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चिंताजनक: आम लोगों से महिला डॉक्टरों में आत्महत्या का जोखिम 76 फीसदी ज्यादा, बेहद दबाव में काम करने को मजबूर
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विशांत श्रीवास्तव
Updated Wed, 04 Sep 2024 05:26 AM IST
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सार
विएना विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि आम लोगों से महिला डॉक्टरों में आत्महत्या का जोखिम 76 फीसदी ज्यादा है। अध्ययन में मुख्य रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश शामिल किए गए थे।

सांकेतिक तस्वीर।
- फोटो : istock
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विस्तार
आम लोगों की तुलना में महिला डॉक्टरों में आत्महत्या का जोखिम 76 फीसदी अधिक है। यह आंकड़े इस तथ्य को उजागर करते हैं कि दुनियाभर में महिला डॉक्टर बेहद दबाव में काम करने को मजबूर हैं जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अध्ययन में विएना विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं ने 1960 से 31 मार्च, 2024 के बीच 20 देशों में प्रकाशित 39 अध्ययनों का विश्लेषण किया है। अध्ययन में मुख्य रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश शामिल थे। जब पिछले शोधों की तुलना 10 सबसे हालिया अध्ययनों से की तो उनके विश्लेषण से पता चला है कि पुरुष और महिला डॉक्टरों के आत्महत्या की दर में गिरावट आई है। हालांकि, महिला डॉक्टरों में आत्महत्या की दर काफी अधिक है। इस गिरावट के सटीक कारणों का तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता और डॉक्टरों के लिए कार्यक्षेत्र पर बेहतर वातावरण ने इसमें मदद की है।
अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न कारण
डॉक्टरों के बीच आत्महत्या का जोखिम अलग-अलग जगहों पर पृथक-पृथक है। अध्ययन के मुताबिक, यह इस बात पर निर्भर किया जाता है कि डॉक्टरों को किस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है, साथ ही काम के दौरान वातावरण कैसा है। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या को लेकर डॉक्टरों का नजरिया अलग-अलग है, जो इस अंतर की वजह हो सकता है।
पुरुष डॉक्टरों की आत्महत्या दर उनके बराबर सामाजिक व आर्थिक स्थिति वाले अन्य पेशेवरों की तुलना में 81 फीसदी अधिक थी। महिला डॉक्टरों के मामले में भी ऐसे ही परिणाम समान आए हैं।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. क्लेयर गेराडा के मुताबिक, डॉक्टरों को थकान और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अतिरिक्त जोखिमों का भी सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों में अक्सर ऐसे गुण होते हैं जैसे कि वे परिपूर्ण होना चाहते हैं। साथ ही वे बहुत प्रतिस्पर्धी होते हैं। ऐसे में तनाव पूर्ण वातावरण में कई बार असफल होने पर वे खुद को ही दोषी महसूस करने लगते हैं।
इससे उनके आत्मसम्मान पर भी असर पड़ता है और उन्हें लगता है कि वे असफल हो रहे हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की पहुंच में बेहद हानिकारक दवाइयां भी होती हैं।
विशेष ध्यान देने की जरूरत
शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिला डॉक्टर अपने घर और बच्चों के साथ पेशेवर व्यवसाय का अधिक जोखिम झेलती हैं। जो व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, उनके आत्महत्या के बारे में सोचने या उसका प्रयास करने की आशंका अधिक होती है। खासकर यदि वो अपने पेशे में शिकायतों या अन्य शिकायतों से जूझ रहे होते हैं। ऐसे में महिला डॉक्टरों में तनाव और आत्महत्या के जोखिम को कम करने के लिए हमें लंबे समय से चली आ रही समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।

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अध्ययन में विएना विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं ने 1960 से 31 मार्च, 2024 के बीच 20 देशों में प्रकाशित 39 अध्ययनों का विश्लेषण किया है। अध्ययन में मुख्य रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश शामिल थे। जब पिछले शोधों की तुलना 10 सबसे हालिया अध्ययनों से की तो उनके विश्लेषण से पता चला है कि पुरुष और महिला डॉक्टरों के आत्महत्या की दर में गिरावट आई है। हालांकि, महिला डॉक्टरों में आत्महत्या की दर काफी अधिक है। इस गिरावट के सटीक कारणों का तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता और डॉक्टरों के लिए कार्यक्षेत्र पर बेहतर वातावरण ने इसमें मदद की है।
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अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न कारण
डॉक्टरों के बीच आत्महत्या का जोखिम अलग-अलग जगहों पर पृथक-पृथक है। अध्ययन के मुताबिक, यह इस बात पर निर्भर किया जाता है कि डॉक्टरों को किस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है, साथ ही काम के दौरान वातावरण कैसा है। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या को लेकर डॉक्टरों का नजरिया अलग-अलग है, जो इस अंतर की वजह हो सकता है।
पुरुष डॉक्टरों की आत्महत्या दर उनके बराबर सामाजिक व आर्थिक स्थिति वाले अन्य पेशेवरों की तुलना में 81 फीसदी अधिक थी। महिला डॉक्टरों के मामले में भी ऐसे ही परिणाम समान आए हैं।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. क्लेयर गेराडा के मुताबिक, डॉक्टरों को थकान और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अतिरिक्त जोखिमों का भी सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों में अक्सर ऐसे गुण होते हैं जैसे कि वे परिपूर्ण होना चाहते हैं। साथ ही वे बहुत प्रतिस्पर्धी होते हैं। ऐसे में तनाव पूर्ण वातावरण में कई बार असफल होने पर वे खुद को ही दोषी महसूस करने लगते हैं।
इससे उनके आत्मसम्मान पर भी असर पड़ता है और उन्हें लगता है कि वे असफल हो रहे हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की पहुंच में बेहद हानिकारक दवाइयां भी होती हैं।
विशेष ध्यान देने की जरूरत
शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिला डॉक्टर अपने घर और बच्चों के साथ पेशेवर व्यवसाय का अधिक जोखिम झेलती हैं। जो व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, उनके आत्महत्या के बारे में सोचने या उसका प्रयास करने की आशंका अधिक होती है। खासकर यदि वो अपने पेशे में शिकायतों या अन्य शिकायतों से जूझ रहे होते हैं। ऐसे में महिला डॉक्टरों में तनाव और आत्महत्या के जोखिम को कम करने के लिए हमें लंबे समय से चली आ रही समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।