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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा- स्थानीय निकाय चुनावों में 50% से अधिक आरक्षण न दें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Mon, 17 Nov 2025 04:54 PM IST
सार
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण न दे। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर यह सीमा पार हुई तो चुनाव रोक दिए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि चुनाव 2022 की बंथिया आयोग रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार ही हों और रिपोर्ट अभी लंबित है।
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण न दे। शीर्ष कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर यह सीमा पार हुई तो चुनाव रोक दिए जाएंगे। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव उसी स्थिति के अनुसार कराए जा सकते हैं जो 2022 की जे के बंथिया आयोग रिपोर्ट से पहले थी। इस रिपोर्ट में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई थी।
'कोर्ट की शक्ति मत परखिए..'
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता के अनुरोध पर शीर्ष कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को तय की। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि 50 फीसदी की सीमा न तोड़ी जाए। शीर्ष कोर्ट ने कहा, अगर यह दलील है कि नामांकन शुरू हो गया है और कोर्ट दखल न करे, तो हम चुनाव ही रोक देंगे। कोर्ट की शक्ति को मत परखिए।
ये भी पढ़ें: चुनाव आयोग असम की मतदाता सूची में विशेष संशोधन करेगा, एक जनवरी तक जुड़ेंगे नाम; SIR से अलग है प्रक्रिया
कोर्ट ने याचिकाओं पर जारी किया नोटिस
बेंच ने कहा, हमने कभी नहीं कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा से ऊपर जाया जाए। हम दो जजों की बेंच हैं, संविधान पीठ की सीमा नहीं तोड़ सकते। बंथिया आयोग रिपोर्ट अभी कोर्ट में लंबित है और हमने पहले वाली स्थिति के अनुसार चुनाव की अनुमति दी थी। कोर्ट ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया, जिनमें आरोप है कि कुछ स्थानीय निकायों में आरक्षण 70 फीसदी तक पहुंच गया है।
तुषार मेहता ने कहा कि नामांकन भरने का अंतिम दिन सोमवार था। उन्होंने छह मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें चुनाव कराने का रास्ता साफ किया गया था। जस्टिस बागची ने कहा कि कोर्ट पहले ही साफ कर चुका था कि बंथिया रिपोर्ट से पहले वाली स्थिति लागू होगी। उन्होंने पूछा कि क्या इसका मतलब है कि हर जगह 27 फीसदी आरक्षण होगा? इससे पहले के आदेश से टकराव हो सकता है।
'कभी नहीं कहा 50 फीसदी से अधिक हो आरक्षण'
वरिष्ठ वकील विकास सिंह और नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि 40 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में पचास फीसदी आरक्षण की सीमा पार हो चुकी है और कई जगह तो यह 70 फीसदी है। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने मेहता से कहा कि अगर चुनाव बंथिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार हुए तो मामला निरर्थक हो जाएगा। कोर्ट ने कहा, हमने कभी नहीं कहा कि 50 फीसदी से ऊपर आरक्षण होगा। हमें ऐसे आदेश देने के लिए मजबूर मत कीजिए जो संविधान पीठ के आदेशों के खिलाफ हों।
इसके बाद मेहता ने कहा कि कोर्ट ने कहा था कि प्रक्रिया जा रह सकती है। लेकिन वह बंथिया आयोग रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम फैसले पर निर्भर होगी। फिर कोर्ट ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट अभी भी लंबित है और छह मई व 16 सितंबर के आदेश में कोर्ट ने केवल यह कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव पहले की स्थिति के अनुसार कराए जा सकते हैं।
ये भी पढ़ें: RCOM से जुड़ी कथित बैंक धोखाधड़ी की अदालत की निगरानी में होगी जांच? PIL पर सुनवाई करेगा कोर्ट
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ऐसा लगता है कि राज्य के अधिकारी कोर्ट के सरल आदेशों को जटिल बना रहे हैं। इसलिए स्थानीय चुनावों के नामांकन की प्रक्रिया टालनी पड़ सकती है। मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 19 नवंबर के आदेश तक सब कुछ कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही होगा।
महाराष्ट्र में कब होंगे स्थानीय निकाय चुनाव?
राज्य चुनाव आयोग की ओर से चार नवंबर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। इसके मुताबिक, महाराष्ट्र के 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में दो दिसंबर को चुनाव होंगे और तीन दिसंबर को मतगणना होगी। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। 18 नवंबर को छंटनी होगी और 21 नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे और 26 नवंबर को चुनाव चिह्न और प्रत्याशियों की सूची प्रकाशित होगी।
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सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता के अनुरोध पर शीर्ष कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को तय की। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि 50 फीसदी की सीमा न तोड़ी जाए। शीर्ष कोर्ट ने कहा, अगर यह दलील है कि नामांकन शुरू हो गया है और कोर्ट दखल न करे, तो हम चुनाव ही रोक देंगे। कोर्ट की शक्ति को मत परखिए।
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कोर्ट ने याचिकाओं पर जारी किया नोटिस
बेंच ने कहा, हमने कभी नहीं कहा कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा से ऊपर जाया जाए। हम दो जजों की बेंच हैं, संविधान पीठ की सीमा नहीं तोड़ सकते। बंथिया आयोग रिपोर्ट अभी कोर्ट में लंबित है और हमने पहले वाली स्थिति के अनुसार चुनाव की अनुमति दी थी। कोर्ट ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया, जिनमें आरोप है कि कुछ स्थानीय निकायों में आरक्षण 70 फीसदी तक पहुंच गया है।
तुषार मेहता ने कहा कि नामांकन भरने का अंतिम दिन सोमवार था। उन्होंने छह मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें चुनाव कराने का रास्ता साफ किया गया था। जस्टिस बागची ने कहा कि कोर्ट पहले ही साफ कर चुका था कि बंथिया रिपोर्ट से पहले वाली स्थिति लागू होगी। उन्होंने पूछा कि क्या इसका मतलब है कि हर जगह 27 फीसदी आरक्षण होगा? इससे पहले के आदेश से टकराव हो सकता है।
'कभी नहीं कहा 50 फीसदी से अधिक हो आरक्षण'
वरिष्ठ वकील विकास सिंह और नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि 40 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में पचास फीसदी आरक्षण की सीमा पार हो चुकी है और कई जगह तो यह 70 फीसदी है। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने मेहता से कहा कि अगर चुनाव बंथिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार हुए तो मामला निरर्थक हो जाएगा। कोर्ट ने कहा, हमने कभी नहीं कहा कि 50 फीसदी से ऊपर आरक्षण होगा। हमें ऐसे आदेश देने के लिए मजबूर मत कीजिए जो संविधान पीठ के आदेशों के खिलाफ हों।
इसके बाद मेहता ने कहा कि कोर्ट ने कहा था कि प्रक्रिया जा रह सकती है। लेकिन वह बंथिया आयोग रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम फैसले पर निर्भर होगी। फिर कोर्ट ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट अभी भी लंबित है और छह मई व 16 सितंबर के आदेश में कोर्ट ने केवल यह कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव पहले की स्थिति के अनुसार कराए जा सकते हैं।
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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ऐसा लगता है कि राज्य के अधिकारी कोर्ट के सरल आदेशों को जटिल बना रहे हैं। इसलिए स्थानीय चुनावों के नामांकन की प्रक्रिया टालनी पड़ सकती है। मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 19 नवंबर के आदेश तक सब कुछ कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही होगा।
महाराष्ट्र में कब होंगे स्थानीय निकाय चुनाव?
राज्य चुनाव आयोग की ओर से चार नवंबर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। इसके मुताबिक, महाराष्ट्र के 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में दो दिसंबर को चुनाव होंगे और तीन दिसंबर को मतगणना होगी। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी। 18 नवंबर को छंटनी होगी और 21 नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे और 26 नवंबर को चुनाव चिह्न और प्रत्याशियों की सूची प्रकाशित होगी।
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