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SC: MBBS में प्रवेश रद्द करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- हाईकोर्ट जाए छात्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Tue, 08 Jul 2025 02:24 PM IST
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सार

छात्र ने 2024-2029 शैक्षणिक सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में पुनः प्रवेश की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि उनका प्रवेश कथित तौर पर बिना किसी नोटिस या सुनवाई के किया गया।

Supreme Court refuses to hear petition against cancellation of admission in MBBS, student should go High Court
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ओडिशा के एक मेडिकल कॉलेज में बिना पूर्व सूचना के एमबीबीएस छात्र का प्रवेश रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट का रुख करने के लिए कहा।

न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आर महादेवन की आंशिक कार्य दिवस (पीडब्ल्यूडी) पीठ ने छात्र के वकील हर्षित अग्रवाल से कहा कि वह अपनी शिकायत लेकर उच्च न्यायालय जाए। पीठ ने कहा कि याचिका वापस ले ली गई मानकर खारिज की जाती है।

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छात्र के वकील हर्षित अग्रवाल ने 2024-2029 शैक्षणिक सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम में पुनः प्रवेश की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि उनका प्रवेश कथित तौर पर बिना किसी नोटिस या सुनवाई के किया गया। यह अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था। याचिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता तय करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में अनुशासनात्मक मामलों में एक समान प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों की भी मांग की गई।

पीठ ने अग्रवाल के उच्च न्यायालय न जाकर सीधे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के निर्णय पर सवाल उठाया। इस पर वकील ने एक पुराने मामले का हवाला दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने एक अन्य एमबीबीएस छात्र से जुड़ी इसी तरह की याचिका पर नोटिस जारी किया था। वकील ने पीठ को संबंधित स्थानांतरण याचिका के बारे में भी बताया, जिस पर 14 जुलाई को सुनवाई होनी है।

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इस पर न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा कि हम यहां सीधे रिट याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं। इसके बाद वकील ने याचिका वापस लेने के लिए पीठ से अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। केंद्र के अलावा वकील अग्रवाल ने याचिका में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, चिकित्सा परामर्श समिति, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, सीबीआई और ओडिशा के बलांगीर स्थित भीमा भोई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को भी पक्ष बनाया था।

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