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Chakka Jam: क्या नीतीश कुमार की कुर्सी के लिए खतरा साबित होगा वोटर लिस्ट विवाद, लामबंद विपक्ष दिखाएगा ताकत
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सार
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद गहराता जा रहा है। विपक्षी दलों नौ जुलाई को चक्काजाम करने वाले हैं। महागठबंधन के इस प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। इससे इस प्रदर्शन का व्यापक असर होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद गहराता जा रहा है। राजद-कांग्रेस और वामदलों के साथ-साथ एनसीपी जैसे कई अन्य दलों ने भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इस रिविजन को रोकने की मांग की है। इन दलों का आरोप है कि इस रिविजन के जरिए सरकार विशेष समूहों को वोटर लिस्ट से बाहर कर उन्हें वोट देने से रोकना चाहती है। राजद नेता तेजस्वी यादव नौ जुलाई को वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण पर बिहार में चक्का जाम करने का एलान कर दिया है। महागठबंधन के इस प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। इससे इस प्रदर्शन का व्यापक असर होने की संभावना है।
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पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने जिस तरह पश्चिम बंगाल में भी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की मांग की है, और टीएमसी ने इसको लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है, यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गरमाता दिखाई दे रहा है। ममता बनर्जी भी महागठबंधन के चक्का जाम प्रदर्शन को अपना समर्थन दे सकती हैं। विपक्षी दलों के गर्मी दिखाने से आम जनता और सोशल मीडिया के बीच भी वोटर लिस्ट रिविजन बहस का मुद्दा बनता दिख रहा है। तो क्या वोटर लिस्ट विवाद के रूप में विपक्ष को बड़ा चुनावी हथियार मिल गया है? क्या इसका असर भी लोकसभा चुनाव में उठे मुद्दे 'संविधान पर खतरे' जैसा होगा जिसने मोदी को पहली बार अपने बल पर सत्ता में आने से रोक दिया था?
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भाजपा हिंदुत्व-राष्ट्रवाद की पिच को मजबूत कर रही
बिहार चुनाव में दोनों ही खेमे अपनी-अपनी पिच को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा इस कोशिश में है कि पूरा चुनाव हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर लड़ा जाए। उसने पिछले दरवाजे से हिंदू संतों के सम्मेलन कराकर हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश करना शुरू कर दिया है। स्वामी रामभद्राचार्य और बाबा बागेश्वर जैसे हिंदू संतों के जरिए लोगों को अपनी जातियों को भूलकर एकजुट होने की अपील कराई जा रही है। जातीय राजनीति की चाशनी में आकंठ डूबे बिहार ने इन संतों की थोड़ी भी आवाज सुनी तो चुनाव पर इसका बड़ा असर हो सकता है। यह सीधे तौर पर नीतीश कुमार और एनडीए को मजबूत करेगा।
विपक्ष अपनी आजमाई पिच पर
कम से कम 1990 के दशक का राजनीतिक इतिहास यही बताता है कि समाजवाद की चादर ओढ़े जातिवाद ने भाजपा के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को रोकने में अच्छी सफलता पाई है। ऐसे में विपक्ष भी अपनी आजमाई हुई ताकत को एक बार फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। तेजस्वी यादव लालू यादव का नया वर्जन बनने की कोशिश कर रहे हैं। वे दलित-पिछड़ी जातियों को साथ लाने के साथ जातिवाद की राजनीति भी कर रहे हैं तो साथ-साथ रोजगार और विकास का मुद्दा भी उठा रहे हैं। यह लालू यादव की राजनीति से एक कदम आगे जाने की बात है। उन्हें स्वीकार्यता भी मिल रही है।
लेकिन जिस तरह उन्होंने पटना के गांधी मैदान में इमारत-ए-शरियत की सभा में यह ऐलान किया है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो वक्फ कानून रद्द कर देंगे, भाजपा को उन्हें मुसलमानों का तुष्टीकरण करने वाला 'नया लालू' करार दे रही है। राजद का मुस्लिम-यादव समीकरण पर एकछत्र कब्जा होने के बाद भी यदि सांप्रदायिक विभाजन गहराया तो तेजस्वी यादव को इससे नुकसान हो सकता है।
वहीं, बिहार में महागठबंधन के दूसरे सबसे मजबूत खिलाड़ी राहुल गांधी जातिगत जनगणना कराने, आरक्षण की सीमा बढ़ाने और संवैधानिक संस्थाओं पर केंद्र सरकार की पकड़ होने जैसा मुद्दा उठा उठा रहे हैं। राहुल गांधी संविधान पर खतरे के मुद्दे को उठाने की सफलता का स्वाद चख चुके हैं, उत्साहित राहुल वोटर लिस्ट विवाद पर ज्यादा आक्रामक हुए और कांग्रेस इसे निचले स्तर तक ले जा पाई तो इससे महागठबंधन को लाभ हो सकता है।
किसानों-भूमिहीन श्रमिकों को वोट देने से रोकने की कोशिश- कांग्रेस
कांग्रेस राहुल गांधी के इस संदेश को निचले स्तर तक पहुंचाने की कोशिश में जुट भी गई है। ऑल इंडिया किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष अखिलेश शुक्ला ने अमर उजाला से कहा कि बारिश का यह समय धान की रोपाई का है। बिहार के लाखों श्रमिक इस समय पंजाब-हरियाणा जाते हैं और धान की रोपाई कर रोजगार हासिल करते हैं। ऐसे लाखों श्रमिक इस समय सपरिवार बिहार से बाहर हैं। लेकिन चुनाव आयोग इसी एक महीने के अंदर अपना वोटर लिस्ट फाइनल करने का काम करने जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे लोग वोटर लिस्ट से बाहर नहीं हो जाएंगे।
अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के नेशनल कोऑर्डिनेटर प्रबल प्रताप शाही ने आरोप लगाया कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिससे किसानों-श्रमिकों को वोट देने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बात को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक अभियान चलाकर किसानों-श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करेगी।
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बांग्लादेशी घुसपैठियों-रोहिंग्याओं को वोटर बनाकर क्यों रखना चाहता है विपक्ष- भाजपा
भाजपा प्रवक्ता एसएन सिंह ने अमर उजाला से कहा कि सभी लोग यह बात जानते हैं कि लाखों अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये-रोहिंग्या भारत में मतदाता बन चुके हैं। यदि चुनाव आयोग एक अभियान चलाकर फर्जी मतदाताओं को वोटर लिस्ट से बाहर करना चाहता है तो इससे विपक्ष को परेशानी क्यों है। भाजपा नेता ने कहा कि क्या इन फर्जी मतदाताओं को केवल इसलिए वोटर बनाकर रखा जाए क्योंकि ये लोग राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस या पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के थोक वोट बैंक बने हुए हैं।
एसएन सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग हर सही मतदाता का नाम वोटर लिस्ट में जारी रखने की बात कह रहा है। केंद्र सरकार भी समय-समय पर सभी मतदाताओं से अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ने और वोट करने की अपील करती रहती है। ऐसे में यदि फर्जी मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से निकालने की कोशिश की जा रही है तो इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।