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Telangana: महाराष्ट्र के बाद अब तेलंगाना में भी आया GBS का मामला; सिद्दीपेट जिले की महिला पाई गई संक्रमित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद Published by: श्वेता महतो Updated Fri, 31 Jan 2025 03:10 PM IST
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सार

सिद्दीपेट के जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यह मामला प्रशासन के संज्ञान में नहीं आया है। पुणे और आसपास के क्षेत्रों में जीबीएस का प्रकोप दूषित जल स्रोतों से जुड़ा हुआ है।

Telangana woman diagnosed with GBS disease first known case in state news in hindi
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) - फोटो : PTI
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विस्तार
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तेलंगाना के सिद्दीपेट जिले की एक महिला को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का पता चला है। इसका प्रकोप मौजूदा समय में पुणे और आसपास के इलाकों में अधिक है। तेलंगाना में यह पहला मामला है। शुक्रवार को केआईएमएस अस्पताल द्वारा जारी एक बयान के अनुसारमरीज का पुणे का कोई यात्रा इतिहास नहीं है। महिला का पहले कुछ हफ्तों तक दूसरे अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन वहां उसकी हालत खराब होने लगी। इसके बाद उसे केआईएमएस में स्थानांतरित किया गया। महिला की हालत को देखते हुए उसका इलाज वेंटिलेटर सपोर्ट पर किया जा रहा है।
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सिद्दीपेट के जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि यह मामला प्रशासन के संज्ञान में नहीं आया है। पुणे और आसपास के क्षेत्रों में जीबीएस का प्रकोप दूषित जल स्रोतों से जुड़ा हुआ है। दूषित भोजन और पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी को इस महामारी का कारण माना जा रहा है।
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गुलियन-बैरे सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं?
मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक ये बीमारी आपके पेरीफेरल नर्वस को अटैक करती है। ये तंत्रिकाएं मांसपेशियों की गति, शरीर में दर्द के संकेत, तापमान और शरीर को छूने पर होने वाली संवेदनाओं का एहसास कराती हैं। इन तंत्रिकाओं को होने वाली क्षति के कारण आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। 
  • हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने जैसा एहसास।
  • पैरों में कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है।
  • चलने या सीढ़ियां में असमर्थ होना।
  • बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी होना।
  • पेशाब पर नियंत्रण न रह जाना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाना।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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