सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Supreme Court Updates No relief to Azam Khan son 2023 High Court order no interference legal news in hindi

Supreme Court: आजम खान के बेटे को नहीं मिली राहत; इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2023 के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 06 Nov 2025 04:05 PM IST
विज्ञापन
Supreme Court Updates No relief to Azam Khan son 2023 High Court order no interference legal news in hindi
सुप्रीम कोर्ट (फाइल) - फोटो : अमर उजाला / एएनआई
विज्ञापन

उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत में जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की अपील ठुकराते हुए कहा, हमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 23 जुलाई के आदेश में हस्तक्षेप का कोई कारण नजर नहीं आता। अब्दुल्ला ने पासपोर्ट बनाने के लिए कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करने के आरोप वाले मामले में कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी। दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब ट्रायल अंतिम चरण में है, तो अब दखल का कोई औचित्य नहीं है। सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ 2019 में FIR दर्ज कराई गई थी। अब्दुल्ला पर आरोप है कि उन्होंने शैक्षिक अभिलेखों में अपनी जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दिखाई है, जबकि पासपोर्ट में जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 दर्ज कराई। उन पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज के उपयोग के अलावा पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1A) के तहत आरोपपत्र दायर हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि ट्रायल कोर्ट सभी मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेगा।

Trending Videos


देश में खराब वायु गुणवत्ता का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। वेलनेस एक्सपर्ट ल्यूक क्रिस्टोफर कोटिन्हो ने 24 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा, देश में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने में सिस्टम लगातार नाकाम हुआ है। हालात 'जन स्वास्थ्य आपातकाल' स्तर पर पहुंचने का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार, CPCB, CAQM, कई केंद्रीय मंत्रालयों, नीति आयोग तथा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र की सरकारों को पक्षकार बनाया है। याचिका में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के कारण नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का हनन हो रहा है। मौजूदा हालात को राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की अपील करते हुए कोटिन्हो ने कहा कि इस हालात से निपटने के लिए एक समयबद्ध राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाए जाने की भी जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि साल 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लक्ष्यों को भी हासिल नहीं किया जा सका है। 2024 तक हवा में पीएम 10 कणों को 20 से 30 फीसदी कम करने का लक्ष्य रखा गया था। 2026 तक इस लक्ष्य को बढ़ाकर 40% किया गया। हालांकि, जुलाई 2025 तक 130 में से केवल 25 शहरों में ही आधार वर्ष 2017 की तुलना में PM10 का स्तर 40% कम किया जा सका। 25 शहरों में प्रदूषण और बढ़ गया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोलकाता, लखनऊ सहित कई शहरों में मानकों का उल्लंघन भी किया गया है।

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed