: गांववालों ने एक ही गोत्र में शादी करने पर आदिवासी जोड़े को दी सजा, लकड़ी के हल से बांधकर घुमाया

अनिवासी भारतीयों के लिए न्याय को और अधिक सुलभ बनाने का प्रयास किया

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने कई निर्णयों और सैद्धांतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता, समानता और गरिमा जैसे मूल्यों को कायम रखा है, जो हमारी सांविधानिक पहचान की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा, 'भारतीय न्यायपालिका ने इन जटिलताओं को तेजी से पहचाना है और अनिवासी भारतीयों के लिए न्याय को और अधिक सुलभ बनाने का प्रयास किया है।

न्यायपालिका प्रमुख सांविधानिक स्तंभों में से एक 
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका प्रमुख सांविधानिक स्तंभों में से एक है और इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि वैश्विकृत दुनिया में, जहां पहचानें अक्सर धुंधली हो जाती हैं और सीमाएं कम कठोर हो जाती हैं, वहां खुद को बेसहारा महसूस करना आसान है। फिर भी, प्रवासी भारतीयों ने दुनिया को दिखाया है कि कैसे कोई प्रामाणिक रूप से भारतीय रहते हुए भी सचमुच वैश्विक हो सकता है।

ये भी पढ़ें: SCO: 'रिश्तों में कांटा बन गया है तिब्बत से जुड़ा मुद्दा', जयशंकर की यात्रा से पहले चीन के बिगड़े बोल

पहचान सिर्फ विरासत में नहीं मिलती

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आगे कहा कि यह एक नाजुक संतुलन है, लेकिन आपने इसे शालीनता और दृढ़ विश्वास के साथ साधा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पहचान सिर्फ विरासत में नहीं मिलती। इसे सक्रिय रूप से जिया और प्रसारित किया जाता है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed